पीयूष बिल्डर ग्रुप के बचे निदेशकों पर भी लटकी गिरफ्तारी की तलवार, कभी भी जा सकते हैं सलाखों के पीछे
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 20 जून: दुनियाभर के लोगों की खुन-पसीने की करोड़ों-अरबों रूपये की रकम डकार चुके पीयूष बिल्डर ग्रुप के निदेशक अमित गोयल व पुनीत गोयल नामक दोनों भाईंयों के बाद अब अनिल गोयल व इनके परिवार की महिलाएं भी कभी भी सलाखों के पीछे जा सकते हैं। ऐसा नहीं हैं कि इनके साथ पहली बार ऐसा होगा, ये लोग पहले भी सींखचों के पीछे जा चुके हैं। मगर इस बार खास बात यह होगी कि इस बार इनके साथ-साथ इनके परिवार की महिलाएं भी सलाखों के अंदर जाएंगी जिनको कि इन्होंने अपनी कंपनी में डॉयरेक्टर बनाया हुआ है। इन महिलाओं में पीयुष ग्रुप के चेयरमैन अनिल गोयल की पत्नी वीणा गोयल, पुनीत गोयल की पत्नी पल्लवी गोयल, अनिल गोयल की बेटी एवं अमित व पुनीत गोयल की बहन पारूल गोयल के नाम शामिल हैं।
काबिलेगौर रहे कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 15 दिन तक अर्थात बुधवार 30 मई तक इनकी गिरफ्तारी पर लगाया गया अपना स्टे हटा दिया है। जिसके बाद पुलिस ने पीयूष बिल्डर ग्रुप के निदेशक अमित गोयल व पुनीत गोयल नामक दोनों भाईंयों को गुरूग्राम के एंबियंस मॉल से 18 जून को गिरफ्तार कर उन्हें मंगलवार, 19 जून को अदालत में पेशकर रिमांड पर ले लिया है। वैसे पुलिस ने अदालत से रिमांड तो नौ दिन का मांगा था लेकिन अदालत ने फिलहाल पुलिस को उपरोक्त से पुछताछ व रिकवरी के लिए मात्र दो दिन का ही पुलिस रिमांड दिया है। कानूनविद् एवं एडवोकेट राजेश तेवतिया की माने तो दो दिनों के अंदर इनसे इतने बड़े व गंभीर मामले में पुछताछ कर रिकवरी करना नामुमकिन है।
हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश अमोल रतन सिंह ने बुधवार, 30 मई को  मधुर गुप्ता द्वारा सैक्टर-7 थाने में दर्ज करवाई गई एफआईआर नंबर-289 वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी अग्रिम जमानत याचिका रद्द करते हुए ये आदेश जारी किए थे कि प्रथम दृष्टया पीयुष ग्रुप के उपरोक्त निदेशकों पर मनी लॉर्डिँग का मामला बनता है जिसमें कि करीब 1500 करोड़ का घोटाला नजर आ रहा है।
पीडि़त मधुर गुप्ता का इस मामले में कहना है कि हाईकोर्ट ने कहा है कि बताते हैं कि पीयुष ग्रुप के एक चीफ एकाऊंटेंट ने पुलिस को कंपनी के खातों के रिकार्ड से संबंधित एक पेन ड्राईव सौंपी है जिसमें की करीब 1427 करोड़ का गड़बड़झाला नजर आ रहा है। सुनने में आ रहा है कि यह चीफ एकाऊंटेंट सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हो गया है। अब यह मामला 45 करोड़ का ना होकर हजारों करोड़ का है जिसमें कि कम से कम 20 हजार लोग पीडि़त हैं और शायद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए माननीय हाईकोर्ट ने इसे मनी लांड्रिंग को केस मानते हुए इसको गंभीरता से लेने व आरोपियों को हिरासत में लेकर उनसे गहन पुछताछ के आदेश दिए हैं।
गौरतलब रहे कि धोखाधड़ी के आरोप में फरीदाबाद पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किए गए पीयूष ग्रुप के दो निदेशकों अमित गोयल व पुनीत गोयल को मंगलवार, 19 जून को फरीदाबाद के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश डॉ०विरेन्द्र प्रसाद की अदालत में पेश किया गया। न्यायाधीश द्वारा आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि इस केस मे आरोपी निदेशकों ने अपनी जमानत के लिए अप्रैल-2018 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीष वाई०एस० राठौर की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी जोकि 27 अप्रैल को खारिज कर दी गयी थी। उसके उपरान्त आरोपियों ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय में पुन: अग्रिम जमानत याचिका प्रस्तुत की जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने 30 मई, 2018 को निरस्त कर दिया और अपने आदेश में यहां तक लिखा कि न्यायालय को प्रथम दृष्टि में उक्त मामला करोड़ों रुपयों का घोटाला प्रतीत होता है, अत: जांच एजेंसी अगर आरोपियों से जांच करना उचित समझती है तो आरोपियों को गिरफ्तार करके उनकी उनसे पुछताछ कर मामले की जांच करें।
इस केस में मुख्य शिकायतकर्ता मधुर गुप्ता ने बताया कि उसने दिनांक 6 अप्रैल, 2018 को फरीदाबाद पुलिस को एक शिकायत दी थी जिसमे उसने पीयूष ग्रुप और उसके मालिकों व परिवार के सदस्यों अनिल गोयल, अमित गोयल, पुनीत गोयल आदि के विरुद्ध लगभग 45 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। उक्त 45 करोड़ रूपए की राशि में लगभग 300 निवेशकों द्वारा उक्त पीयूष ग्रुप के पास जमा की गयी राशि का पूरा ब्यौरा दिया गया था।
शिकायतकर्ता मधुर गुप्ता ने बताया कि पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने अपनी जांच के दौरान पाया कि उक्त आरोपियों ने लगभग 12 हजार 700 चैक विभिन्न निवेशकों को भिन्न-भिन्न तारीखों के जारी कर दिए, जो अब बैंक से बिना भुगतान के लगातार वापिस हो रहे है। साथ ही पुलिस ने एक पैन ड्राइव भी बरामद की है जिसमें विभिन्न निवेशकों से प्राप्त लगभग 1,500 करोड़ की नगद राशि का उल्लेख है। पुलिस को आरम्भिक पूछताछ में ऐसी लगभग 100 सम्पतियों के दस्तावेज प्राप्त हुए है जिसमें आरोपियों ने इनके फर्जी होने का आरोप स्वीकार किया है। मधूर ने यह भी आरोप लगाया कि पीयूष ग्रुप की कम्पनी का एक प्रोजेक्ट पीयूष एपिटन के नाम से पलवल में चालू हुआ जिसको कि विभिन्न व्यक्तियों को बेच दिया गया, जबकि जमीनी स्तर पर कोई भी कार्य उसको बनाने के लिए नहीं किया गया। इसके अलावा इस जमीन को 140 करोड़ रूपए में एलआईसी हाऊसिंग फाईनेंस के पास बतौर गिरवी रख दिया गया और वहां से प्राप्त राशि को एसआरएस ग्रुप को हस्तांतरित कर दिया गया। यह कार्य मार्च-अप्रैल, 2016 में किया गया।
मधुर गुप्ता ने बताया कि पीयूष इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्डिया प्राइवेट लिमिटेड में जो शेयरधारक है उन में 92.30 प्रतिशत अनिल गोयल, 3.85 प्रतिशत अमित गोयल और 3.85 प्रतिशत मधु गोयल पत्नी अमित गोयल के नाम से है। इस प्रकार से कम्पनी के 100 प्रतिशत शेयर गोयल परिवार के ही पास है, किन्तु अपनी जालसाजी को अंजाम देने के लिए और उसके परिणाम भुगतने के लिए उन्होंने अपने एक रिश्तेदार मनोज को अपनी कंपनी में नौकरी देकर चैकों को साइन करने के लिए अधिकृत कर दिया और लोगों का मुंह बंद रखने के उद्देश्य से जो चैक जारी किये गए उन पर खुद हस्ताक्षर न करके उसी मनोज के द्वारा हस्ताक्षर कराये गए।
मधुर गुप्ता ने आगे बताया कि पीयूष ग्रुप के मालिकों ने अपनी 18 कंपनियो के माध्यम से कई हजार करोड़ का नगद लेन-देन किया है। कम्पनी के सन् 2006 से चल रहे लगभग एक दर्जन प्रोजेक्टों में से एक भी प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया गया है और हजारों निवेशको की हजारों करोड़ रूपए की खुन-पसीने की गाढ़़ी कमाई इन प्रोजेक्टों में फंसी हुई है।
मधुर गुप्ता ने फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त अमिताभ ढिल्लों और उनके मातहत अधिकारियों विशेष रूप से आर्थिक अपराध शाखा के इंचार्ज प्रदीप सिंह डांगी और जांच अधिकारी मेनपाल सिंह एवं अन्य अधिकारियों के कार्य एवं उनके द्वारा रात-रातभर की जा रही मेहनत की प्रशंसा भी की लिसके फलस्वरूप आज दोषीगण सलाखों के पीछे पहुंच पाएं हैं।
साथ ही साथ मधुर गुप्ता ने अन्य पीडि़त निवेशकों से भी आह्वान किया कि वे निडर होकर अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज कराये एवं धोखाधड़ी में संलिप्त लोगों का पर्दाफाश करने में पुलिस एवं प्रशासन का सहयोग करें।
मधुर गुप्ता के अनुसार पीयूष ग्रुप के विरूद्ध आर्थिक अपराध शाखा,, मंदिर मार्ग, नई दिल्ली में भी अभी हाल ही में लगभग 50 शिकायतें दर्ज की गयी है, जिनकी जांच चल रही है।

 

 

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