अग्रवाल धर्मशाला की प्रबंधन समिति पर लगे रकम डकारने के आरोप
प्रबंधन समिति के चुनावों को लेकर माहौल गरमाया
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
बल्लभगढ़, 9 अक्टूबर: अग्रवाल धर्मशाला चावला कालोनी वाले श्री वैश्य अग्रवाल समाज की प्रबंधन कमेटी के चुनावों को लेकर आजकल राजनीति गहराती जा रही है। आरोप लग रहे हैं कि समिति की अग्रवाल धर्मशाला के नाम पर कुछ लोग राजनीति कर धर्मशाला के पैसों को डकारने में लगे हुए हैं और कुछ डकार चुके हैं। इसी के चलते सन् 1988 में रजिस्ट्रर्ड हुई एक हजार से ज्यादा सदस्यों वाली श्री वैश्य अग्रवाल समाज की प्रबंधन कमेटी के चुनाव तक नहीं कराए जा रहे हैं। वहीं यह भी आरोप है कि संस्था के कुछ तथाकथित पदाधिकारी व सदस्य धर्मशाला के खाते से तनख्वाह भी ले रहे हैं जोकि संस्था के संविधान के पेज न.-2 पर प्वाईंट न.-5 में लिखी शर्तो में ख के मुताबिक गैर-कानूनी है (इसका खुलासा अगले अंक में)। उपरोक्त आरोपों का लेकर संस्था के एक सदस्य सुरेश कंसल ने जिला रजिस्ट्रार ऑफ सोसायट्ीज, फरीदाबाद को शिकायती या कहिए आरोप पत्र भी लिखा है।
उपरोक्त संस्था के इन विवादों के मद्देनजर ही सुरेश कंसल की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिला रजिस्ट्रार ऑफ सोसायट्ीज फरीदाबाद ने 4 मई, 2018 को एक आर्डर जारी कर हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ सोसायट़्ीज एक्ट 2012 के सेक्शन 39 (10) के तहत अपने शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपरोक्त संस्था की 13 सदस्यीय एक अडोक कमेटी बनाकर उसमें एक कनवेयर तथा संस्था के 12 सदस्यों को नियुक्त किया था। इस आर्डर में कहा गया था कि उपरोक्त अडोक कमेटी के कनवेयर तथा बाकी के 12 मेंबर्स तीन महीने के अंदर-अंदर उपरोक्त संस्था की गवर्निंग बॉडी का चुनाव कराएंगे तथा प्रत्येक दिन का हिसाब किताब रखेंगे। इन आर्डरों में उन्होंने इस अडोक कमेटी को यह भी निर्देश दिए थे कि कमेटी बिना उनकी अप्रुवल के इस बीच कोई भी बड़ा खर्चा नही करेगी और संस्था की नई गवर्निंग बॉडी गठित होने तक ना ही संस्था में कोई मेंबर बड़ाएगी या घटाएगी। रजिस्ट्रार महोदय के उक्त आदेशों की समयावधि 3 अगस्त, 2018 को समाप्त भी हो चुकी है।
मामला अब यही आकर अटकता है। आरोप है कि रविवार, 7 अक्टूबर को एडोक कमेटी ने अग्रसेन भवन (अग्रवाल धर्मशाला) चावला कालोनी में समिति के सदस्यों की जो मीटिंग बुलाई थी वो गैर-कानूनी थी क्योंकि एडोक कमेटी का कार्यकाल 4 अगस्त, 2018 को ही समाप्त हो गया था तो फिर वो यह मीटिंग बुलाने का अधिकार ही नही रखती।
वहीं, अगर हम बात करें मीटिंग में उठाए गए मुद्दों की तो मीटिंग में वहां जो अह्म सवाल उठाए गए उनमें से एक तो यह था कि एडोक कमेटी के लिए जो नाम दिए गए थे वो किसने और किस अधिकार से दिए थे। दूसरा, श्री वैश्य अग्रवाल समाज चावला कालोनी के अन्र्तगत चलने वाले अग्रसेन भवन (अग्रवाल धर्मशाला) में जो लाखों रूपये की लागत से इसे एयरकंडीशनिंग बनाने का काम एडोक कमेटी द्वारा किया जा रहा है वो किसकी परमिशन से हो रहा है। यह सरकारी आदेशों का उल्लंघन है। वहीं इस मीटिंग में समिति के चुनाव कराए जाने को लेकर चर्चा भी हुई। मीटिंग में किसी व्यक्ति विशेष को सर्वसम्मति से समिति का प्रधान बनाए जाने को लेकर राजनीति तो खेली गई लेकिन मेंबर्स के विरोध के चलते वह इसमें कामयाब नहीं हो पाए। जिसका परिणाम यह निकला कि नरेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में अग्रवाल कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसीपल डॉ. एस.के.गर्ग को श्री वैश्य अग्रवाल समाज चावला कालोनी की प्रबंधन कमेटी के चुनावों के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। चुनाव को लेकर वो ही अब कोई निर्णय लेंगे।
जैसे कि आरोप लग रहे हैं कि महाराजा अग्रसेन के नाम पर राजनीति कर चंद लोग उनके नाम को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। वो नहीं होना चाहिए। वहीं जिन लोगों ने समाज के पैसे को फाईनेंसरों या किसी दूसरे रूप में डकारा है, उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।
एडोक कमेटी के मेंबर एवं शिकायतकर्ता सुरेश कंसल ने जिला रजिस्ट्रार ऑफ सोसायट्ीज से अपील की है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त एडोक कमेटी को तुरंत भंग करके 1018 सदस्यों वाली इस श्री वैश्य अग्रवाल समाज चावला कालोनी, बल्लभगढ़ का दोबारा से प्रशासक नियुक्त करके उनके माध्यम से संस्था की नई गवर्निंग बॉडी का निष्पक्ष चुनाव कराने का कष्ट करें।
साथ ही सुरेश कंसल ने यह भी कहा है कि चूंकि इस संस्था के एक हजार से ज्यादा सदस्य हैं इसलिए इस प्रबंधन समिति का चुनाव हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ सोसायट़्ीज एक्ट 2012 के तहत 10 सदस्यों पर एक सदस्य कालोजियम के तहत बनाकर ही हो सकता है। साथ ही उन्होंने अग्रवाल धर्मशाला में गैर-कानूनी रूप से हो रहे लाखों रूपये के रेनोवेशन के काम को रूकवाकर सरकारी आदेशों को दरकिनार करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।   -क्रमश:

नोट:-
1. संस्था की रकम को किसने किस-किस तरह डकारा?
2. संविधान से परे नई पोस्ट बनाकर कौन ले रहा है हर महीने गैर-कानूनी तरीके से 15 हजार रूपये महीने की सेलरी?
3. किस-किस ने क्यों दी फाईनेंसरों को ब्याज पर लाखों रूपये की मोटी रकम?
4. ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में किस-किस के खिलाफ क्या-क्या किए हैं खुलासे?
5. आखिर क्यों नहीं दे रही है संस्था ऑडिटर के चार्जिस?
6. संस्था कि किन-किन लोगों के खिलाफ पुलिस जल्द ही कर सकती है शिकायत पर कार्यवाही?
7. आखिर अब तक क्यों नहीं करवाए गए अब तक संस्था के चुनाव?
-संस्था से संबंधित ऐसे ना जाने अभी ओर कितने रहस्य और घपले आदि है जिससे हम अब पर्दा उठाकर क्रमवार आपको बताने की शुरूआत आज अपनी पहली खबर से कर चुके हैं।

आगे जानने के लिए देखते/पढ़ते रहिए मैट्रो प्लस

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