मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 22 अप्रैल: सैक्टर-31 स्थित फरीदाबाद मॉडल स्कूल में अर्थ डे मनाया गया। जिसका उद्वेश्य छात्रों को वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें अपने ग्रह को और भी सुंदर बनाने की दिशा में अपना काम करने के लिए प्रेरित करना था।
इस अवसर पर स्कूली बच्चों ने पेड़ों को बचाने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। जिसमें उन्होंने पृथ्वी का बैज, टेअर एंड पेस्ट बनाकर अपने कलात्मक कौशल का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर स्कूल में छात्रों को प्रकृति संरक्षण पर विभिन्न वीडियो दिखाए गए। जिससे उन्हें तीन रिड्यूस रीसायकल एंड रियॅस के बारे में बताया गया। पूर्व-प्राथमिक बच्चों के लिए स्कूल के बगीचे की यात्रा का आयोजन किया। वहां उन्होंने पौधों और ताजा हवा प्रदान करने में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी ली। छात्रों ने सभी गतिविधियों में बहुत अधिक उत्साह के साथ भाग लिया और बढ़ते प्रदूषण के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और शिक्षकों के साथ माता पृथ्वी के संरक्षण का संकल्प लिया।
इस मौके पर स्कूल के डॉयरेक्टर उमंग मलिक ने बताया कि 22 अप्रैल 1970 को पहली बार इस उद्वेश्य से पृथ्वी दिवस मनाया गया था कि लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके। पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गिलोर्ट नाल्सों के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण की शिक्षा के रूप में की गयी थी। 1970 से 1990 तक यह पुरे विश्व में फैल गया। 1990 से इससे अंतराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने भी 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस में मनाने की घोषणा कर दी लेकिन मात्र1 दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम पृथ्वी को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं इसके लिए हमे बड़ेे बदलाव की जरूरत हैं। हवा में बाते तो सभी करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत से जुड़कर भी कुछ करना होगा तभी हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे पृथ्वी मां को नुक्सान पहुंचे और अगर ऐसा कोई काम करना भी पड़े तो उसके नुक्सान को पूरा करने के लिए जरूर उचित कदम उठाएंगे।

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