Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 12 अगस्त:
राजस्थान एसोसिएशन के द्वारा मॉडर्न स्कूल ऑडिटोरियम सैक्टर-17 में तीज गुंजन तीज का कार्यक्रम का आरंभ साहित्यकार पदम डीएम ललानी, दूरदर्शन निर्माता राजीव राज के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ किया गया। टीएम ललानी ने बताया कि राजस्थानी संस्कृति अपने आप में विशिष्ट अनोखी अनूठी है। इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। राजस्थान के प्रवासी हरियाणा की धरा पर पर भी इसे सजोने का कार्य राजस्थान एसोसिएशन कर रही है। इससे आने वाली पीढिय़ों से अपनी संस्कृति को रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है। राजीव राय ने कहा कि जीवन में कभी भी अपनी परंपराओं को नहीं छोडऩा चाहिए। अपनी परंपराओं के साथ सदैव जुड़ा रहना चाहिए। वह कार्य कर रही है राजस्थान एसोसिएशन।
इस मौके पर राजस्थान एसोसिएशन के अध्यक्ष मधुसुदन लड्डा ने अवगत कराया कि राजस्थान एसोसिएशन हर साल तीज का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाते आया है। इस बार विशेष रूप से 80 वर्ष से ऊपर के कपल को सम्मान देकर समाज से भी आग्रह किया गया। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों का सदैव सम्मान करें। जहां पर बुजुर्गों का सम्मान होता है। वह समाज हमेशा फलता-फूलता है। कार्यक्रम के संयोजक नवल मूंदड़ा ने बताया कि राजस्थान में तीज का त्यौहार एक परिवार कैसे मनाता है। उसका मंचन पिछले 20 दिनों से तैयारियां की जा रही है। जिसमें तकरीबन सौ लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुख्य किरदार के रूप में विमल खंडेलवाल, शकुंतला बागड़ी, ललिता बैद, सीमा भंसाली, शुभम माटोलिया, रूबी बैद, विनीत बैद, सीमा मूंधड़ा, कमल मूंदड़ा, कमला लूणिया, मुख्य रूप से सूत्रधार के रूप में श्याम काकानी शशि काकाणी है।
राजस्थान एसोसिएशन के महासचिव ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से समाज को बल मिलता है और हम अपनी परंपराओं को आने वाली हमारी पीढ़ी को विरासत के रूप में बढ़ाने का प्रयास करते हैं। आज के समय में पश्चात जगत का हमारे आने वाली पीढिय़ोंं पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अपनी परंपराओं को बचाने के लिए समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। आज के इस भव्य कार्यक्रम में विशेष रूप से कमला लूनिया, नीलिमा लड्ढा, शर्मिला जैन, पूर्व अध्यक्ष अरूण बजाज, उपाध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल, टीएम ललानी, गौतम चौधरी, मनोज अग्रवाल, मनोज, कैलाश शर्मा, एमपी रुंगटा, रामलाल बोरड, रोशन लाल बोरड़, रमेश झवर, मधुसूदन मटोलिया, नारायण झवर, सुरेश राठी, ऋषि अग्रवाल, प्रमोद महेश्वरी, वाई.के. महेश्वरी, मनोज रूंगटा, एलपी लूणिया, डीके महेश्वरी, पवन गुप्ता, एसके गुप्ता, एवं राजस्थानी समाज के करीब 900 से 1000 लोग मुख्यरूप से उपस्थित थे।

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