मैट्रो प्लस से शंभूनाथ गौतम की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली, 3 मार्च: लगभग 7 माह पहले पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में जब प्रधानमंत्री पद के रूप में इमरान खान ने शपथ ली थी तभी उन्होंने एलान किया था कि हम एक ‘नया पाकिस्तान’ बनाएंगे और शांति की दिशा में काम करेंगे। खान के पाकिस्तान पीएम पद की शपथ लेने के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको नया पाकिस्तान और शांति बहाली के लिए शुभकामनाएं भी दी थी। क्रिकेटर से प्रधानमंत्री बने इमरान ने कुछ देशों की यात्राएं भी की और उनसे अपने देश के लिए आर्थिक सहायता भी मांगी, जिसमें वह थोड़ा सफल भी रहे थे। हालांकि कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान की तनातनी और हिंसा ठीक वैसे ही बनी रही जैसे पहले थी। नया पाकिस्तान बनने को लेकर भारत अपने पड़ोसी पर निगाहें लगाए बैठा था। आतंकवाद, आईएसआई, कट्टरवाद और सेना ने पाक और इमरान खान को पुरानी छवि से उभरने का मौका नहीं दिया न ही प्रधानमंत्री इमरान इन सब पर नियंत्रण कर पा रहे थे। फरवरी के दूसरे सप्ताह तक भारत में सब कुछ सही चलता रहा। हमारे देश के राजनीतिक दल, नेता और जनता आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई थी। अचानक 14 फरवरी को हमारे सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले ने भारत को एक बार फिर से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जगा दिया। भारत ने भी अपने जवानों की शहादत का बदला 13वें दिन ही ले लिया। भारतीय वायुसेना के जांबाज कमांडरों ने पाकिस्तान में घुसकर जबरदस्त हमला बोलकर आतंकवादियों को ढेर कर दिया। भारत की एयर सर्जिकल स्ट्राइक से तिलमिलाया पाकिस्तान भी भारत को हमले करने की धमकी देने लगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसको नाकामयाबी ही हाथ लगी।

विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने पर बेबस हुआ पाकिस्तान—-
मिग-21 विमान पर सवार हमारे जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने पाकिस्तानी विमान एफ 16 को मार गिराया था। लेकिन इस दौरान अभिनंदन का विमान मिग-21 भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार गिर गया था। पाक सैनिकों ने अभिनंदन को गिरफ्तार कर लिया था। बालाकोट हमले से खिसिआया पाकिस्तान भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर को बंधक बनाकर विश्व में यह प्रचार करने लगा कि हमने भी भारतीय सैनिक को धर दबोचा है। आतंकवाद की छवि और पुलवामा हमले के बाद कूटनीतिक स्तर पर दुनिया में अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान ने इसके बाद इस्लामिक कार्ड भी खेला। पाकिस्तान में मुस्लिम देशों की बहुलता वाले इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी ) द्वारा भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को निमंत्रण किए जाने पर उसका बहिष्कार करने का एलान भी कर दिया। लेकिन यहां भी पाक की दाल नहीं गली, वह चंद घंटे ही इसको लेकर अपनी पीठ थपथपा सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक विदेश कूटनीति और अमेरिका,
रूस, जापान आदि देशों के राष्ट्रअध्यक्षों ने जिनेवा संधि की पाकिस्तान को याद दिलाई गई। आखिरकार पाकिस्तान को वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन को 59 घंटे में ही भारत को सौंपना पड़ा। इस मामले में भी पाक को मुंह की खानी पड़ी। अभिनंदन के सकुशल स्वदेश वापसी पर भारत ने एक बार फिर से पाकिस्तान को को बता दिया है कि अब भारत नए मिजाज का देश है, जिसमें जबरदस्त कूटनीति, ताकतवर और जांबाज सैनिकों की भरमार है। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की आक्रामक नीति का विश्व भर के नेता नेताओं ने प्रशंसा की।

इस्लामिक देशों ने भी पाक को किया दरकिनार—-

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़ते कदम और अपनी खराब छवि से अलग-थलग पड़ते पाकिस्तान को कई वर्षों के बाद बहुत ही खराब दिन देखने पड़ रहे हैं। 1 मार्च को अबु धाबी में इस्लामी देशों के संगठन (ओआईसी) की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संबोधित किया। पहली बार भारत को इसमें आमंत्रित किया गया था। इस्लामिक संगठन के संस्थापक देशों में से एक पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, पाकिस्तान ने ओआईसी को धमकी दी थी कि अगर भारत को दिया गया आमंत्रण नहीं स्थगित किया गया तो वह बैठक का बहिष्कार कर देगा। लेकिन ओआइसी ने पाक की धमकी को नजरअंदाज कर दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में आतंकियों को मिल रही मदद पर खूब खरी खोटी सुनाई। आखिरकार पाकिस्तान अपने प्रिय इस्लामिक देशों के संगठन से भी दरकिनार कर दिया गया। आखिरकार हमारा पड़ोसी कैसे नया पाकिस्तान बनाएगा यह इमरान खान और वहां की जनता को तय करना होगा की पाक को अमन चैन और शांति की ओर कैसे लाया जाए और पूरी दुनिया में आतंकवाद और कट्टरवाद का जो बट्टा लगा है उसको कैसे धोया जाए।

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