– सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना कर पत्रकारों की गिरफ्तारी करना महंगा पड़ा पुलिस अधिकारियों को, हाईकोर्ट ने किए नोटिस जारी
मैट्रो प्लस महेश गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 28 मार्च: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना कर फरीदाबाद के तीन वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ गैर-कानूनी तरीके से मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करना हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी, पुलिस कमिश्नर एवं डीसीपी सहित कई पुलिस अधिकारियों को मंहगा पड़ेगा। पीडि़त पत्रकारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की माननीय न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने उपरोक्त संबंधित सभी पुलिस अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करने के आरोप में नोटिस जारी कर उपरोक्त संदर्भ में उनसे जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट की माननीय न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एस. बरार, पवन सांखला एवं ललित सांखला ने पेश होकर उक्त मामले में तीनों पत्रकारों का पक्ष रखा। उक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि एक समाचार प्रसारित करने पर गैर-कानूनी तरीके से फरीदाबाद पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा, संजय कपूर एवं नवीन गुप्ता के खिलाफ आईटी एक्ट 67ए, 354डी एवं 499 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया जबकि तीनों पत्रकारों द्वारा प्रकाशित खबरों में किसी व्यक्ति, महिला एवं राजनैतिक दल का नाम तक नहीं था। इसके बावजूद पुलिस ने बिना किसी जांच के ही मुकदमा दर्ज कर उन्हें अनैतिक तौर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना कर हिमाचल प्रदेश के ऊना से उस समय गिरफ्तार किया, जब ये तीनों पत्रकार धार्मिक स्थल पर जा रहे थे।
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी बी.एस. संधू, फरीदाबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमिताभ ढिल्लो (वर्तमान आई.जी.हिसार), तत्कालीन डीसीपी क्राईम सुखबीर सिंह पहलवान (मौजूदा एसपी विजिलेंस गुरूग्राम), फरीदाबाद के तत्कालीन क्राईम ब्रांच सैक्टर-30 प्रभारी इंस्पेक्टर संदीप मोर सहित गिरफ्तारी टीम में शामिल रहे सब-इंस्पेक्टर रविन्द्र सिंह, एएसआई अनूप तथा हवलदार राजीव नामक पुलिस कर्मचारियों को व्यक्तिगत नोटिस जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इन सभी पुलिस अधिकारियों से 23 मई, 2019 तक जवाब मांगा है कि क्यों ना तुम्हारे खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करने के आरोप में अवमानना करने की कार्रवाई की जाए।
उल्लेखनीय है कि 15 अप्रैल, 2018 को उपरोक्त पत्रकारों ने अपने-अपने ऑनलाईन वेब न्यूज पोर्टल पर एक विधायक व एक नेत्री के मामले को लेकर खबर प्रसारित की थी। इनके न्यूज पोर्टल में उक्त खबर प्रसारित होने से पहले यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और शहरभर में खासी चर्चा का विषय बना हुआ था। वेब पोर्टल में यह खबर प्रसारित होने के बाद एक महिला नेत्री की शिकायत पर फरीदाबाद पुलिस ने राजनैतिक दबाव में 16 अप्रैल, 2018 को तीनों पत्रकारों के खिलाफ बिना किसी जांच के मुकदमा दर्ज कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करते हुए कार्रवाई की। जिसे आधार बनाते हुए तीनों पत्रकारों ने अपने वकील एस.एस. बराड़, पवन सांखला व ललित सांखला के माध्यम से हाईकोर्ट में गुहार लगाई। इस मामले पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की माननीय न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने 25 मार्च को सभी पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर 23 मई तक उनसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करने पर अवमानना करने के आरोप में जबाव मांगा है।
काबिलेबौर रहे कि पत्रकारों के खिलाफ की गयी इस कार्यवाही को लेकर प्रदेश के तमाम पत्रकारों ने रोष व्यक्त करते हुए उस समय धरने-प्रदर्शन भी किए थे और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मांग पत्र देकर मामला रद्द करवाने की मांग भी की थी। इस घटना का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि पत्रकार नवीन धमीजा के पिता जी इस घटना से इतने आहत हुए कि वह इतना बड़ा सदमा सहन नहीं कर पाए और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया और सदमे के कारण स्वर्ग गए। उनका परिवार इस मृत्यु के लिए भी सम्बंधित पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हैं।

 

तत्कालीन डीजीपी बी.एस. संधू

 

फरीदाबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमिताभ ढिल्लो (वर्तमान आई.जी.हिसार)

फरीदाबाद के तत्कालीन क्राईम ब्रांच सैक्टर-30 प्रभारी इंस्पेक्टर संदीप मोर

 

 

 

 

 

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