राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी जिला स्तर की राजनीति करने पर उतरते नजर आए।
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 6 सितम्बर:
अजीब दास्तां हैं ये, कहां शुरू कहां खत्म, ये मंजिलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके ना हम। मशहुर गायक लता मंगेशकर के गाने की उक्त पंक्तियां प्रदेश में सत्तारूढ़ जननायक जनता पार्टी यानि जजपा की कार्यप्रणाली पर एकदम फिट बैठती हैं। आलम यह है कि जिस जजपा को डॉ. अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने अपने खुन-पसीने की मेहनत से सींच इस लेवल पर खड़ा किया उस पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी अब जिला स्तर की राजनीति करने पर उतर आए हैं, जो पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
वो कैसे? तो बता दें कि फरीदाबाद में जजपा हाईकमान ने पार्टी का जिला अध्यक्ष तो राजेश भाटिया को बना रखा है, लेकिन उनके हाथ में पॉवर शायद कुछ नहीं दे रखी। राजेश भाटिया की नियुक्ति जजपा के संरक्षक डॉ. अजय सिंह चौटाला के हाथों जिला अध्यक्ष के तौर पर 11 मार्च, 2021 को हुई थी, लेकिन वो अब तक अपनी जिला कार्यकारिणी घोषित नहीं कर पाए थे। इसके पीछे क्या कारण रहे या क्या राजनीति रही, ये तो वो ही जाने। लेकिन बताया ये जा रहा है कि राजेश भाटिया ने करीब 62-63 लोगों की कार्यकारिणी की लिस्ट पार्टी हाईकमान को भेज रखी थी। और अब जब कार्यकारिणी घोषित हुई भी तो वो लिस्ट कांट-छांटकर और जोड़तोड़ कर 40 पदाधिकारियों की लिस्ट जिला अध्यक्ष राजेश भाटिया की बजाए जजपा के राष्ट्रीय सचिव कृष्ण जाखड़ ने जारी की वो भी एक सुनियोजित राजनीति के तहत एक कामचलाऊ प्रेस कांफ्रेंस करके। हालांकि इस कांफ्रेंस में जिला अध्यक्ष राजेश भाटिया मौजूद तो थे लेकिन वो एक डमी कॉपी की तरह चुपचाप असहाय से बैठे नजर आए। उन्होंने अपनी जिला कार्यकारिणी को लेकर ना तो वहां कोई एक भी शब्द बोला और ना ही कोई प्रैस नोट जारी किया। यहां तक की जिन लोगों को जिला कार्यकारिणी में शामिल किया गया, वो पदाधिकारी तक भी वहां मौजूद नहीं थे, या हो सकता है उनको वहां बुलाया ही ना गया हो।
यहां यह भी बता दें कि जिस फरीदाबाद जिले के संगठन की कमान पार्टी ने जिला अध्यक्ष के तौर पर राजेश भाटिया को दे रखी है, उस जिला अध्यक्ष को भी कार्यकारिणी घोषित होने से पहले तक भी नहीं पता था कि उनकी जिले की कार्यकारिणी घोषित होने जा रही है। इस बात की पुष्टि करते हुए स्वयं जिला अध्यक्ष राजेश भाटिया ने बताया कि उन्हें तो मीटिंग में शामिल होने की बात कहकर करीब आधे घंटे पहले ही वहां बुलाया गया था। उनसे कार्यकारिणी घोषित करने को लेकर किसी ने किसी ने कोई विचार विमर्श नहीं किया और ना ही उनके पास पार्टी हाईकमान से अप्रुव होकर कोई लिस्ट आई। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लिस्ट जारी हुई है, उसका वे हाईकमान का आदेश मानकर पालन करेंगे और पहले की तरह पार्टी हित में कार्य करते रहेंगे।
वैसे देखा जाए तो कायदा तो यह कहता है कि जिला अध्यक्ष को ही अपनी कार्यकारिणी घोषित करने का अधिकार होता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नजर नहीं आया। यहां सभी कार्यवाही को जजपा के राष्ट्रीय सचिव कृष्ण जाखड़ और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता उमेश भाटी ही लीड करते नजर आए। जो काम जिला अध्यक्ष राजेश भाटिया को करना चाहिए था, उसे राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी जिला स्तर पर करते नजर आ रहे हैं जोकि पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
इस बारे में जब जिला अध्यक्ष राजेश भाटिया से बात की गई तो उनका कहना था कि पार्टी हाईकमान को जब भी आदेश होगा, उसका वो सम्मान करेंगे। वहीं कार्यकारिणी घोषित करने को लेकर जब जजपा के राष्ट्रीय सचिव कृष्ण जाखड़ से बात की गई तो उनका कहना था पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेशों पर लिस्ट जारी की जाती है जिसकी वो जिम्मेवारी लगाते हैं। साथ मैं जिलाध्यक्ष को लिया जाता है। और जब उनसे पुछा गया कि जिला अध्यक्ष का काम क्या होता है तो उनका कहना था कि संगठन चलाना। मीटिंग में होने की बात कहकर वो बाकी सवालों के जवाब वे देने से कतराते हुए वो बचते हुए नजर आए।
वहीं पार्टी के प्रदेश सचिव प्रेम सिंह धनकड़ से जब उपरोक्त संदर्भ में बात की गई तो उनका कहना था कि जिला कार्यकारिणी घोषित करने का अधिकार जिला अध्यक्ष का होता है, ना किसी किसी राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी का। उनसे जब पूछा गया कि आप उस प्रेस कांफ्रेंस में नहीं थे तो उनका कहना था कि तो बुलाया ही नहीं गया था। यहीं नहीं कायदे से तो इस तरह की कांफ्रेंस में पार्टी के सभी हल्का अध्यक्षों, संयोजकों तथा प्रदेश के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को बुलाना चाहिए था, जोकि नहीं बुलाए गए।
ऐसे में सवाल यहां यह उठता है कि जब जिला अध्यक्ष का काम संगठन चलाना है तो फिर उसकी कार्यकारिणी को बनाने और उसको घोषित करने का अधिकार भी जिला अध्यक्ष को होना चाहिए ना कि राष्ट्रीय स्तर के किसी पदाधिकारी को।
कुल मिलाकर इस प्रकरण से फरीदाबाद में जजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में एक-दूसरे की टांग खिंचाई करने का मौका मिल गया है जिससे गुटबाजी को हवा मिलेगी जिस पर पार्टी हाईकमान को तुरंत लगाम लगानी चाहिए अन्यथा भविष्य में पार्टी को चुनावों में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
-क्रमश:

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