मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 15 मार्च:
भ्रष्टाचारियों का काल कहे जाने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित प्रदेश के उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण और जिला प्रशासन आदि द्वारा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस आदि विभिन्न प्लेटफार्मों पर सम्मानित होते रहे हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास संरचना निगम (HSIIDC) के जिस इस्टेट ऑफिसर विकास चौधरी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है, उससे सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि रिश्वत लेने व मांगने के आरोप में पहले भी पॉल्युशन विभाग में रहते दो बार गिरफ्तार हो चुके चुके विकास चौधरी की सरकारी पर्सनल फाईल पर लाल स्याही से लिखा हुआ है कि उसकी फरीदाबाद व गुरूग्राम में पोस्टिंग नहीं हो सकती तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फरीदाबाद में ऐसे अधिकारी की पोस्टिंग किसकी सिफारिश पर किस अधिकारी ने की।
बता दें कि HSIIDC के इस्टेट ऑफिसर विकास चौधरी और सहायक इस्टेट मैनेजर मनोज बडग़ुर्जर को एंटी करप्शन ब्यूरो ने बुधवार को एक इंडस्ट्रियल प्लॉट का कंपीलशन सर्टिफिकेट देने के आरोप में 50 हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। DHBVN के Xen नीरज दलाल इस अवसर पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में मौजूद थे जिनकी देखरेख में ये सारी रेड की कार्यवाही हुई।
जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए उक्त दोनों अधिकारियों ने शिकायकर्ता से उसके इंडस्ट्रियल प्लॉट का कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने के लिए डेढ़ लाख रुपए की डिमांड की थी। शिकायकर्ता इनको 75 हजार रुपए दे भी चुका थे। बाकी बचे हुए 75 हजार रुपए के लिए ये अधिकारीगण उस पर लगातार दबाव बना रहे थे। पैसे न देने पर फाइल रद्द करने की धमकी दी जाती थी। परेशान होकर पीडि़त ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से कर दी जहां बुधवार को ACB ने जाल बिछाकर दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों से पूछताछ की जा रही है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक एक पुराने इंडस्ट्रियल प्लाट के कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए HSIIDC ने शिकायतकर्ता उद्योगपति को नोटिस भेजा था। नोटिस मिलने पर उद्योगपति ने जब संबंधित अधिकारियों से संपर्क साधा तो उन्होंने कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने के लिए उनसे तीन लाख रुपए की डिमांड की। नेगोसेसन के बाद सौदा डेढ़ लाख रुपए में तय हो गया था। अधिकारीगण शिकायतकर्ता उद्योगपति से 75 हजार रुपए ले भी चुके थे। उसके बाद बाकी बचे 75 हजार रुपए के लिए दबाव बना रहे थे।
बताया जा रहा है कि HSIIDC के अधिकारियों से परेशान उद्योगपति ने प्रदेश के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के करीबी बताए जाने वाले सेक्टर 8 निवासी एडवोकेट पीएल शर्मा को इस मामले में अपना वकील नियुक्त कर इस केस का निपटारा कराने को कहा। इस पर उन्होंने उद्योगपति की ओर से HSIIDC के इस्टेट मैनेजर विकास चौधरी से संपर्क किया और केस का निपटारा करने को कहा लेकिन उन्होंने एडवोकेट की एक न सुनी। ्र
एसीबी से संपर्क कर दर्ज कराई शिकायत:-
HSIIDC के अधिकारियों की प्रताडऩा से परेशान होकर एडवोकेट पीएल शर्मा ने एंटी करप्शन ब्यूरो से संपर्क कर बताया कि कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने के लिए अधिकारी पैसे मांग रहे हैं जबकि उनके क्लाइंट पहले ही 75 हजार रुपए दे चुके हैं। बाकी के 75 हजार रुपए न देने पर प्लाट को कैंसिल करने की धमकी दी जा रही है। इस पर एसीबी की टीम ने 50 हजार रुपए देकर उक्त एडवोकेट को IMT स्थित HSIIDC ऑफिस भेजा। वहां जब इस्टेट मैनेजर विकास चौधरी से उन्होंने संपर्क किया तो उन्होंने उन्हें सहायक संपदा मैनेजर मनोज बडग़ुर्जर के पास भेज दिया। इस दौरान एसीबी ने अपना जाल बिछा लिया था। एडवोकेट ने जैसे ही मनोज बडग़ुर्जर को रिश्वत की रकम दी, वैसे ही एसीबी की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि इस खबर के बाद इस्टेट मैनेजर विकास चौधरी ने जब वहां से भागने की कोशिश की एसीबी की टीम ने उसे भी दबोच लिया। उधर भुगतभागियों की मानें तो आरोपी इस्टेट मैनेजर उद्योगपतियों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए नोटिस भेजकर उन पर पैसे देने का दबाव बनाता था
क्या है विकास चौधरी का इतिहास:-
बता दें कि अब से पहले पॉल्यूशन विभाग में रहते हुए भी दो बार रिश्वत मांगने/लेने के आरोप में पकड़ा जा चुका है विकास चौधरी। पहली बार वर्ष 2011 में फरीदाबाद के तत्कालीन चर्चित जिला उपायुक्त प्रवीण कुमार ने अपने कैंप ऑफिस से ही विकास चौधरी को पकड़वाया था। बताते हैं कि विकास चौधरी ने एक सेवानिवृत्त सेशन जज के पुत्र से कारखाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) देने के नाम पर उस समय रिश्वत मांगी थी जब वह वर्ष 2011 में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जिले में क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर कार्यरत था। उस समय तो विकास चौधरी रंगे हाथ तो पकड़ में नहीं आया, परंतु कारखाना मालिक की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उससे शपथ पत्र लेकर तत्कालीन जिला उपायुक्त प्रवीन कुमार ने विकास चौधरी को अपने कैंप ऑफिस बुलवाकर गिरफ्तार करवाया था। उस समय विकास चौधरी को न्यायिक हिरासत में नीमका जेल भेजा गया था।
नीमका जेल में काफी समय तक न्यायिक हिरासत में सलाखों के पीछे रहने के बाद जब छूट कर विकास चौधरी बाहर आया तो वह दोबारा से मलाईदार पोस्ट पाने के लिए जुगत भिड़ाने लगा। जानकारी के मुताबिक जैसे तैसे सेवानिवृत्त सेशन जज के पुत्र वाला मामला रफा-दफा करने के बाद वह करीब 6 महीने बाद तत्कालीन हुड्डा सरकार में एक वरिष्ठ IAS अधिकारी जिसकी IAS धर्मपत्नी को वह अपनी मुंहबोली बहन बताता था, से जुगत भिड़ाकर वह सोनीपत में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में तैनात हो गया।
चूंकि विकास चौधरी के मुंह को खून लग गया था तो ऐसे में विकास चौधरी ने फिर से अपना काम शुरू कर दिया। इस बार जनवरी-2012 में उसने रोहतक रोड पर स्थित एक कार शोरूम पर छापामार कार्रवाई के बाद रिश्वत की मांग की। आरोप लगा कि शोरूम संचालक से सील की गई वाशिंग मशीन व जनरेटर को छुड़वाने की एवज में विकास चौधरी ने 50 हजार रुपये की मांग की थी। शोरूम संचालक ने इस संबंध में विजिलेंस को शिकायत कर दी। इस पर विजिलेंस के DSP सज्जन कुमार के नेतृत्व में रेडिंग टीम तैयार की गई थी तथा गन्नौर के SDM सत्यभूषण लोहिया को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया। तब जैसे ही शिकायतकर्ता ने विकास चौधरी को रिश्वत की रकम थमाई तो संकेत मिलते ही टीम ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।
रिश्वतखोरी में पकड़े जाने के बाद भी विकास चौधरी मलाईदार पदों पर रहा।:-
HSIIDC मेें इस्टेट ऑफिसर के पद पर IMT में नियुक्ति पाकर विकास चौधरी मोटी मलाई मार रहा था। बता दें कि HSIIDC HSVP की तर्ज पर काम करते हुए जो सैक्टर HSIIDC के पास हैं, उनमें नक्शे पास करना, कंपलीशन देना, बचे हुए प्लाटों की नीलामी करना, मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने सहित उद्योग चलाने की NOC भी HSIIDC के इस्टेट ऑफिसर द्वारा दी जाती है। उद्योगपतियों की शिकायत थी कि उक्त कार्य बिना सुविधा शुल्क दिए नहीं होते जिस कारण उद्योगपति काफी परेशान थे। लेकिन अब विकास चौधरी की गिरफ्तारी के बाद ऐसे परेशान उद्योगपतियों ने राहत की सांस ली है।
हरियाणा में कैसे आया विकास चौधरी?
जानकारी के मुताबिक झज्जर जिले में बेरी के पास स्थित गांव जहाजगढ़ का रहने वाला विकास चौधरी दिल्ली नगर निगम में जूनियर इंजिनियर यानि जेई था। इस दौरान हरियाणा में नियुक्तियां निकली तो विकास चौधरी का चयन प्रदेश सेवा में हो गया जहा से जुगाड़ भिड़ाकर वह डेपुटेशन पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में लग गया था और फिर अब HSIIDC मेें इस्टेट ऑफिसर। – क्रमश:

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