मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
बल्लभगढ़, 15 मई: राजा बल्ल्लू की नगरी व शहीद राजा नाहर सिंह के वंशज बलिदानी वीर देशप्रेमी महाराजा बलराम के नाम पर उनकी नगरी बल्लभगढ़ का नाम बलरामगढ़ किया जाना बिल्कुल सही न्यायोचित है। जिन शहीदों ने अपना सर्वस्व देश की रक्षा में न्यौछावर कर दिया, उनके नाम पर उनके शहर का नाम रखा जाना गर्व का विषय है जहां पर कि वे रहे और जन्में। ऐसा किया जाना इन शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्वांजलि है। यह विचार फौगाट स्कूल सैक्टर-57 के डॉयरेक्टर व जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पूर्व सदस्य सतीश फौगाट ने स्कूल में आयोजित प्रात:कालीन सभा समारोह में व्यक्त किए।
श्री फौगाट का कहना था कि राजा बलराम युवा पीढ़ी के किए मार्गदर्शन है। सज्जनों को सम्मान व दुर्जनों को दुत्कार मिलने से ही सही समाज का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास की जानकारी शहरों के नामकरण, शहीदों के शिलालेख, वर्णनपट्ट, संग्रहालय में रखी अतीत से जुड़ी चीजों से होती है। बल्लभगढ़ का नाम बलरामगढ़ किए जाना बहुत ही प्रशंसनीय व ऐतिहासिक है।
श्री फौगाट ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की वर्तमान पीढ़ी अभिनेता, अभिनेत्रियों के नामों से तो अच्छी तरह वाकिफ है, लेकिन अपने वीर बलिदानी शहीदों के जीवन परिचय व कारनामों से बहुत दूर। सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ करना, गुमनाम हस्तियों को उजागर कर जनमानस के सम्मुख रखना बहुत ही सराहनीय कदम है। कुछ राजनीतिक विरोधी मस्तिष्क के लोग आलोचनावश बल्लभगढ़ के नाम परिवर्तन का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि नाम बदलने की बजाय शहर का विकास करना चाहिए। जबकि शहर का नाम किसी महत्वपूर्ण हस्ती के नाम पर किया जाना भी मानसिक व बौद्धिक विकास की ओर एक सकारात्मक कदम है। सही कार्य किसी के भी द्वारा किए जाए काबिलेप्रशंसा है। सच्चे देशप्रेमी लोग देशहित की हर बात का समर्थन करते हैं और अच्छे कार्य कर रहे लोगों की प्रशंसा कर उनकी हौंसलाअफजाही करते हैं ताकि एक सभ्य समाज का निमार्ण हो सकें।
इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन चौ० रणवीर सिंह, प्रधानाचार्या निकेता सिंह, गोविन्द, ज्योति, हिमानी, रीतू, दीपशिखा, रूचिका, सुमन चौपड़ा, नेहा शुक्ला, गीता, पूनम, श्रीवास्तव, कुणाल राजपूत, उषा सिंह, विकास सोलंकी, कमलेश, अनुराधा, अर्चना, कामना आदि मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *