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चंडीगढ़/फरीदाबाद, 4 नवम्बर (नवीन गुप्ता): हरियाणा प्रोग्रेसेसिव स्कूल्ज कांफ्रेस (एचपीएससी) के प्रदेश अध्यक्ष एस.एस. गोंसाई तथा जिला अध्यक्ष सुरेश चन्द्र ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उन आदेशों का स्वागत किया है जिसमें कहा गया है कि प्रदेश सरकार के मंत्री, अधिकारी और विपक्ष के नेता अब अपनी रैलियों में प्राइवेट स्कूलों की बसें मंगाने का दबाव नहीं बना सकेंगे।
एचपीएससी के उक्त पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य के प्राइवेट स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाली फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने उक्त मुद्दे पर हाईकोर्ट से न्याय दिलाने की गुहार की थी। इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश रामेश्वर सिंह मलिक ने राज्य के गृह सचिव को छह सप्ताह के भीतर प्राइवेट स्कूल संचालकों पर बसों के लिए दबाव नहीं बनाने की नई गाइड लाइंस तैयार करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट द्वारा एसोसिएशन के प्रतिनिधि कुलभूषण शर्मा से कहा गया है कि वे तीन सप्ताह के भीतर गृह सचिव से मिलकर अपना पक्ष रखें और उन्हें अपनी समस्या बताते हुए सरकार से नई गाइड लाइन प्राप्त करें।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के पास करीब सात हजार बसें हैं, जिनके रूट परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित हैं। किसी भी सरकारी आयोजन, रैली अथवा सार्वजनिक समारोह में भीड़ लाने ले जाने के लिए स्कूल संचालकों पर आरटीए के माध्यम से बसें देने का दबाव बनाया जाता है। अधिकारी और नेता न तो बसों के लिए तेल देते हैं और न ही चालक व परिचालक का कोई खर्चा वहन करते हैं। इसके खिलाफ एसोसिएशन हाईकोर्ट गई।
एचपीएससी के उक्त पदाधिकारियों के मुताबिक आरटीए के माध्यम से स्कूल संचालकों पर दबाव बनाया जाता है, जबकि परिवहन विभाग की गाइड लाइन में स्पष्ट है कि कोई भी बस अपने निर्धारित रूट से बाहर नहीं जाएगी। ऐसी बसों को हरियाणा के एक छोर से दूसरे छोर पर दौड़ाने के साथ-साथ पास लगते राज्यों तक में भेज दिया जाता है। इनके अनुसार बसें नहीं देने वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों के विरुद्ध उत्पीडऩ की कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

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