मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
नई दिल्ली/फरीदाबाद, 8 जुलाई: अगर बचे हुए पुराने माल पर जीएसटी लागू होने के बाद नए एमआरपी का स्टिकर नहीं लगाया तो जेल की सजा समेत 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने मैन्युफैक्चरर्स को यह चेतावनी दी। पुराने स्टॉक पर संसोधित एमआरपी लिखने के संबंध में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नए नियम जारी किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि 1 जुलाई से पहले तैयार किए गए माल पर संसोधित एमआरपी लिखनी होगी।
सरकार ने पुराने स्टॉक को क्लियर करने के लिए कंपनियों को 30 सितंबर तक का वक्त दिया है। कंपनियों से कहा गया है कि वे बचे हुए माल पर पुरानी कीमत के बराबर में ही संशोधित एमआरपी के स्टिकर लगाएं। इससे ग्राहक जीएसटी के बाद कीमतों में आए बदलावों को जान सकेंगे। इन नियमों का पालन न करने पर पहली बार 25,000 रुपये दूसरी बार 50,000 रुपये और तीसरी बार एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा एक साल तक जेल भी हो सकती है।
मंत्रालय ने उपभोक्ताओं की शिकायतों को हल करने के लिए एक स्मिति बनाई है। साथ ही हेल्पलाइन की संख्या को 14 से बढ़ाकर 60 कर दिया गया है। जीएसटी लागू करने को लेकर शुरुआती अड़चनें आ रही हैं। जल्द उनका समाधान हो जाएगा। उपभोक्ता हेल्पलाइन के जरिए 700 से अधिक सवाल प्राप्त हुए हैं और मंत्रालय ने वित्त विभाग से इसके समाधान के लिए विशेषज्ञों की मदद मांगी है।
कुछ बड़ी कंपनियों ने कहा था कि पैकेट पर लिखे एमआरपी के अलावा कोई प्रिंटिंग और स्टैंप लगाना गैरकानूनी है और ऐसा करना उनके लिए किसी बुरे सपने जैसा होने वाला है क्योंकि उनके पास बहुत माल पड़ा है। इसके बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह चेतावनी जारी की है।
रामविलास पासवान ने कहा हम इंस्पेक्टर राज नहीं चाहते लेकिन जो बात कानूनी रूप से सही है वह उन्हें मैन्युफैक्चरर्स मानना पड़ेगी। कंपनियां एक बार में पूरा पुराना सामान डिस्ट्रिब्यूट नहीं कर देंगी। वे अपने कुछ बैच पर नए प्राइस टैग लगा सकती हैं। इसीलिए हमने उन्हें पुराना स्टॉक निकालन के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। किसी को भी जीएसटी से पहले पैक किए गए सामान को दो एमआरपी के साथ सामान बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इंडस्ट्री को समझना चाहिए कि हमने यह दिशा-निर्देश ग्राहकों के फायदे के लिए जारी किए हैं। उन्हें ग्राहकों को बताना होगा कि वे कितना कम या ज्यादा पैसा दे रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि कंपनियां जीएसटी के अंदर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले रही हैं। इससे उनकी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट कम हो गई है और इसीलिए उन्हें ग्राहकों को भी इसका फायदा देना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *