मैट्रो प्लस से नेहा खन्ना की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 28 अप्रैल: नेहरू ग्रांऊड स्थित सावित्री पॉलीटेकनिक फॉर वूमेन में फैशन इनोवेशन्स स्किल डेवलपमेंट पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें सैंकडों छात्राओं ने भाग लिया। फैशन डिजाईनिंग की अध्यापिका नीलम गुप्ता ने छात्रों को फैशन इनोंवेशनस स्कील डैवलैपमैंट के बारे बताते हुए कहा कि आज के बदलते आधूनिक परिवेश में फैशन का महत्व बढ़ता जा रहा है। आज के दौर में फैशन युवा पीढ़ी के दिलो दिमाग पर सिर चढ़ कर बोल रहा है।
इस मौके पर नीलम गुप्ता ने बताया कि एक समय था जब बच्चों को माता-पिता अपनी इच्छानुसार वस्त्र पहनते थे। तब बच्चों को भी इतना ज्ञान नहीं था कि फैशन के वस्त्र पहनना क्या होता है। फैशन का मतलब अडक-धडक कपड़े पहनना नहीं होता बल्कि आपकी सुन्दता भी आपके फैशन एक हिस्सा होती है। वैसे भी भारत की संस्क्रति में भी यही दर्शया गया है। उन्होंने बताया कि फैशन डिजाइनिंग को आम तौर पर कॅरियर का एक आप्शन भर माना जाता है। जबकि ऐसा नहीं है। दरअसल यह एक ऐसी कला है जो ड्रेस और एक्सेसरीज की मदद से किसी इंसान की लाइफ स्टाइल को सामने लाती है।
इस अवसर पर संस्थान के डॉयरेक्टर एस०एन०दुग्गल ने छात्रों को बताया कि मॉडर्न फैशन के अंतर्गत दो मूल विभाग हैं। पहला वर्ग है वस्त्रों को डिजाइन करना और दूसरा रेडी टू वियर अर्थात तैयार पोशाके। इन दोनो वर्गों मे फैशन डिजाइनिंग का इस्तेमाल प्रथम वर्ग मे किया जाता है। वर्तमान समय मे फैशन शो इसी के बूते चल रहे हैं। इन शो के जरिए ही फैशन डिजाइनर्स की सृजनात्मकता और रचनात्मकता का पता चलता है। अहमियत रंग और बुनावट की यदि किसी को टेक्सटाइल, पैटर्न, कलर, कोडिंग, टेक्सचर आदि का अच्छा ज्ञान हो तो फैशन डिजाइनिंग को कॅरियर के रूप मे अपनाने मे उसे बिल्कुल हिचकना नहीं चाहिए। उसकी सफलता को कोई गुंजाइश नहीं रह जाती और उसका नाम फैशन इंडस्ट्री मे तहलका मचा सकता है। खासकर भारत जैसे देश में जहां के फैशन मे पश्चिमी सभ्यता का भी संगम है। इसी मिलन ने फैशन इंडस्ट्री को एक नयी दिशा और पहचान दी है। इस अवसर पर छात्रा पूजा रानी, तान्या, मिनाक्षी, बबिता, मोनिका, अनुराधा ने भी फैशन इनोवेशन्स स्किल डेवलपमेंट पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

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