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फरीदाबाद, 17 अक्टूबर (नवीन गुप्ता): एनआईटी फरीदाबाद का 68वां स्थापना दिवस पिछले कई सालों की तरह इस साल भी फ्रंटियर पंजाबी युवा मंच द्वारा सिद्वपीठ श्री हनुमान मंदिर मार्केट नंबर-1 में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री शक्ति सेवा दल के प्रधान मोहन लाल अरोड़ा ने की, जबकि इस मौके पर मुख्य रूप से एनआईटी को बसाने में अपनी अह्म भूमिका निभाने वाली एडवाईजरी कमेटी के एकमात्र जीवित सदस्य सरदार गुरबचन सिंह ने हर बार की तरह केक काटकर जन्मदिन मनाया।
इस मौके पर सरदार गुरबच्चन सिंह ने उपस्थित सभा को संबोधित करते हुए बताया कि विभाजन की त्रासदी को झेलते हुए पाकिस्तान के फ्रंटियर स्थित बन्नू, कोहाट, मर्दान, पेशावर, दौड़, डेरेवाल, डेरा इस्माईल खान, मुल्तान व डेरा गाजिखान आदि जिलों से उजड़ कर आए शरणार्थियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से दिल्ली के आसपास ही बसने का अनुरोध किया था, जबकि सरकार उन्हें राजस्थान के अलवर, भरतपुर जैसे जिलों में भेजने की इच्छुक थी। इसके विरोध में शरणार्थियों ने सत्याग्रह शुरू कर दिया। इसमें मुख्य रूप से मैं स्वयं सरदार गुरबच्चन सिंह, पंडित गोबिंद दास, खामोश सरहदी, सुखराम सलार, खुशीराम गडखेल व श्रीचंद खत्री आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस मौके पर जनता रामलीला कमेटी के प्रधान मानक चंद भाटिया व मंच के अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश भाटिया ने बताया कि एनआईटी शहर जोकि 30 हजार लोगों के लिए बसाया गया था व पांच हजार मकानों का निर्माण किया गया था। इसके लिए सरकार ने पांच करोड़ रूपये का बजट निर्धारित किया था, लेकिन हमारे मेहनतकश लोगों ने इसे आधे बजट में ही पूरा कर दिया। 17 अक्टूबर, 1949 को सुबह 11 बजे तत्कालीन तालीमी संघ की संयुक्त सचिव आशा रानी के नेतृत्व में एनएच-5 स्थित आईटीआई के पास पहला फावड़ा चलाकर एनआईटी की नींव रखी। एनआईटी का नक्शा जर्मन आर्किटेक्ट निस्सन ने तैयार किया था व इसको आकार देने के लिए बनाए गए विकास बोर्ड देश के पहले राष्ट्रपति डा०राजेंद्र प्रसाद व योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एलसी जैन जैसे गणमान्य लोग शामिल थे। पूर्व पार्षद ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि एनआईटी की स्थापना में अहम किरदार निभाने वाले व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विश्वसनीय खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम से ही बीके अस्पताल का नाम रखा गया था, जबकि वर्तमान सरकार ने इसका नाम बदलकर सिविल अस्पताल कर दिया। एनआईटी शहर में अब खान अब्दुल गफ्फार खान का न तो नाम बचा है और नहीं कोई निशानी है। ऐसे में मंच जल्द ही इसके विरोध में जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग करेंगे कि अस्पताल का नाम पुन: खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम पर रखा जाए। अपने अध्यक्षीय भाशण में शक्ति सेवा दल के प्रधान मोहन लाल अरोड़ा ने आए हुए सभी लोगों का धन्यवाद किया व मंच की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इस मौके पर मुख्य रूप से श्री सनातन धर्म महावीर दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत स्वरूप बिहारी शरण , सोमनाथ ग्रोवर, पाली क्रेशर जोन के प्रधान धर्मवीर भडाना, टीएस शेखावत, मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया, एडवोकेट मीनू शर्मा व जितेंद्र गिरोटी, संजय पीके, संजय खत्री, वरूण ग्रोवर, सुभाष नौनिकाल, अजय नौनिहाल, सुंदर बजाज, सरदार कल्याण सिंह के सुपुत्र तेजवंत सिंह, विपिन भाटिया, मंटू चुन्नी, अनुज प्रधान, रिंकल भाटिया सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।

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