मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
नई दिल्ली, 31 जनवरी: वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में पेश होने वाले बजट में रोजगार को बढ़ावा देने के इरादे से खास तौर पर महिलाओं के लिए कई लाभकारी कदमों की घोषणा कर सकते हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि आम बजट में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ईपीएफओ द्वारा संचालित योजनाओं में महिला कर्मियों के लिए अंशदान की दर को कम रखने की घोषणा हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि महिला कर्मियों के लिए पीएफ योजनाओं में अंशदान की घटी दर 6 से 10 फीसदी के बीच हो सकती है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा आम बजट में रोजगार बढ़ाने खासतौर पर महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए नियोक्ता को प्रोत्साहन देने जैसे कदमों की घोषणा की जा सकती है। वर्तमान में ईपीएफओ योजना के तहत नियोक्ता कर्मचारियों के हिस्से के तौर पर 12 फीसदी का अंशदान देता है और नियोक्ता की ओर से 9.49 फीसदी का अंशदान किया जाता है। औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी ईपीएफओ से बीमा, पेंशन तथा भविष्य निधि जैसे लाभ पाने के हकदार होते हैं। 20 कर्मचारियों वाले सभी संस्थान में ईपीएफओ लागू होता है।
सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा बजट में देश के श्रमबल में महिला-पुरुष के व्यापक अंतर को पाटने का प्रयास किया जाएगा, जिसका संकेत आर्थिक समीक्षा 2017-18 में भी दिया गया है। नियोक्ताओं को महिला कर्मचारियों की भर्ती के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
2017-18 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश के मौजूदा श्रमबल में महिला-पुरुषों के बीच अंतर 50 फीसदी से भी अधिक है और यह अंतर ब्राजील, इटली, इंडोनेशिया और मेक्सिको जैसे विकासशील देशों से काफी ज्यादा है। जेटली द्वारा पेश की गई आर्थिक समीक्षा का रंग भी इस बार गुलाबी रखा गया है। जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास को दर्शाता है।
आम बजट में औपचारिक क्षेत्र में कर्मचारियों की नियुक्ति की लागत को भी कम करने तथा कर्मचारियों के हाथ में मिलने वाले वेतन को बढ़ाने के उपायों की घोषणा की भी जा सकती है। इनमें कर्मचारी डिपॉजिट लिंक्ड योजना ईडीएलआई में कर्मचारियों के अंशदान को कम करने का ऐलान हो सकता है। नियोक्ता को ईडीएलआई योजना में अपने हिस्से के तौर पर 0.5 फीसदी का भुगतान करना होता है।
इस योजना के तहत ईपीएफओ के सदस्य कर्मचारी की मौत होने की स्थिति में उनके परिवार के सदस्यों का वित्तीय मदद दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इसमें अंशदान का हिस्सा घटाकर 0.1 से 0.2 फीसदी कर सकती है। इसके साथ ही सरकार नियोक्ता के लिए प्रशासनिक शुल्क को भी 0.65 फीसदी से घटाकर 0.25 से 0.5 फीसदी कर सकती है।

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