भारत सरकार ने जारी किया सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के लिए पत्र
मैट्रो प्लस से महेश गुप्ता रिपोर्ट
फरीदाबाद, 27 नवम्बर: भारत सरकार ने सभी राज्यों के लिए एक पत्र जारी करके कक्षा पहली से 12वीं तक बच्चों के बस्ते का वजन तय किया है और पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को कोई भी होमवर्क न देने को कहा है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इसे सिर्फ एक कागजी कार्यवाही बताया है। मंच का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड में इस प्रकार के आदेश दो बार निकाले हुए हैं लेकिन स्कूल प्रबंधक उनका पालन नहीं करते हैं। मंच ने नर्सरी से लेकर यूकेजी कक्षा के बच्चों के बस्ते का बोझ तय न करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सबसे छोटा बचपन इन्हीं बच्चों का होता है और स्कूल प्रबंधक कमीशन खाने के चक्कर में इन्हीं मासूम बच्चों के कंधों पर भारी भरकम किताब, कापी का बोझ लादते हैं। कई जगह तो देखा गया है कि मासूम बच्चे का वजन कम होता है जबकि उसके बस्ते का बोझ ज्यादा होता है।
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सरकुलर के अनुसार कक्षा पहली और दूसरी में पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का वजन डेढ़ किलोग्राम निर्धारित किया गया है। जबकि कक्षा तीसरी से कक्षा पांचवीं तक पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का वजन 2 से 3 किलोग्राम निर्धारित किया गया है। इसी तरह कक्षा छठी से आठवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों के बस्ते का वजन 4 किलोग्राम से अधिक नहीं होगा। इतना ही नहीं कक्षा आठवीं से नौंवी तक बस्ते का वजन साढ़े 4 किलोग्राम है। कक्षा दसवीं से बारहवीं में पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम से अधिक नहीं होगा। इसके साथ-साथ कक्षा पहली से दूसरी तक भाषा, गणित विषय से सम्बंधित केवल दो ही किताबें अनिवार्य हैं। जबकि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक भाषा, ईवीएस, गणित विषय की केवल एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें अनिवार्य की गई हैं। छात्र के बैग यानी बस्ते में कोई भी अतिरिक्त किताब या वजन नहीं होना चाहिए। भारत सरकार ने अपने सरकुलर में सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को सख्त हिदायतें दी हैं कि कक्षावार बच्चों के बस्ते का वजन निर्धारित से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने सभी जागरूक अभिभावकों से कहा है कि वे शिक्षा सत्र 2019-20 में इस नए सरकुलर को ध्यान में रखकर अपने बच्चों की किताब, कापी लें अगर स्कूल प्रबंधक एनसीईआरटी किताब की जगह अन्य प्राइवेट पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए कहे तो उसका विरोध करें तथा नर्सरी से यूकेजी के बच्चों के लिए भी फालतू किताब कापी न लगाई जाएं इसका भी विशेष ध्यान रखें।

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