राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए मजबूरी में चुनावी रणक्षेत्र में उतरी है रोनिका चौधरी
ए.सी. चौधरी की राजनीति को खत्म करने के लिए प्रयासरत है नरेश गोंसाईं
बिल्डिंग बनवाने के नाम पर लोगों से अवैध वसूली के आरोप लगते रहे हैं नरेश गोंसाईं पर
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 24 दिसम्बर (नवीन गुप्ता): फरीदाबाद नगर निगम चुनाव में वार्ड नंबर-14 से पूर्व कैबिनेट मंत्री ए.सी. चौधरी की इज्जत दाव पर लगी हुई है। चौधरी की इज्जत को लूटवाने की कोशिश करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उन्हीं का एक खास प्रतिद्धंदी नरेश गोंसाईं है जोकि कुछ समय पहले तक उनके नवरत्नों में एक खास रत्न होता था।
गौरतलब है कि नगर निगम चुनाव में वार्ड-14 से ए.सी. चौधरी ने अपनी पुत्रवधु रोनिका चौधरी को चुनावी दंगल में उतार रखा है। वहीं रोनिका को इस दंगल में मात देने के लिए नरेश गोंसाईं ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। ध्यान रहे कि नरेश गोंसाईं वह व्यक्ति है जोकि ए.सी. चौधरी के पिछले सारे उल्टे-सीधे राज जानता है और उन्हीं राज के बल पर वह रोनिका चौधरी को हराकर ए.सी. चौधरी की राजनीति को खत्म करने के लिए प्रयासरत है। यही कारण है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी ने साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते हुए अपनी पुत्रवधु रोनिका चौधरी को जिताने के लिए दिन-रात एक किया हुआ है। इसके लिए ए.सी. चौधरी वार्ड-14 के प्रत्येक ब्लॉक के एक-एक घर में स्वयं जा लोगों की हाजिरी लगाकर अब तक किए अपने गलत कार्यों की क्षमा याचना भी कर रहे हैं।
यहां यह बात भी ध्यान रहेगी कि रोनिका चौधरी का वार्ड-14 में अपना कोई व्यक्तिगत या राजनैतिक वजूद नहीं है। वो तो सिर्फ ए.सी. चौधरी के कहने पर घर की रसोई छोड़कर उनकी पुत्रवधु होने के नाते उनकी राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए मजबूरी में चुनावी रणक्षेत्र में उतरी हैं जहां से पार पाना उनके लिए इतना आसान नहीं है जितना चौधरी और उनके समर्थक समझ रहे हैं। हालांकि चौधरी के पुत्र एवं रोनिका के पतिदेव विनय चौधरी भी फिलहाल रोनिका को जिताने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं।
मजेदार बात तो यह है कि दो बार कैबिनेट स्तर के मंत्री रह चुके ए.सी. चौधरी को इस छोटे से चुनाव में जिस तरीके से दिन-रात एक कर अपनी पुत्रवधु को किसी भी कीमत पर जिताने के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि क्षेत्र में अब उनकी वो छवि नहीं है जोकि पहले हुआ करती थी।
काबिलेगौर रहे कि ए.सी. चौधरी वह व्यक्ति है जिसने अपने मंत्रीत्वकाल में नरेश गोंसाईं के चुनाव हारने पर अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए उसे निगम सदन में सरकार से पार्षद मनोनीत करवा दिया था। और आज वहीं नरेश गोंसाईं ए.सी. चौधरी के राजनीति को खत्म करने के लिए विभीषण बन उनकी राजनैतिक लंका में आग लगाने का काम कर रहे हैं।
नरेश गोंसाईं स्वयं हारे या जीते, उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं है। उनका एकमात्र उद्देश्य रोनिका चौधरी को किसी भी तरह से चुनाव हराकर ए.सी. चौधरी को उनकी औकात दिखाना है।
रही बात नरेश गोंसाईं की तो गोंसाईं ने भी यह चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। वो बात अलग है कि शहर में उनकी छवि निगम अधिकारियों के नाम पर फाइनेंसरों और बिल्डरों से अवैध वसूली की रही है। नरेश गोंसाईं पर समय-समय पर बिल्डिंग बनवाने के नाम पर लोगों से अवैध वसूली के आरोप भी सरेआम लगते रहे हैं। ऐसे में इनकी मार के शिकार लोग भी अब मौका आने पर उन्हें उनकी राजनीतिक औकात दिखाने से पीछे नहीं हटेंगे।
जो भी हो, फिलहाल वार्ड-14 का चुनाव लोगों में गुरू-चेले के बीच होने के कारण रोचक बना हुआ है।
नगर निगम फरीदाबाद के चुनावी रणक्षेत्र में बडख़ल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वार्र्ड नंबर-14 में चुनावी अभियान शुरू हो चुका है। यहां से चुनावी मैदान में जहां गुरू-चेला यानि पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी और पूर्व पार्षद नरेश गोंसाई आमने सामने है। वो बात अलग है कि निगम पार्षद का ये चुनाव ए.सी.चौधरी स्वयं ना लड़कर अपनी पुत्रवधू रोनिका को लड़ा रहे हैं। वहीं भाजपा ने यहां से सरदार जसवंत सिंह तथा बसपा ने सतनाम सिंह उर्फ मंगल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
अब हम बात करते है गुरू-चेला की तो ए.सी.चौधरी के रहमोकरम पर दो बार स्वयं तथा एक बार अपनी पत्नी चारू गोंसाई को पार्षद बनवाकर सत्ता का सुख भोग चुके नरेश गोंसाई के लिए ये चुनाव जहां प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है, वहीं ए.सी.चौधरी के लिए नगर निगम का यह चुनाव जीतना उनकी नाक का सवाल बन चुका है। कारण है उनके सामने अपने ही शार्गिद के खिलाफ चुनाव लडऩा। अगर किसी कारण नरेश गोंसाई चुनाव हार जाता है तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि रोनिका चौधरी चुनाव हार जाती है तो यह दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके ए.सी.चौधरी के लिए उनके मुंह पर एक जोरदार तमाचा होगा।
जानकारों का कहना है कि ए.सी.चौधरी ने निगम का यह छोटा सा चुनाव जीतने के लिए दिन-रात एक किया हुआ है। बताते है कि इसके लिए वो वार्ड-14 में घर-घर जाकर जहां अब तक अपने किए की माफी मांगते हुए अपनी पुत्रवधु के लिए वोट मांग रहे हैं, वहीं इस चुनाव को जीतने के लिए पैसा भी पानी की तरह अपने चापलुस समर्थकों पर बहा रहे हैं ताकि किसी भी तरह इन चुनावों में उनकी इज्जत बच जाए। इसका एक कारण यह भी है कि वो किसी भी कीमत पर नरेश गोंसाई से यह चुनाव हारना नहीं चाहते क्योंकि वो नहीं चाहते कि उन्हें उस व्यक्ति के आगे झुकना पड़े जोकि कुछ समय पहले तक उनके रहमोकरम पर जिता था।अगर हम बात करें चुनाव में खड़ी रोनिका चौधरी की तो समाज और क्षेत्र में उनको कोई नहीं जानता-पहचानता। ध्यान रहे कि रोनिका चौधरी पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी के पुत्र विनय चौधरी के पुत्र की धर्मपत्नी है जिसको ए.सी. चौधरी अब अपनी विरासत के रूप राजनैतिक तौर पर तैयार कर रहे हैं।
और अब अगर हम बात करें नरेश गोंसाई की तो उसने भी चुनावों में ए.सी. चौधरी को नीचा दिखाने तथा चुनाव जीतने के लिए दिन-रात एक किया हुआ है। हालांकि नोटबंदी के चलते खर्चे की समस्या आ रही थी, लेकिन एक राजनीतिज्ञ की तरह गोंसाई ने उसका भी हल निकाल लिया। बताते है कि नरेश गोंसाई ने चुनाव जीतने के लिए खर्चे की समस्या को दूर करने के लिए रविवार 18 दिसम्बर की रात को कुछ लोगों की एक बैठक बुलाकर उनकी कॉकटेल पार्टी की थी। इस पार्टी में आए लोगों या कहिए फाईनेंसरों से चुनाव में आर्थिक मदद करने के लिए दवाब डाला गया। सुत्रों के मुताबिक इस पर वहां आए लोगों को चाहते ना चाहते हुए भी फाईनेंस करने यानि चुनाव में फंडिग करने के लिए हां कर अपने द्वारा दी जाने वाली रकम रजिस्ट्रर में नोट करवानी पड़ी।
बात यहीं खत्म हो जाती तो अलग बात थी। फाईनेंसरों की इस फंडिग की पार्टी की बात तो तब खुली जब यहां से शराब पीकर अपने घर पहुंचे सन्नी नामक व्यक्ति जोकि इनके यहां ड्राईवरी का काम करता था, ने जब घर जाकर बताया कि आज नरेश गोंसाई ने शराब की पार्टी दी था और गोंसाई ने उससे चुनावी चंदे के लिए 2100 रूपये की हां भरवाकर उसका नाम रजिस्ट्रर में लिख लिया है। बताते है कि इस पर सन्नी के घरवालों से उसकी पिटाई कर दी। सुबह सन्नी गोंसाई के समर्थकों पर रजिस्ट्रर में से अपना नाम कटवाने के लिए धक्के खाता रहा लेकिन किसी ने उसकी बात पा सुनी।
जो भी हो, कुल मिलाकर वार्ड नंबर-14 का चुनाव गुरू-चेले के बीच होने के कारण बड़ा दिलचस्प बना हुआ है।
रही बात संदीप कौर और सरदार जसवंत सिंह की तो भाजपा की टिकट तो जसवंत सिंह को मिल चुकी है और संदीप कौर फिलहाल तो बिना टिकट चुनाव लडऩे के लिए हिम्मत नहीं जुटा पर रही है।
वहीं बसपा उम्मीदवार सतनाम सिंह उर्फ मंगल के बारे में चर्चा है कि वो अंदरखाने ए.सी.चौधरी के लिए वोट मांगने का कार्य कर रहे हैं। इसमें कितनी सच्चाई है ये तो वा ही जाने। हालांकि मंगल ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि वो किसी कीमत पर नहीं बैठेंगे। बल्कि उनका कहना था कि ए.सी.चौधरी तो नरेश गोंसाई को चुनाव हराना चाहते है, इसके लिए वो उल्टे हमारी चुनावों में मदद करेंगे। बकौल सतनाम वो अपने समर्थकों से बात कर 23 या फिर 26 दिसम्बर को अपना नामांकन भरेंगे। -क्रमश:

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