मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 12 अप्रैल: खुशहाली संगठन के लाभ के साथ जुड़ा है, बीके शिवानी ने 6 अप्रैल 2017 को आईएएचसी नई दिल्ली में एआईएमए द्वारा आयोजित लाइफ बिजनेस एंड परसूट ऑफ हैप्पीनेस एडिंग स्पिरिचैलिटी टू मैनेजमेंट सम्मेलन में कहा। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब पहले स्वस्थ रहना और फिर काम करना है। आज क्या हो रहा है कि भले ही लाभ बढ़ रहा है, कंपनी में खुशी, स्वास्थ्य और सद्भाव कम हो रहा है। एक अच्छे संगठन में शाम को वापस जाने वाले लोग सुबह में आने से ज्यादा खुश होने चाहिए। हमें काम करने के लिए स्वस्थ और सुखी मन की जरूरत है।
इस अवसर पर डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष जेपी मल्होत्रा ने बीके शिवानी को अपनी किताब ष्टिप्स- द ब्राइट आयडियाज की एक प्रति प्रस्तुत की। उन्होंने श्री मल्होत्रा को कुछ लिखने का सुझाव दिया जो कर्मचारियों और नियोक्ताओं को क्रोध रहित और खुशी का माहौल बनाए रखने में सहायता करेगा।
उन्होंने कहा कि सबसे आसान काम है आदत को बदलना और अनुशासित होना। आकस्मिकता गलती पर वार करता है लेकिन क्रोध व्यक्ति को मारता है। गलतियां लापरवाही और डर के कारण होती हैं। क्रोध से न केवल शारीरिक कष्ट होता है, भावनात्मक कष्ट भी होता है। हम यह उम्मीद करते हैं कि जिस तरीके से हम चाहते हैं लोग वैसे ही हों, जो वे नहीं होते हैं। यही हमारे क्रोध का कारण है। उन्होंने सलाह दी कि जिस तरह कंपनियों में धूम्रपान निषेध क्षेत्र हैं वैसे ही हम क्रोध-मुक्त एंगर फ्री कंपनियां बनाएं।
इस मौके पर श्रीमति शिवानी ने कहा कि हर किसी के पास एक कारण और तर्क है कि आप कौन हैं और आप क्या करते हैं। हर एक को स्वीकार करने की अच्छी आदत डालें। संस्कार का अर्थ है परेशान न होना। हम क्रोधित होते हैं जब हम उम्मीद करने लगते हैं। मतभेद स्वीकार करें और ऊर्जा और खुशी बनाए रखें।
लीडरशिप पर उन्होंने कहा कि एक लीडर अशांत नहीं हो सकता। लीडर वही है जो धन और खुशी के साथ घर आता है। प्रतियोगिता शब्द को संगठन से निकाल दें। प्रत्येक कर्मचारी की क्षमता अलग है, योग्यता अलग है। भ्रष्टाचार और समझौता केवल इसलिए आते हैं क्योंकि हम आगे बढऩा चाहते हैं और इससे बीमारी, क्रोध, डर, चिड़चिड़ापन, ईष्र्या और प्रतियोगिता पैदा होती है। शांति आपको शक्ति और आध्यात्मिकता आपको व्यक्तित्व देता है। सिस्टर शिवानी ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे कंपनी में खुशियां और मुनाफा दोनों लाएं, प्रबंधकों को सलाह दी कि वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा दें।
इस अवसर पर जेपी मल्होत्रा ने प्रबंधन के साथ आध्यात्मिकता को जोडऩे वाले उत्कृष्ट और रोमांचक व्याख्यान के लिए श्रीमति शिवानी का व्यक्तिगत रूप से आभार व्यक्त किया।

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