मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
नई दिल्ली, 17 अप्रैल: सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी ने सिगरेट बनाने वाली कंपनी आईटीसी में निवेश कर हजारों करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। निजी बीमा कंपनियों की स्वास्थ्य के प्रति जवाबदेही की नीति के चलते सिगरेट कंपनियों से निवेश निकालने का फायदा एलआईसी जैसी सरकारी कंपनियों को मिला है।
वैश्विक स्तर पर कई बीमा तथा म्यूचुअल फंड कंपनियां तंबाकू जैसे क्षेत्रों में निवेश से दूर रहती हैं। पिछली तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र की चारों बीमा कंपनियों को आईटीसी में अपनी 21 प्रतिशत पर 15,000 करोड़ रुपये का लाभ हुआ जब कि पूरे 2016-17 इस निवेश पर फायदा 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का रहा।
इसके अलावा एसयूयूटीआई ;यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया की विशेषीकृत इकाईद्ध के जरिये सरकार ने आईटीसी में 31,000 करोड़ रुपये मूल्य की हिस्सेदारी ले रखी है। एसयूयूटीआई पूर्व यूटीआई के निवेश पोर्टफोलियो की होल्डिंग कंपनी है। एसयूयूटीआई ने हाल में आईटीसी में करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी 6,700 करोड़ रुपये में बेची।
उसके बाद निजी कंपनी में उसकी हिस्सेदारी घटकर 9.1 प्रतिशत पर आ गयी। आईटीसी का बाजार मूल्यांकन करीब 3.4 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि कंपनी विविध कारोबार में लगी है लेकिन अब भी उसकी कुल आय में सिगरेट कारोबार का एक बड़ा योगदान है।एलआईसी की हिस्सेदारी प्रतिरूप के विश्लेषण से पता चलता है कि उसकी आईटीसी में करीब 16.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जीवन बीमा कंपनी ने पिछली तिमाही में हिस्सेदारी 2 प्रतिशत बढ़ायी और उसके पास फिलहाल 55,000 करोड़ रुपये मूल्य की हिस्सेदारी है।
एलआईसी के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों जैसे की ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी,न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी तथा जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया की भी अच्छी हिस्सेदारी है । जिसका मूल्य करीब 17,000 करोड़ रुपये है।
हाल में बंबई उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों की तंबाकू उद्योग में भारी निवेश तंबाकू के खिलाफ सरकार के रुख के खिलाफ है। एक तरफ जहंा सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां आईटीसी में निवेश की हुई हैं। जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ तथा कई म्यूचुअल फंड समेत निजी क्षेत्र की कंपनियों ने अपनी हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी की है या निवेश निकाल लिया है।
कई म्यूचुअल फंड तथा निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों के शीर्ष कार्यकारियों का कहना है कि उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी चिंता के कारण जिम्मेदार निवेश रणनीति के तहत तंबाकू और शराब जैसे क्षेत्रों में अपना निवेश हटा दिया है या उसमें काफी कमी लायी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *