मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
नई दिल्ली, 31 जनवरी: आम बजट से ठीक पहले सस्ते लोन के मोर्चे पर आम आदमी को झटका लगा है। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक एसबीआई ने डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर इसके संकेत भी दिए हैं। जमा पर ब्याज दरें बढऩे को सीधे तौर पर महंगे कर्ज से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगले हफ्ते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से सस्ते कर्ज की कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वित्त मंत्रलय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन भी इस तरह के संकेत दे चुके हैं। एसबीआई ने बल्क डिपॉजिट पर ब्याज दरों में 0.50 से 1.40 फीसद तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है।
दरअसल तकरीबन दो वर्ष बाद बैंकों से कर्ज लेने वालों की रफ्तार इनमें जमा राशि रखने वाले ग्राहकों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। रेटिंग एजेंसी इकरा ने जारी रिपोर्ट में पांच जनवरी तक के आंकड़ों के आधार पर कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक 2.02 लाख करोड़ रुपये की राशि बतौर कर्ज बांटी गई है। इसी अवधि में बैंकों में जमा राशि के तौर पर 1.27 लाख करोड़ रुपये आए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में बैंकों को कर्ज बांटने के लिए ज्यादा से ज्यादा राशि जनता से जुटानी होगी। यह काम डिपॉजिट रेट बढ़ाकर ही संभव होगा।
इकरा के मुताबिक बीते एक साल में बैंक की जमा दरों में 2.40 फीसद की औसतन कटौती हो चुकी है। इसलिए अब इसमें बढ़ोतरी होनी तय है। इकरा की इस बात को एसबीआई की घोषणा से पुख्ता आधार भी मिल गया है। एसबीआइ ने फिलहाल बल्क डिपॉजिट पर जमा दरें बढ़ाकर इसकी शुरुआत की है। एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि की सावधि जमा को बल्क डिपॉजिट की श्रेणी में रखा जाता है।
एसबीआइ ने 46 से 210 दिनों तक के लिए बल्क जमाओं पर देय ब्याज दरों को 4.85 फीसद सालाना से बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया है। एक वर्ष की अवधि की बल्क जमाओं पर ब्याज दरों को भी एक फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद किया गया है। बैंक ने बुजुर्गो को भी आकर्षित करने की कोशिश की है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वर्ष से 455 दिनों तक की जमा स्कीमों पर ब्याज दर 5.75 फीसद से बढ़ाकर 6.75 फीसद किया गया है।
बैंकिंग की दुनिया में जमा स्कीमों पर ब्याज दर बढ़ाने को कर्ज महंगा करने के पहले कदम के तौर पर देखा जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद सुब्रमणियन ने भी महंगे कर्ज का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, दूसरी तरफ विकास दर भी रफ्तार पकड़ रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती करने का विकल्प नहीं रहेगा। आरबीआई सात फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करने वाला है। अब तो कई अर्थविद यह कहने लगे हैं कि भारत में सस्ते कर्ज का माहौल लौटने में अभी काफी वक्त लगेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *