मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 8 अक्टूबर:
ज्यादातर समय विवादों में रहने वाली बल्लभगढ़ जोन में कार्यरत ZTO सुनीता कुमारी को आखिरकार अपने पद से हाथ धोना पड़ ही गया। उन्हें बल्लभगढ़ जोन से ट्रांसफर कर निगम मुख्यालय में प्लानिंग ब्रांच के अंदर लगाया गया है। बताया जा रहा है कि नगर निगम फरीदाबाद के कमिश्रर ने उनके खिलाफ लगातार आ रही शिकायतों के चलते यह कदम उठाया है। उनका चार्ज फिलहाल सुनीता कुमारी के पति मुकेश के जीजा विजय सिंह को दिया गया है जोकि यहीं ZTO की ही पोस्ट पर हैं।
ध्यान रहे कि बल्लभगढ़ जोन में लगभग पूरी तरह से इस ZTO सुनीता कुमारी के परिवार का ही कब्जा था या कहिए है। सुनीता कुमारी के पति मुकेश जहां इसी जोन में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं वहीं मुकेश के जीजा विजय सिंह बल्लभगढ़ जोन में ही ZTO हैं और मुकेश का भतीजा संदीप उर्फ सोनू यहीं क्लर्क है। यानि एक ही परिवार के चार सदस्यों ने बल्लभगढ़ जोन में अपना पूरा वर्चस्व कायम कर रखा था। इसी वर्चस्व को खत्म करते हुए निगमायुक्त ने फिलहाल इनकी मुख्य कड़ी को तोड़ते हुए ZTO सुनीता कुमारी का यहां से ट्रांसफर कर उन्हें निगम मुख्यालय में लगा दिया है।
साथ ही हम आपको बता दें कि सुनीता कुमारी के पति मुकेश के पास वैसे तो ऑफिशियल तौर पर चावला कालोनी के सीवर-पानी के बिल बांटने का काम हैं लेकिन बल्लभगढ़ में बिल बांटने की बजाए मुकेश निगम के 19 नंबर कमरे में बैठकर लोगों के हाऊस टैक्स, डवलपमेंट शुल्क और सीवर-पानी के बिल ठीक करता ज्यादा नजर आता है। और इस काम में मुकेश के खास सहयोगी हैं मुकेश का भतीजा संदीप उर्फ सोनू और वहां अनाधिकृत तौर सेे बैठने वाला संजय तेवतिया और बीरसिंह जोकि पेशे से प्लम्बर है। साफ शब्दों में बीरसिंह को इस सुनीता कुमारी के परिवार की रीड़ की हड्डी भी कहा जा सकता हैं जिसकी कलम से ही यहां सारे काम होते हैं। यहां तक की सरकारी रजिस्ट्ररों के रिकार्ड में भी ज्यादातर लिखा-पढ़ी उसी के हाथ की नजर आएगी।
बता दें कि नगर निगम फरीदाबाद कमिश्रर यानि निगमायुक्त द्वारा जनहित में बनाई गई योजनाओं को बल्लभगढ़ जोन के चंद अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लगातार पलीता लगाया जा रहा है। निगमायुक्त द्वारा टैक्स भरने की सुविधा को ऑनलाईन तो किया गया है लेकिन चंद अधिकारियों/कर्मचारियों के भ्रष्ट्र रवैये के चलते लोग निगम के बल्लभगढ़ जोन कार्यालय में धक्के खाते नजर आते हैं।
ज्ञातव्य रहे कि निगम कार्यालय में ज्यादातर लोग अपने हाऊस टैक्स और डवलपमेंट शुल्क के अलावा सीवर-पानी के बिलों को ठीक कराने आते हैं और यहां आकर एक क्लर्क से दूसरे क्लर्क के पास धक्के खाते नजर आते हैं। बीर सिंह का काम ऐसे ही धक्के खाते हुए लोगों को अपने चंगुल में फंसाना होता हैं जिसके काम करने की एवज मेंं उनसे मोटी रकम वसूली जाती हैं।
और ये सब यहां किसके इशारे पर होता होगा, अब हमें ये किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं, आप सब पाठक समझदार हैं। यानि जब सैंया भयै कोतवाल तो फिर डर काहे का।
अब देखना यह है कि निगमायुक्त की मार का शिकार अगली बार कौन होता है!
संबंधित जानकारी अगली खबर में विस्तार से तथ्यों सहित। – क्रमश:

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