देशी लोक कला और विदेशी लोक कला ने दर्शकों को किया भाव विभोर
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 9 फरवरी: मोहे केवल तेरी आस सांवरे, मोर बन आयो रसिया। इस मधुर एवं सरस प्रस्तुति के माध्यम से बृज से आए कलाकारों ने मंगलवार को सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की मुख्य चौपाल पर आयोजित संास्कृतिक कार्यक्रमों के तहत दंतक कथा मोरकुटि में कृष्ण-राधा के नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। कलाकार देशी थे, या विदेशी अधिकांश ने अपने कार्यक्रमों के जरिये लोक-परलोक तथा आत्मा-परमात्मा के संबंधों से रूबरू करवाने का प्रयास किया।
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के नौवें दिन मुख्य चौपाल पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भगवान को विशेष तौर पर नमन किया गया। देश-विदेश से आये कलाकारों ने अपने-अपने तरीके से अपनी प्रस्तुतियों में ईश वंदना की। जापान के कलाकारों ने राज दरबार में प्रस्तुत किये जाने वाले संगीत नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें परिनिर्वाण को दर्शाया गया। इस संगीत को जापान में स्वर्ग का संगीत कहा जाता है।
बृज से आये लोक कलाकारों ने मोर नृत्य की प्रस्तुति से दंतक कथा मोरकुटि का सुंदर चित्रण किया। मयुर नृत्य के माध्यम से कलाकारों ने राधा रानी के विरह की प्रस्तुति दी, जिसे देखकर स्वयं भगवान कृष्ण ने मोर रूप धारण कर नृत्य करते हुए राधा वेदना को खत्म किया। थीम स्टेट तेलंगाना के कलाकारों ने यक्ष गान के माध्यम से भक्त प्रहलाद की कथा का सुंदर चित्रण करते हुए भक्ति में शक्ति के संदेश को प्रचारित किया।
ईश भक्ति के रस के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सामाजिक समस्याओं पर जोरदार प्रहार किया गया। हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण के तत्वावधान में मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटिका नशा छोड़ें-घर जोड़ें की प्रभावी प्रस्तुति से हर प्रकार के नशे की लत से दूर रहने का संदेश दिया। इसके अलावा रूस के कलाकारों ने जोशिले नृत्य की प्रस्तुति से लोगों में आनंद का संचार किया। मिस्त्र एवं कजाकिस्तान के कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता के दर्शन कराये।
नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर से जुड़ी कलाकारों ने पंजाब की समृद्धशाली संस्कृति को अपने गिद्दा की प्रस्तुति से दर्शाया। इसके अलावा विभिन्न देशों एवं राज्यों के कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को चौपाल में बांधे रखा।
सूफी रस में डूबी बीती संध्या:
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में बीती रात्रि सूफी संगीत के रस से सराबोर रही। सोमवार की संगीत संध्या में सूफी गायक कलाकार जमील अहमद ने गायन के विविध रंग छोड़ते हुए श्रोताओं को सूफी रस में डूबो दिया। उन्होंने कव्वाली तथा गजल और भजनों की प्रस्तुति दी। हर प्रस्तुति अनूठी और मंत्रमुग्ध करने वाली थी। उनकी याद आने के काबिल नहीं हैं और दमादम मस्त कलंदर इत्यादि प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।

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