कांग्रेसी नेता आफताब अहमद ने ड्रग टेस्ट में फेल दवा कंपनियां द्वारा बीजेपी को करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड देने पर सवाल खड़े किए।
घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज की अध्यक्षता में हो:आफताब अहमद
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट।
चंड़ीगढ़, 26 मार्च:
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद एसबीआई द्वारा जारी इलेक्टोरल बॉन्ड की सूची में हुए नए खुलासे ने देश में एक बार फिर विपक्ष को बीजेपी की केंद्र सरकार पर हमले का मौका दे दिया है। इस मामले में दक्षिण हरियाणा के दिग्गज कांग्रेस नेता व विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उप-नेता आफताब अहमद ने बीजेपी पर निशाना बोला है। दरअसल ड्रग टेस्ट में फेल दवा कंपनियां ने बीजेपी को करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड दिए, जिसके कारण सरकार एक बार फिर गंभीर सवालों में घिर गई है।

कांग्रेस विधायक दल के उप-नेता आफताब अहमद ने कहा है कि जो दवा कंपनियां गुणवत्ता में फैल हो गई, उन कंपनियों ने मोदी सरकार को किस लिए सैकड़ों करोड़ रुपये का चंदा दिया? क्या मरीजों की जान जोखिम में डाली गई या गलत दवाएं बाजार में उतरने दी गई? इन सभी बातों का जवाब आज देश की जनता मोदी सरकार से मांग रही है।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि मोदी वहीं प्रधानमंत्री हैं जो काला धन वापस लाने की गारंटी देते थे। लेकिन आज हर दागी कंपनियों से चंदा लेकर फायदा पहुंचाया गया है। यह सरकार भ्रष्टाचार में इतनी डूब चुकी है कि इनको लोगों के स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं है।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड का रजिस्टर्ड ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में है। कंपनी की ओर से साल 2018 से 2023 के बीच बनाई गई तीन दवाएं ड्रग टेस्ट में फेल हुई हैं। जो दवाएं फेल हुईं, उनमें डेप्लेट ए 150 जो दिल का दौरान पडऩे पर बचाती है, लोपामाइड और निकोरन आईवी 2 शामिल है। कंपनी की ओर से 7 मई 2019 से 10 जनवरी 2024 के बीच 61 करोड़ रुपए भारतीय जनता पार्टी को दिए गए।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि साल 2018 से 2023 के बीच सिप्ला लिमिटेड की दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फेल हुए। सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ्तर मुंबई में है। कंपनी का जो सिपरेमी इंजेक्शन ड्रग टेस्ट में फेल हुआ, उसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 37 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए। सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड ने 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 के बीच कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे, सभी बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए। इस कंपनी के छह बार दवाओं के सैंपल फैल हुए।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड के बारे में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही जिसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया गया। इस कंपनी ने 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस 18 करोड़ रुपए के बॉन्ड बीजेपी को दिए।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि 38 कॉर्पोरेट कंपनियों को केंद्र या भाजपा शासित राज्य सरकारों की तरफ से कई प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। बाद में उन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन कंपनियों को भाजपा को चुनावी बांड के 2,004 करोड़ रुपये के चंदे के बदले प्रोजेक्ट में कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए मिले हैं।

विधायक आफताब अहमद ने कहा कि देश के लोगों के स्वास्थ्य को नजऱंदाज कर भारी चंदा ऐसी कंपनियों से लिया गया जिन की दवाएं टेस्ट में फैल हो गई थी। ये गंभीर मामला है इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।

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