अमित मित्तल तो बहाना था, लोगों का बर्बाद करके दिखाना था
फाईनेंसरों से तंग आकर शहर में शुरू हो गया है मारपीट का सिलसिला।
फाईनेंसर बनाम इंवेस्टर मामले में मैट्रो प्लस का खुलासा शुरू पार्ट-1
नवीन गुप्ता
बल्लभगढ़, 6 मार्च: जिले के नामी-गिरामी बिल्डरों तथा शहर के फाईनेंसरों की धींगामस्ती से परेशान उनके जाल में फंसे व्यापारी वर्ग ने मौत को गले लगाना छोड़ अब इन फाईनेंसरों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में मेन बाजार में अपना पैसा ना मिलने पर जहां तोतले ऊन वालों के नाम से मशहूर हेमा ऊन वालों ने पिछले सप्ताह योगेश जिंदल बर्तन वाले की जमकर ठुकाई कर दी वहीं कल शनिवार को चावला कालोनी में भी श्याम मंगला तथा रिंकु मंगला नामक दो फाईनेंसर भाईयों की एक युवा व्यापारी मनोज ने अपनी पांच लाख रूपये की रकम ना मिलने पर ठुकाई कर डाली। इससे पहले फरीदाबाद में ओजोन ग्रुप वालों के भाई राजेश अग्रवाल तथा पवन व राजेश्वर गर्ग धौजियां भी अलग-अलग घटनाक्रमों में व्यापारियों की मार के शिकार हो चुके है। इनके साथ तो हुई मारपीट के विडियो भी सोशल मीडिया के माध्यम से मार्किट में वायरल हो चुके हैं।
और दूसरी तरफ यदि हम बात करें शहर में विनोद मामा के नाम से विख्यात विनोद गर्ग, अमित मित्तल, बिसन बंसल, राजेश्वर गर्ग, पवन गर्ग धौजिया, योगेश जिंदल बर्तन वाले, श्याम मंगला, रिंकु मंगला, दिनेश मंगला उर्फ गुल्ला, दानी सिंगला, कृष्ण माहेश्वरी, दिनेश, श्याम कारसनी ज्वैलर्स वाले, श्याम बर्तन वाला श्याम जिंदल, कमल फैशन हाऊस वाला, सुरेन्द्र, महेन्द्र, प्रकाश घी वाला, मधुर गुप्ता, नंदकिशोर पुन्हाना वाला, होडल निवासी रिलेक्शो शूज वाले आदि उन छोटे-बड़े फाईनेंसरों की जिनके माध्यम से व्यापारी वर्ग ने अपने खून-पसीने की कमाई के साथ-साथ अपनी दो नंबर की रकम भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से डेढ़ से ढाई प्रतिशत तक के ब्याज पर एसआरएस ग्रुप, पीयूष ग्रुप, ओजोन ग्रुप आदि जिले के नामी-गिरामी बिल्डरों के यहां लगा रखी थी तो आज की तारीख में बिल्डरों को छोड़कर सबकी हालत खस्ता हुई पड़ी है। करीब 30 से 50 हजार करोड़ रूपये की इस रकम ने फरीदाबाद जिले की अर्थव्यवस्था को पलटकर रख दिया है। इस सारे मामले में शहर के कई भाजपा तथा कांग्रेस नेता भी अपनी-अपनी रोटी सेंक रहे है जिनके नामों का खुलासा हम अपनी अगली खबरों में विस्तार से करेंगे।
जैसा कि मैट्रो प्लस पहले भी कह चुका है कि अमित मित्तल जैसे फाईनेंसर तो बहाना थे, बिल्डरों को तो लोगों का बर्बाद करके दिखाना था। और यह बात एकदम सच साबित भी हुई। इन फाईनेंसरों को मोहरा बनाकर शहर के बिल्डरों ने भाजपा सरकार में दम तोड़ चुकी प्रोपर्टी मार्किट में भी अपने शैतानी दिमाग का इस्तेमाल करते हुए अपने उन फ्लैटों को मनचाहे दामों में व्यापारी वर्ग को पेल दिए जिन्हें कोई देखना तक पसंद नहीं करता था। और तो और इन्होंने व्यापारी वर्ग की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनकी अपने यहां इंवेस्ट की हुई दो नंबर की कमाई के बदले में उन्हें वो फ्लैट भी हवा में पेल दिए जोकि अभी बने भी नहीं है और सिर्फ कागजों में उनका नक्शा ही है, फ्लैट वाली जमीन खाली पड़ी है। एसआरएस आईटी टॉवर की सातवीं मंजिल पर यह धंधा दबकर चल रहा है। एसआरएस के प्रोपर्टी से संबधित इस गौरखधंधे की खबर मैट्रो प्लस अब से करीब नौ साल पहले अपने 10 से 16 दिसंबर-2007 के अंक में एसआरएस यानि सारा रूपया साफ शीर्षक से प्रकाशित की थी जो आज सच साबित हो रही है।
इस सारे मामले में फाईनेंसर और बिल्डरों ने लोगों को बर्बाद करने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाकर अपनी दो नंबर की रकम को एक नंबर की कर अपने प्रोपर्टी के धंधे का चलाया। नामों के साथ पूरे खुलासे के साथ फाईनेंसर बनाम इंवेस्टर मामले में जल्द ही फिर से देखिए पत्रकार नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट।   -क्रमश:

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