मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
फरीदाबाद/पलवल/अलीगढ़, 19 मई:
कोरोना महामारी में प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों से इलाज के नाम पर अधिक वसूली रूकने का नाम नहीं ले रही है। लेकिन शासन-प्रशासन है कि कुछ करने को तैयार नहीं है जिसके चलते जनता लूटने को मजबूर है। आलम यह है कि छोटे-मोटे नर्सिंग होम भी आपदा को अवसर बना इस लूट में शामिल हो रहे हैं।
वैसे तो सरकार ने COVID-19 मरीजों के इलाज के लिए हॉस्पिटलों द्वारा लिए जाने वाले बिलों के रेट निधार्रित कर रेट लिस्ट अस्पतालों में लगाने/चश्पा करने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन ग्राऊंड लेवल पर आकर देखा जाए तो वास्तविकता कुछ ओर ही है। पहली बात तो ज्यादातर हॉस्पिटलों ने रेट लिस्ट लगा ही नहीं रखी और जिन्होंने लगा भी रखी है वे भी अपने मनमर्जी तरीके से मरीजों के परिजनों से बिल वसूलने में लगे हैं। सोशल मीडिया में फरीदाबाद के एशियन, सर्वोदय, DM, केदार तथा पलवल के अपेक्स आदि हॉस्पिटलों के वायरल हो रहे ऐसे बिल इसका जीता-जागता प्रमाण है। बावजूद इसके प्रशासन चंद हॉस्पिटलों को सिवाय उन्हें नोटिस देने के उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। जिससे लगता है कि हॉस्पिटल संचालक प्रशासन पर हावी हैं।
उदाहरणतया: गत् शनिवार, 8 मई को जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने शिकायत मिलने पर बल्लभगढ़ के जेनिथ हॉस्पिटल में जाकर वहां का निरीक्षण किया था जहां उन्हें डॉक्टर भी नदारद मिले थे और वहां सरकारी रेट लिस्ट भी नहीं लगी हुई थी तथा अव्यवस्था का आलम था। इस पर जिला उपायुक्त/DC ने इस मामले की जांच बल्लभगढ़ की SDM कम इंसीडेंट कमांडर अपराजिता को उनके नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनाकर सौंप दी थी। इस टीम में स्थानीय SMO और ACP को शामिल कर तीन दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए थे। बताया जा रहा है कि SDM अपराजिता ने अपनी करीब 5-6 पेजों की रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन को गत् 11 मई को सौंंप भी दी। जांच रिपोर्ट में हॉस्पिटल प्रबंधन को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही करने की सिफारिश/अनुशंसा भी की गई लेकिन आज तक उस जांच रिपोर्ट पर कोई भी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। इसके पीछे क्या कारण है ये तो जिला प्रशासन ही जाने।
वहीं हम बात करें फरीदाबाद-पलवल जिले से लगते यूपी के अलीगढ़ जिले की तो वहां ऐसे मामलों में जिला प्रशासन काफी सख्त रवैया अपनाए हुए है। उदाहरण के तौर पर बता दें कि कोरोना महामारी के बीच अलीगढ़ जिला प्रशासन ने अलीगढ़ के मैक्सफोर्ट अस्पताल पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे ना केवल सील कर दिया बल्कि उसका लाईसैंस तक भी रद्द कर दिया। मजेदार बात तो ये है कि ये सारी कार्यवाही हुई मात्र दो दिनों के अंदर-अंदर। शुक्रवार को इस मामले में शिकायत हुई, शनिवार को ही जांच कमेटी ने मौके पर जांच कर हॉस्पिटल को सील कर दिया तथा रविवार को हॉस्पिटल का लाईसैंस तक ही रद्द कर दिया। इतनी तेज कार्यवाही की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है।
बता दें कि अलीगढ़ के रामघाट रोड़ स्थित मैक्सफोर्ट नामक प्राइवेट अस्पताल में निमोनिया से पीडि़त एक मरीज इलाज चल रहा था। अस्पताल प्रबंधन द्वारा ज्यादा रुपये लेने की शिकायत मैक्सफोर्ट अस्पताल में भर्ती सीमा के परिजनों ने गत् शुक्रवार 14 मई को डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट यानि डीएम चंद्रभूषण सिंह से की थी। शिकायत में बताया कि मेक्सफोर्ट अस्पताल प्रबंधन तय मानकों से अधिक की वसूली मरीजों से कर रहा है। पीडि़त परिवार का आरोप था कि अस्पताल प्रबंधन ने निमोनिया पीडि़त मरीज से तय मानकों से अधिक एक दिन के इलाज के 50 हजार रुपए वसूले हैं। साथ ही हॉस्पिटल में कोविड-19 के नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने एसीएम II अंजुम-B के नेतृत्व में एक टीम को शनिवार को अस्पताल भेजा। मौके पर गई टीम ने जांच के बाद शिकायत को सही पाकर अस्पताल प्रबंधन को दोषी मानते हुए वार्ड को छोड़कर जहां मरीज भर्ती थे, पूरे मेक्सफोर्ट हॉस्पिटल को सील कर दिया तथा 24 घंटे में उन मरीजों को भी दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करने का नोटिस दे दिया। इसके बाद अगले दिन रविवार 14 मई को मैक्सफोर्ट हॉस्पिटल का लाईसैंस तक रद्द कर दिया गया।
वहीं/हालांकि प्राइवेट अस्पताल संचालक का कहना है कि उनका हॉस्पिटल कोविड अस्पताल नहीं है। मरीज को इलाज का खर्चा पहले ही बता दिया गया था। जबकि प्रशासन का कहना है कि तय मानक से अधिक रुपये मरीजों से नहीं लिए जा सकते।
अस्पताल सील, लाईसैंस रद्द, जवाब तलब!
अलीगढ़ जिला प्रशासन का कहना है कि कोई भी प्राइवेट अस्पताल कोरोनाकाल में तय मानक से ज्यादा रुपये नहीं ले सकता है। शिकायत सही मिलने पर ही मेक्सफोर्ट अस्पताल को सील कर उसका लाईसैंस रद्द किया गया। अस्पताल सील करते केवल मरीज वार्ड को छोड़ दिया गया जिस वार्ड में मरीज भर्ती है। मामले में अस्पताल संचालन से भी जवाब-तलब किया गया था।
हीं दूसरी तरफ जब बल्लभगढ़ के जैनिथ हॉस्पिटल आदि को लेकर एसडीएम अपराजिता और जिला उपायुक्त यशपाल यादव से बात की गई तो शायद उनके किसी मीटिंग में व्यस्त होने के चलते उनसे बात ना हो सकी।
बता दें कि अलीगढ़ के मैक्सफोर्ट हॉस्पिटल तथा बल्लभगढ़ के जेनिथ हॉस्पिटल को मामला लगभग-लगभग एक सा ही है लेकिन…….. क्रमश:

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