मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 21 जुलाई: पौराणिक युग में श्रवण कुमार के बारे में तो सब ने सुना होगा जिसने अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराई थी। उस युग में श्रवण कुमार ने कावड़ बनाई थी। जिसमें एक ओर अपने पिता तो दूसरी ओर अपनी माता को बिठाकर अपने कंधे के सहारे तीर्थ यात्रा कराई थी। इस कलयुग में भी श्रवण जैसे बेटे हैं। इस युग में एक नहीं बल्कि 5 श्रवण कुमार हैं। जिन्होंने अपने माता-पिता को हरिद्वार से कावड़ में बैठाकर तीर्थ कराकर आज के कलयुगी बेटों को माता-पिता की सेवा करने का संदेश दिया है।
पलवल के 5 भाई बने श्रवण
पलवल के गांव फूलवाड़ी के रहने वाले ये 5 भाई जिन्होंने माता-पिता को हरिद्वार से अपने कंधों पर ले जाकर कावड़ यात्रा कराई। इनकी माने तो सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में श्रद्धालु हरिद्वार, नीलकंठ, हरकी पौड़ी जैसी कई धार्मिक स्थलों से गंगाजल लेकर आते हैं और अपने-अपने इलाकों के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली बार की कांवड़ यात्रा में उन्होंने एक युवक को देखा तो एक गाड़ी के माध्यम से अपने माता-पिता को तीर्थ करवा रहा था। तभी से उन्होंने मन बना लिया था कि वह भी एक दिन अपने माता-पिता को भगत श्रवण कुमार की तरह ही तीर्थ यात्रा कराऐंगे। तब उनके भाई छोटे थे लेकिन इस साल उनके भाईयों ने ठान ली थी कि अब की बार वह माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराऐंगे। हरिद्वार से जल भर कर लाए हैं और पलवल जा कर अपन माता-पिता के साथ यात्रा खत्म करेंगे। वे चाहते हैं कि अपने माता-पिता की इसी तरह से सेवा करते रहें।

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