नियम 134ए के तहत कक्षा दूसरी से 12वीं तक 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करना अनिवार्य हुआ
नवीन गुप्ता
चंडीगढ़, 26 सितंबर:
आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम-2003 के नियम 134ए के तहत कक्षा दूसरी से 12वीं तक 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करना अनिवार्य होगा। कक्षा दूसरी से 8वीं तक पढऩे वाले ऐसे विद्यार्थियों से निजी विद्यालायों द्वारा कोई फीस व फंड नहीं लिया जाएगा जबकि 9वीं से 12वीं तक पढऩे वाले विद्यार्थियों से ऐसे विद्यालयों द्वारा केवल वहीं फीस व फंड लिए जाएंगे जो राजकीय विद्यालयों में लिए जाते है। इन विद्यार्थियों की शिक्षा पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति हरियाणा सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर की जाएगी। इन आशयों के एक निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री मनोहरलाल की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिए गए।
बैठक के बाद शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने बताया कि शहरी स्थानीय निकायों की सीमा में पडऩे वाले शहरी स्कूलों में कक्षा दूसरी से 5वीं तक पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए उपरोक्त प्रतिपूर्ति 300 रुपये मासिक तथा छठी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए 400 रुपये मासिक की दर से की जाएगी। इसी प्रकार, ग्रामीण स्कूलों में कक्षा दूसरी से पांचवीं तक पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए 200 रुपये प्रति माह प्रति विद्यार्थी तथा कक्षा छठी से आठवीं कक्षाओं के लिए 300 रुपये मासिक प्रति विद्यार्थी की दर से की जाएगी।
श्री शर्मा ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों में कमजोर वर्गों के विद्यार्थियों के लिए पहले से ही पहली कक्षा के लिए 25 प्रतिशत सीटों के आरक्षण का प्रावधान है।
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि राज्य सरकार केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में पहली कक्षा में निर्धारित 25 प्रतिशत सीटों के कोटे की प्रतिपूर्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से प्राइवेट स्कूलों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के लिए अनुदान जारी करने का अनुरोध करेगी।
बैठक में पहली से आठवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को फेल न करने की नीति समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का भी निर्णय लिया गया।
बैठक में मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूृलों में प्राइवेट स्कूलों की तुलना में अच्छी पढ़ाई न होने की लोगों की धारणा को खत्म करने के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्ता दोनों अलग-अलग पहलू हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी है तो सरकार समाज के अन्य लोगों का सहयोग लेकर उसमें सुधार कर सकती है, परंतु शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बनती है। इसके लिए सरकारी स्कूलों व प्राइवेट स्कूलों के बीच बातचीत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि 5 से 10 स्कूलों पर अलग से एक स्कूल प्रबन्धन समिति गठित की जानी चाहिए। इस समिति में शिक्षाविद्धों को शामिल किया जाए, जो स्कूलों की कार्यप्रणाली की नियमित मोनिटरिंग करें।
बैठक में इस बात की भी जानकारी दी गई कि केन्द्र सरकार द्वारा तैयार की जा रही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हरियाणा पहला राज्य है, जिसने दो लाख से अधिक व्यक्तियों के फीडबैक व सुझाव ऑनलाइन केन्द्र सरकार को भेजे हैं और अब शिक्षा नीति पर राज्यस्तरीय परामर्श बैठक का मसौदा भी तैयार कर लिया गया है, जिसे शीघ्र ही केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भविष्य में अध्यापकों के स्थानान्तरण सेमैस्टर के बीच नहीं किए जाएंगे। जेबीटी अध्यापकों की अन्तर जिला स्थानान्तरण नीति बनाई गई है।
इसके अलावा, माध्यमिक शिक्षा के लिए अध्यापकों की स्थानान्तरण नीति के लिए वैबसाइट पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए अपलोड कर दी गई है। बैठक में मिड-डे मील योजना के सही संचालन के लिए तामिलनाडू, राजस्थान व कर्नाटक राज्य में एक अध्ययन दल भेजने पर भी सहमति व्यक्त की गई।
शिक्षा सलाहकार समिति के सदस्य दीनानाथ बत्तरा ने बच्चों के सर्वांगींण विकास के लिए उनके शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास पर अधिक से अधिक बल देने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता बताया।
बैठक में शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष प्रधान सचिव आरके खुल्लर, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, माध्यमिक शिक्षा निदेशक एमएल कौशिक, मौलिक शिक्षा निदेशक रोहताश सिंह खरब, उच्चतर शिक्षा आयुक्त विकास यादव, शिक्षा सलाहकार समिति के सदस्य दीनानाथ बत्तरा, ऋषि गोयल व डा० आरबी लांग्यान, मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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