मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 19 सितंबर:
जनता के खून-पसीने के कमाई को SRS और पीयूष ग्रुप जैसे नामी-गिरामी बिल्डरों ने तो हड़प ही रखा थे, लेकिन कई ऐसे फाईनैंसर ओर भी शहर में ऐसे हैं जिन्होंने लोगों को मुर्ख बनाकर उनके करोड़ों रूपयों को डकार रखा हैं। ऐसे फाईनैंसरों में सैक्टर-9 में रहने वाले मदन गोयल, सतपाल गोयल, विजय गोयल पुत्रान ज्ञानचंद और राजेश्वर गोयल, सतीश गोयल और पवन गोयल पुत्रान बाबुलाल आदि के नाम भी शामिल हैं जोकि पीछे से धौज गांव के रहने वाले हैं। इन लोगों के खिलाफ विभिन्न थानों में धोखाधड़ी करने, आत्महत्या के लिए मजबूर करने, जान से मारने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों में दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं वहीं चैक बाऊंस के भी दर्जनों केस विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। बावजूद इसके ऐसे लोग शहर में सफेदपोश बने खुलेआम घूमते नजर आते हैं और पुलिस भी इनका कुछ नहीं कर पा रही है जबकि SRS और पीयूष ग्रुप वाले सालों से नीमका जेल की सलाखों के पीछे पड़े हैं।
हाल ही में एक उपरोक्त में से राजेश्वर गोयल और सतपाल गोयल नामक दोनों चचेरे भाईयों निवासी सैक्टर-9 तथा चर्तुभुज निवासी सैक्टर-7 द्वारा जमीन के मामले में धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है जिसमें पुलिस ने अपने बड़े अधिकारियों के आदेश पर इनके खिलाफ गत् 15 सितंबर को IPC की धारा 120बी और 420 के तहत थाना छायंसा में मुकदमा दर्ज किया है जिसकी शिकायत सैक्टर-9 निवासी अरूण सिंगला ने 22 जुलाई, 2022 को की थी। जैसे तैसे पुलिस ने अपने बड़े अधिकारियों के आदेश पर मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन इनको गिरफ्तार करने में शायद दिलचस्पी नहीं ले रही है जबकि ये मामला लगभग सारी तहकीकात के बाद शिकायत करने के करीब दो महीने बाद पुलिस ने दर्ज किया था।
शिकायतकर्ता अरूण सिंगला पुत्र निवासी श्री मंगतराम सिंगला ने बताया कि राजेश्वर गोयल और सतपाल गोयल नामक दोनों चचेरे भाईयों से उन्होंने तीन हजार वर्गगज (4 कनाल, 19 मरले) का एक प्लॉट मौजा मौजपुर, उप-तहसील मोहना, बल्लभगढ़ खरीदा था जिसकी रजिस्ट्री भी उनके पास है। बकौल अरूण मौके पर दिखाए नक्शे के मुताबिक रजिस्ट्री के वक्त उक्त प्लॉट के तीन तरफ रास्ता था जिस नक्शे पर राजेश्वर गोयल और सतपाल गोयल दोनों के हस्ताक्षर भी हैं। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उपरोक्त ने उनके प्लॉट वाले रास्ते को भी बेच दिया है जोकि उनके साथ उपरोक्त ने धोखाधड़ी की है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि राजेश्वर गोयल और सतपाल गोयल ने उनके साथ ही नहीं अपितु उन सहित करीब 14 लोगों को ऐसे ही धोखे से रजिस्ट्री कर उनके रास्ते बेच दिए जबकि जो नक्शा उन्हें दिखाया व दिया गया, उनमें रास्ते, प्लॉट नंबर, भुजा आदि सभी खोलकर दिखाए हुए थे। लेकिन इन दोनों भाईयों ने उनके प्लॉट के सभी रास्ते बेचकर उनसे धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
बता दें कि उपरोक्त मौजपुर मौजा में कुल 42 कनाल, 2 मरले जमीन थी जोकि राजेश्वर गोयल, सतपाल गोयल और चर्तुभुज के नाम थी और तीनों ही इसके समभाग पार्टनर थे। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब उपरोक्त जमीन के तीनों समभाग पार्टनर थे तो फिर जो 14 रजिस्ट्रियां हुई, उनमें से 5 रजिस्ट्रियां राजेश्वर गोयल ने, 2 रजिस्ट्रियां सतपाल गोयल ने और 7 रजिस्ट्रियां राजेश्वर और सतपाल ने संयुक्त रूप से की। खास बात यह है कि इन सभी 14 रजिस्ट्रियों में कहीं भी जमीन के तीसरे पार्टनर चर्तुभुज के हस्ताक्षर नहीं हैं।
यहां हम यह भी बता दें कि उपरोक्त 42 कनाल, 2 मरले जमीन के समभाग पार्टनर चर्तुभुज ने स्वयं अपने दोनों पार्टनरों राजेश्वर गोयल और सतपाल गोयल के खिलाफ ही थाना छायंसा में आईपीसी की धारा 120बी, 406, 420, 467, 468, 471 व कंट्रोल एरिया एक्ट 1961 की धारा 6 व 7 के तहत गत् 26 मार्च, 2019 को एक मुकदमा दर्ज करवाया था जिसमें चर्तुभुज ने उपरोक्त दोनों भाईयों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इन्होंने उक्त भूमि पर बिना किसी सरकारी विभाग से लाईसैंस व मंजूरी लिए हुए एक नक्शा बनाकर जिस पर उक्त दोनों के हस्ताक्षर भी हैं, कई लोगों को गैर-कानूनी तरीके से अवैध प्लॉटिंग कर रजिस्ट्री कर दी हैं। जबकि उक्त गैर-तकसीम शुदा भूमि पर प्लॉटिंग करने और प्लॉट नंबर के अनुसार करने का कोई अधिकार नहीं हैं। उन्होंने अपनी शिकायत में उक्त रजिस्ट्रियों को रद्द करने की भी मांग की थी।
वहीं अब दूसरी तरफ शिकायतकर्ता अरूण सिंगला का कहना है कि उनके साथ दोषियान ने धोखाधड़ी कर उनकी जमीन के साथ लगते तीनों रास्तों की जमीन को बेच दिया है। इसलिए अरूण ने दोषीगणों को पुलिस गिरफ्तार कर उनकी जमीन के रास्ते को उन्हें दिलवाने की कृपा करें।
अब देखना यह है कि इस मामले में अब पुलिस क्या कदम उठाती है?

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