महेश गुप्ता
फरीदाबाद,13 अक्तूबर:
पूर्व राष्ट्रपति स्व० डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम आजाद युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे, जिनका अनुसरण कर विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत कर अपने हस्ताक्षरों को आटोग्राफ में तब्दील करने का प्रयास करना चाहिए। युवा पीढ़ी की डॉ० कलाम को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी, क्योंकि मिसाइलमैन युवाओं को सदैव इस बात के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं। डॉ० कलाम के जीवन से इस प्रेरणा को सफलता के मूल मंत्र के रूप में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने प्रस्तुत किया।
केंद्रीय राज्य मंत्री मंगलवार को सोनीपत में गेट वे एजुकेशन एंड चेरिटेबल सोसायटी के तत्वावधान में विश्व ग्राम के सहयोग से भारत रत्न डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के 84वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित युवा प्रेरणा दिवस में उपस्थित युवाओं को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने की। अपने संबोधन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने डॉ०कलाम के संपूर्ण जीवन को प्रेरणासागर की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी डॉ० कलाम के जीवन के हर पल से कुछ न कुछ सीख सकती है। डॉ० कलाम का मूल मंत्र सादा जीवन उगा विचार था, जिसे आत्मसात करने की जरूरत है। विराट व्यक्तित्व के धनी पूर्व राष्ट्रपति का पूरा जीवन चुनौतियों से भरा था, जिन्होंने आर्थिक विषमता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि डॉ० कलाम ने शिक्षक के रूप में स्वयं को समर्पित रखा, जिनके जीवन का अंत भी विद्यार्थियों को व्याख्यान देते हुए हुआ। वे एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, शिक्षक, नेता और राष्ट्रपति थे, जिन्होंने कभी अपनी प्रतिभा का घमंड नहीं किया और संपूर्ण जीवन देश व समाज को समर्पित कर दिया। डॉ० कलाम का कहना था कि जब तक सुंदर सोच व सुंदर दिमाग वाले लोग नहीं होंगे तब तक दुनिया का सिरमौर नहीं बन सकते। बच्चों का ऐसा व्यक्तित्व माता, पिता व गुरु ही बना सकते हैं, जिनकी जिम्मेदारी भी बनती है। देश को परमाणु शक्ति बनाने में विशेष भूमिका निभाने वाले पूर्व राष्ट्रपति छोटी सोच को अपराध मानते थे, जिनका कहना था कि बड़ा सोचो-बड़ा करो। सपने सोई हुई आंखों से नहीं खुली आंखों से देखो और सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि आज समृद्धजन अपने बच्चों को शिक्षा के लिए विदेशों में भेजते हैं। किंतु भारत में रहकर ही सफलता के शिखर को छू सकते हैं, जिसका उदाहरण डॉ० कलाम हैं। अपने देश में ही शिक्षा ग्रहण करते हुए कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। जरूरत है लक्ष्य निर्धारित कर उस दिशा में कठोर परिश्रम करने की। डॉ० कलाम ने कभी भी निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो० आरके गर्ग व हरिप्रकाश मंगला ने मुख्य अतिथि कृष्णपाल गुर्जर, अध्यक्ष इंद्रेश कुमार व मुख्य वक्ता को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। मंच संचालन सुनंदा ने किया। इस दौरान राहुल मंगला, अनिल कुमार, सत्यभूषण जैन, निर्मल खंडेलवाल आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूली छात्राओं ने सरस्वती वंदना से किया। छात्राओं ने वंदे मातरम् गीत की भी सुंदर प्रस्तुति दी।
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