जान बचाते घूम रहे भगवान ने लगाई सीबीआई जांच के लिए दस्तक
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 8 मार्च: मनी लांर्डिंग, इन्कम टैक्स व सर्विस टैक्स की चोरी जैसे ऐसे कौन से गैर-कानूनी काम नहीं हैं जोकि शहर का एक नामी-गिरामी डिफाल्टर बिल्डर पीयूष ग्रुप नहीं करता हो। अब इस ग्रुप के मालिक पड़ गए हैं भगवान के पीछे जिनसे बचता हुआ वो इधर उधर अपनी जान बचाता घूम रहा है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं उस भगवान की जिसका पूरा नाम भगवान दास अरोड़ा है और वो पिछले काफी समय से मनी लांर्डिंग का गैर-कानूनी काम करने वाले पीयूष ग्रुप के मालिकों अनिल गोयल, अमित गोयल व पुनीत गोयल से बचता हुआ अपनी जान बचाता घूम रहा है। और पुलिस है कि कोई सुनवाई करने को राजी नहीं हैं। कार्यवाही के नाम पर शिकायत को एक थाने से दूसरे थाने में भेजकर पीडि़त को परेशान किया जा रहा है। ये हाल तो तब है जब स्वयं पुलिस कमिश्रर ने इस मामले को व्यक्तिगत तौर पर सुनते हुए डीसीपी सैंट्रल को इस मामले की जांच कर कार्यवाही करने के आदेश दिए। पीयूष ग्रुप के मालिकों और उसके कारिंदों से तंग होकर अब पीडि़त भगवान दास अरोड़ा ने राष्ट्रपति सहित देश-प्रदेश की 30 अथार्रिटी को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है।
पीडि़त भगवान दास अरोड़ा ने मैट्रो प्लस को रूआंसे स्वर में अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह पीयूष ग्रुप के साथ सन 2006 से जुड़े हुए हैं। सैक्टर-16 स्थित अपने एससीओ नं.-13 को भी उन्होंने पीयूष ग्रुप को अप्रैल 2010 से किराए पर दे रखा था जहां पीयूष ग्रुप ने अपना कार्यालय खोला हुआ था।
श्री अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों सहित पीयूष ग्रुप के विभिन्न प्रोजेक्टों में समय-समय पर 9 करोड़ 6 लाख रूपये सन 2013 तक लगाए हुए थे। जब पीयूष ग्रुप ने उनकी रकम तय समय पर ना लौटाई तो उन्हें अपने रिश्तेदारों की वो रकम अपनी जमीन जायदाद बेचकर लौटानी पड़ी। अरोड़ा का कहना है कि पीयूष ग्रुप द्वारा उक्त रकम की एवज में उन्हें उनकी रकम के चैक भी जारी किए हुए थे। अब जब ये चैक बैंक से बाऊंस हो गए तो उन्होंने अदालत में 138 के तहत दो मुकदमे अलग-अलग दायर कर दिए। अब जब इन केसों के चलते पीयूष ग्रुप के मालिक अपने कारिंदों के द्वारा उन पर हमला करवाकर उन्हें डराने में लगे हुए हैं ताकि मैं अदालत से इनके खिलाफ दायर अपने केस वापिस ले लूं। बकौल भगवान इसके लिए ये लोग उनके ऊपर 9 दिसम्बर, 2017 को भी फायरिंग कर जानलेवा हमला करा चुके हैं। वो बात अलग है कि वो इस हमले में वो इसलिए बच गए थेे कि उस समय उनकी रिवाल्वर में गोली नहीं थी।
बकौल अरोड़ा पीयूष ग्रुप वाले उनका उक्त एससीओ भी हड़पना चाहते हैं जिसके चलते उन्होंने अपना ये एससीओ अपनी बेटी ईपशा विशाखा के नाम कर दिया क्योंकि अगर उन्हें कुछ हो गया तो उनके बच्चे भूखे ना मरें। अरोड़ा का कहना है कि उनके पास पीयूष ग्रुप के मालिकों के खिलाफ मनी लांर्डिंग, इन्कम टैक्स व सर्विस टैक्स की चोरी जैसे काफी सबूत है जिनको लेकर पीयूष ग्रुप के मालिक उनकी व उनके परिजनों की जान के पीछे पड़े हैं। उनका कहना है कि भविष्य में उनके या उनके परिवार वालों के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो उसके जिम्मेदार सीधे तौर पर पीयूष ग्रुप के मालिक अनिल गोयल, अमित गोयल, पुनीत गोयल तथा इनके कारिंदे होंगे।
यहीं कारण भी रहा है कि भगवान दास अरोड़ा ने अपनी मौत के डर से अपनी पत्नी मोहिनी अरोड़ा सहित अपना पूरा शरीर 17 जनवरी, 2018 को मेडिकल परीक्षण के लिए मरणोपरांत एम्स को दान किया हुआ है। साथ ही उन्हें डर से अपनी बेटी की नौकरी भी छुड़वानी पड़ी। यहीं नहीं, उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर अपने परिवार की सहमति से अपने पूरे शरीर को जीते जी देश के अंदर हो रहे हेड ट्रांस्पलेट के लिए देने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा है कि यदि मेरा शरीर हेड ट्रांस्पलेट या इसके अतिरिक्त किसी और मेडिकल परीक्षण के लिए देश के काम आता है तो वे अपने आप को धन्य समझेंगे।
अब सवाल यहां यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि पुलिस प्रशासन पुलिस कमिश्रर के आदेशों के बाद भी भगवान दास अरोड़ा की शिकायत वर कार्यवाही नहीं कर रहा जिसके चलते अपनी हत्या होने के डर से अरोड़ा को अपनी सहित अपना शरीर दान देना पड़ा। क्या पुलिस प्रशासन इतना असहाय हो चुका है कि उसने मनी लांर्डिंग, इन्कम टैक्स व सर्विस टैक्स की चोरी जैसे गैर-कानूनी काम करने वाले बिल्डरों के आगे घूटने टेक दिए हैं। यदि ऐसा नहीं है तो फिर भगवान दास अरोड़ा को क्यों अपनी जान बचाने के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही है।

 

 

 

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