मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 22 अप्रैल: विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर-2 में अर्थ-डे के अवसर पर बच्चों ने विभिन्न स्लोगनों और कार्यक्रमों के माध्यम से धरती के संरक्षण और उसे बचाने का संदेश दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूल के चेयरमैन धर्मपाल यादव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
बच्चों को अर्थ-डे के बारे में बताते हुए श्री यादव ने कहा कि 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस की शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में 1969 के भारी तेल रिसाव की बर्बादी को देखने के बाद की थी। पहले पृथ्वी दिवस को यूनाइटेड स्टेट्स एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी की स्थापना हुई और क्लीन एयर, क्लीन वाटर एंड एंडेंजर्ड स्पीसेज (स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल व लुप्त प्राय: जीव) से जुड़े कानून को स्वीकृति दी गई। पृथ्वी दिवस दुनिया के सबसे बड़े स्तर पर मनाए जाने वाले नागरिक कार्यक्रमों में से एक है, जो करीब 1 अरब लोग हर साल मनाते हैं।
श्री यादव ने कहा कि इस महान अभियान में हम सभी अपना योगदान दे सकते हैं और सबसे बड़ी बात कि उसके लिए आपको कोई बहुत बड़ा कदम नहीं उठाना है। आप अपने छोटे-छोटे कामों से एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। एक पेड़ लगाएं, अपनी खुद की पानी की बोतल और अपना खुद का किराने का थैला साथ लेकर चलें, शाकाहारी बनें, स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियां खरीदें, प्रिंट कम निकालें, पैदल चलें, साईकल चलाएं। साथ ही याद रखें कि पृथ्वी दिवस मनाने की जरूरत हर दिन है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कहा कि बहुत से लोग पर्यावरणीय चेतना से जुड़े पृथ्वी दिवस को अमरीका की देन मानते हैं। लेकिन उनके प्रयासों के बहुत साल पहले महात्मा गांधी ने भारतवासियों से आधुनिक तकनीकों का अंधानुकरण करने के विरुद्व सचेत किया था। गांधीजी मानते थे कि पृथ्वी, वायु, जल तथा भूमि हमारे पूर्वजों से मिली संपत्ति नहीं है। वे हमारे बच्चों तथा आगामी पीढिय़ों की धरोहरें हैं। हम उनके ट्रस्टी भर हैं। हमें वे जैसी मिली हैं उन्हें उसी रूप में भावी पीढ़ी को सौंपना होगा। गांधी जी का उक्त कथन पृथ्वी दिवस पर न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह विकास की मौजूदा परिभाषा को संस्कारित कर लालच, अपराध, शोषण जैसी अनेक बुराईओं से मुक्त कर संसाधनों के असीमित दोहन और अन्त:हीन लालच पर रोक लगाने की सीख देता है। वह पूरी दुनिया तथा पृथ्वी दिवस मनाने वालों के लिये लाइट हाउस की तरह है। पृथ्वी दिवस की कल्पना में हम उस दुनिया का वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर का हवा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। नदियां अस्मिता बहाली के लिये मोहताज नहीं होगी। धरती रहने के काबिल होगी। मिट्टी, बीमारियां नहीं वरन् सोना उगलेगी। सारी दुनिया के समाज के लिये पृथ्वी दिवस रस्म अदायगी का नहीं अपितु उपलब्धियों का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने तथा आने वाली पीढिय़ों के लिये सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामलाम धरती सौंपने का दस्तावेज़ होना चाहिए।
इस अवसर पर बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर पृथ्वी संरक्षण के संदेश दिया।
स्कूल में मुख्य रूप से स्लोगन राइटिंग, पोस्टर मेकिंग, लेख, भाषण एवं कविता प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को स्कूल की डॉयरेक्टर सुनीता यादव, प्रिंसिपल ज्योति चौधरी व अन्य गणमान्य लोगों ने भी संबोधित किया।

 

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