महेश गोयल, दीपक चौधरी, राजेन्द्र अग्रवाल और सीए नीरज गोयल आदि के बीच कड़ा मुकाबला

गोस्वामी परिवार को नगर निगम की राजनीति से बाहर कर बदलाव करने का मुड बना रही है जनता

मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 02 जनवरी (नवीन गुप्ता): आगामी 8 जनवरी को होने वाले पार्षद पद के नगर निगम चुनावों में जीत को लेकर उम्मीदवारों मेंं संशय का माहौल बना हुआ है। वार्ड न०-37 में सभी उम्मीदवार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही है। वार्ड-37 में फिलहाल किसी भी उम्मीदवार की स्थिति साफ नहीं है।
अगर हम सबसे पहले बात करें कालोनी के निवर्तमान पार्षद के.जी.गोस्वामी की तो उनके बारे में आम लोगों की राय है कि वो हर अमीर-गरीब के काम के लिए हर समय तैयार रहते है। इसलिए लोगों मेंं उनके प्रति थोड़ी सहानुभूति है, लेकिन अगर बात करें इस बार चुनावों में पारिवारिक विवाद के चलते उनकी जगह खड़े उनके पुत्र विनोद गोस्वामी उर्फ बिन्नी की तो बाजार में उनकी छवि वैसी नहीं हैं जैसे कि उनके पिता की है। लोगों में विनोद गोस्वामी के प्रति नकारात्मक माहौल है। इसलिए पिछली तीन बार से नगर निगम सदन में बतौर पार्षद क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे गोस्वामी परिवार के लिए इस बार यहां से पार्षद बनना इतना आसान नहीं हैं जितना वो समझ रहे हैं। वैसे भी बाजार के लोग इस बार बदलाव के मुड में नजर आ रहे हैं।
अब नम्बर आता है केन्द्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के यहां से उम्मीदवार व स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा के समर्थक कहे जाने वाले महेश गोयल को तो उनको पार्टी से बागी होकर उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दीपक चौधरी व राजकुमार चौधरी जहां उनकी जीत में रोड़ा बना हुए है, वहीं इनसे ज्यादा खतरा भाजपा उम्मीदवार महेश गोयल को भाजपा के उन भीतरघातियों /विभीषणों से हैं जोकि पार्टी में रहकर अंदरखाने उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि हम बात करें इस चुनाव में बिरादारीवाद की जो वैश्य समुदाय से वार्ड-37 से भाजपा उम्मीदवार महेश गोयल सहित सीए नीरज गोयल और राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल तीन उम्मीदवार अपनी-अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल भी पार्षद रहे चुके रह चुके हैं। वो बात अलग है कि पिछली बार वो मेन बाजार यानि शहर से पार्षद थे और अब नई वार्डबंदी के बाद अपने क्षेत्र के वार्ड-37 में शामिल हो जाने के बाद यहां से किस्मत आजमा रहे हैं। इन तीनों ही उम्मीदवारों की एक-दूसरे के क्षेत्र में नजदीकी रिश्तेदारियां हैं जिसके चलते लोगों में इन उम्मीदवारों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि वो किसका साथ दे और किसका विरोध करें। यही कारण है कि कोई खुलेआम तो कोई अंदरखाने इन प्रत्याशियों की मदद कर रहा हैं। जहां तक भाजपा उम्मीदवार महेश गोयल की बात है तो वो चुनाव जीतने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय विधायक मूलचंद शर्मा का समर्थक होने का खामियाजा उन्हें इस चुनाव में भुगतना पड़ सकता हैं क्योंकि मूलचंद शर्मा की छवि क्षेत्र में कोई खास नहीं हैं। क्षेत्र की जनता अंदरखाने उनके व्यवहार के चलते उनसे काफी नाराज है। ऐसे में महेश गोयल का भी भाजपा टिकट पर जीतना इतना आसान नहीं हैं जितना कि वो मानकर चल रहे हैं।
जहां तक बात है भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दीपक चौधरी की तो वो अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे। लेकिन उनको झटका तब लगा जब आज सोमवार को ही सुबह भाजपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें भाजपा से बाहर निकाल फैंक उन्हें उनकी राजनैतिक औकात बता दी। इससे पहले वे वार्ड मेंं यह कहते घूम रहे थे कि चुनाव जीतने के बाद भाजपा उन्हें दामाद की तरह अपनी गोदी में बैठाकर निगम सदन में कोई महत्वपूर्ण पद देगी। लेकिन पार्टी से निष्कासन के बाद उनका यह सपना भी चकनाचूर हो गया तथा लोगों के सामने उनकी असलियत उजागर हो गई। अपने आपको केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर व उनके सुपुत्र देवेन्द्र चौधरी का खासमखास बताने वाले दीपक चौधरी के खिलाफ यह कार्यवाही होते ही दीपक के सभी मंसूबों पर पानी फिर किया।
रही बात बाकी उम्मीदवारों की तो वो चुनाव जीते या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि वो चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की हार या जीत में एक-दूसरे की वोट काटकर रोड़ा अटकाने का काम तो जरूर कर रहे हैं।
अब देखना यह कि आगामी 8 अप्रैल को होने वाले निगम चुनावों में ऊंट किस करवट बैठता है। किसकी नैया पार होती है और किस-किस की जमानत जब्त होती है। –
भाजपा से निष्कासित राजकुमार चौधरी जोकि हाल ही में जेल की हवा खाकर आए हैं, तथा अन्य उम्मीदवारों से संबंधित चुनावी विश£ेषण जानने के लिए पढ़ते रहिए मैट्रो प्लस -क्रमश:

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