Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
चंडीगढ़, 5 दिसंबर:
प्रदेशभर में 8500 निजी स्कूलों में करीब 25 लाख से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले स्कूलों ने अब तक शिक्षा नियमावली 2003 के नियम 30 के तहत 10 साल के बाद अपनी मान्यता रिव्यू तक नहीं कराई है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी थी, जिसका जवाब चौंकाने वाला है। शिक्षा निदेशालय ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि 25 जून, 2023 से अब तक केवल 25 निजी स्कूलों ने मान्यता रिव्यू के लिए आवेदन किया है। जिसमें से सिर्फ 3 निजी स्कूलों को ही मान्यता दी गई है।

आरटीआई के एक सवाल के जवाब में शिक्षा निदेशालय ने यह भी सूचना दी है कि अब तक निजी स्कूलों की मान्यता रिव्यू करने के लिए अधिकारियों ने कब-कब निरीक्षण किया, इसका रिकॉर्ड तक मौजूद नहीं है।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि प्रदेशभर में करीब 8500 निजी स्कूलों का संचालन हो रहा है, मगर शिक्षा नियमावली 2003 के नियम 39 में 10 साल से अधिक पुराने निजी स्कूलों ने अपनी मान्यता रिव्यू तक नहीं कराई है। जिन स्कूलों को पुरानी मान्यता दी गई थी, उस समय मानक तक पूरे नहीं थे, फिर भी मिलीभगत कर इन्हें स्थायी मान्यता दी गई। आज भी निजी स्कूलों के पास संबंधित विभागों की न तो कोई एनओसी है न ही बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सभी मानक पूरे हैं, फिर भी शिक्षा निदेशालय के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

आज तक मान्यता रिव्यू नहीं कराने वाले संबंधित निजी स्कूलों के खिलाफ भी विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है, न ही शिक्षा निदेशालय के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद है जबकि सुप्रीम कोर्ट की बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी सख्त निर्देश हैं। प्रदेश भर के स्कूलों में कई हादसे भी हुए हैं, जिनमेंं जानमाल का नुकसान भी हुआ हैं, मगर इसके बावजूद न तो सरकार ने निजी स्कूलों को मानक पूरे कराने पर सख्त कदम उठाया है न ही शिक्षा निदेशालय ने इस दिशा में कोई संज्ञान लिया है।

संगठन की शिकायत पर 2018 में पत्र जारी कर भूली सरकार:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि संगठन की शिकायत के बाद शिक्षा निदेशालय ने 6 नवंबर, 2018 को एक पत्र जारी किया था, जिसमें 10 साल पुराने सभी निजी स्कूलों को अपनी मान्यता रिव्यू कराए जाने के संबंध में आदेश दिए गए थे। मगर इस पत्र को जारी किए जाने के बाद शिक्षा निदेशालय शिक्षा नियमावली के नियम 39 के तहत 10 साल से अधिक पुराने स्कूलों की मान्यता को रिव्यू कराना ही भूल गया।

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