15 फरवरी तक दिया अपना पक्ष रखने का यह आखिरी मौका, इसके बाद सुना देगा न्यायालय अपना फैसला
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ, 11 जनवरी: प्रदेश भर के करीबन 7200 मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के अंदर लाखों गरीब बच्चों को प्री-नर्सरी कक्षाओं के अंदर 25 फीसदी मुफ्त दाखिले के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सरकार को फटकार लगाई है। माननीय हाईकोर्ट ने गत 9 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार को निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को दाखिला सुनिश्चित कराने के लिए अपना पक्ष रखने के लिए 15 फरवरी तक आखिरी मौका देने के साथ ही तलब भी किया है। न्यायालय ने इस मामले में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब सरकार को इस मामले को लम्बा खिंचने का कोई मौका नहीं मिलेगा जबकि 15 फरवरी को न्यायालय में अगर सरकार अपना पक्ष नहीं रखती तो फिर फैसला सुना दिया जाएगा।
अगस्त-2015 में हरियाणा सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए यह व्यवस्था कर दी थी कि नर्सरी से पहली कक्षा तक मुफ्त दाखिला के लिए पहले बच्चे नजदीकी सरकारी स्कूल में जाएंगे, अगर वहां सीटें खाली नहीं होंगी तो फिर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे। सरकार के इस फैसले को वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस बैंस व अंकित ग्रेवाल के माध्यम से भिवानी की जानवी बनाम हरियाणा सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका डालकर चुनौती दी गई थी। इसके बाद सरकार बार-बार न्यायालय से समय लेकर मामले को लम्बा खिंचती रही।
हरियाणा स्कूली शिक्षा नियमावली-2009 के अनुसार राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत गरीब बच्चों को प्री-नर्सरी से कक्षा पहली तक 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त दाखिला देने का प्रावधान किया हुआ है। गत 1 अप्रैल, 2015 में हाईकोर्ट के डबल बैंच ने भी फैसला देते हुए कहा था कि आरटीई एक्ट के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी दाखिले प्री-नर्सरी से पहली कक्षा तक दिलाए जाएं, लेकिन इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई। मगर वहां भी सरकार को मुंह की खानी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई तो अपने कदम पीछे खींच लिए थे। इसके बाद 18 सितम्बर, 2015 को माननीय हाईकोर्ट ने रिव्यू पेटीशन डाली तो वह भी खारिज हो गई। इसके बावजूद भी हरियाणा सरकार ने गरीब बच्चों को प्री-नर्सरी से पहली तक की कक्षाओं में मुफ्त दाखिला देने से इंकार कर दिया। इसी मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश राकेश कुमार जैन व अनुपेन्द्र सिंह ग्रेवाल की कोर्ट ने भिवानी की जानवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि या तो वे 15 फरवरी 2019 तक इस मामले में अपना पक्ष रख दें, अन्यथा न्यायालय द्वारा इस मामले में अपना फैसला सुना दिया जाएगा।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व संगठन के महामंत्री भारत भूषण बंसल ने बताया कि हरियाणा सरकार और प्राइवेट स्कूल कक्षा पहली से 12वीं तक तो 10 व 20 फीसदी गरीब बच्चों को दाखिला तो दे रही हैं। मगर वर्ष 2015 से लेकर अब तक प्री-नर्सरी से कक्षा पहली तक किसी भी बच्चे का मुफ्त दाखिला प्राइवेट स्कूलों में आरटीई नियम के तहत नहीं हुआ है। निजी स्कूलों में करीबन चार लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिसमें 25 फीसदी गरीब बच्चों का हक नहीं मिल रहा है। अब न्यायालय ने सरकार को 15 जनवरी तक सरकार को अपना पक्ष न्यायालय में रखने का अंतिम अवसर दिया है, इसके बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाने की बात कही है। अगर बच्चों के हक में फैसला आता है तो लाखों गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। क्योंकि 2015 से अब तक सरकार ने प्री-एजुकेशन से कक्षा पहली में एक भी गरीब बच्चे को राइट टू एजुकेशन के तहत एक भी गरीब बच्चे को लाभ नहीं दिलाया है। संगठन इस मामले में उन लाखों गरीब बच्चों के साथ उनका हक दिलाने के लिए खड़ा है।

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