मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
बल्लभगढ़, 12 मार्च: फोटो में जो निर्माणाधीन ईमारत आपको दिख रही है, ये वही ईमारत है जिसकी बेसमेंट को गत् 31 जनवरी को नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते ने अवैध बताकर धाराशायी कर दिया था। उस समय इस तोडफ़ोड़ को भारी पुलिस बल के साये में अंजाम दिया गया था।
अब आखिर क्या कारण रहा कि पहले तो निगमायुक्त के आदेश पर अम्बेडकर चौक पर हो रहे उक्त निर्माण/बेसमेंट को अवैध बताकर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते द्वारा भारी पुलिस बल के साये में तोड़ दिया गया। अब उसी जगह पर बेसमेंट तो छोड़ो पहली मंजिल तक दुकानें भी बन गई हैं। तो अब सवाल यहां यह उठता है कि क्या अब उपरोक्त निर्माण अवैध से वैध कैसे हो गया? क्या निगम ने उक्त निर्माण का कॉमर्शियल नक्शा पास कर दिया है या फिर निगमायुक्त सहित निगम के तोडफ़ोड़ विभाग के अधिकारियों की अवैध निर्माण देखने की क्षमता को गांधी नोटों की गड्डियों की चकाचौंध ने खत्म कर दिया है। क्या अब वह दुकानें वैध हो गई हैं? ऐसे कई सवाल हैं जोकि लोगों के जहन में हैं। जिन-जिन निर्माणों को अवैध बताकर निगमायुक्त के आदेशों पर निगम द्वारा तोड़ा गया, वहां लगभग सभी जगह दोबारा से निर्माण शुरू हो चुके हैं। इसके क्या कारण हैं, आप भली-भांति समझ सकते हैं। यह सब अवैध निर्माण निगमायुक्त की ईमानदारी और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं।

निगमायुक्त के आदेशों पर धाराशाही हुए अवैध निर्माण फिर से बहुमंजिला ईमारत में बदले, जानिए कैसे?

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