मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
फरीदाबाद :
लगता है नगर निगम के चंद अधिकारियों ने अपने आर्थिक लाभ के लिए शहर के चंद बिल्डर्स के आगे बिल्कुल ही घुटने टेक रखे हैं। शायद इसी का परिणाम है कि NIT-5 के कई ब्लॉकों में बिल्डरों ने बिना किसी CLUऔर नक्शा पास के अवैध रूप से 233 वर्गगज या इससे छोटे-बड़े प्लॉटों में दर्जनभर फ्लैट या कई-कई फ्लोर बनाकर लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसने के लिए मजबूर कर दिया है। यहां तक की इन बिल्डरों ने अब तो स्टील पार्किंग तक को भी नहीं छोड़ा है और पार्किंग की जगह दुकानें और ऑफिस तक बना डाले हैं।
उदाहरण के तौर पर बता दें कि NH-5L/45A में बिल्डर ने जहां चार-चार फ्लोर खड़े कर दिए हैं, वहीं स्टिल पार्किंग के स्थान पर कई ऑफिस बना दिए हैं, वहीं NH-5D/51 में दुकानें बना दी गईं हैं। जिसके कारण लोगों को पानी-सीवरेज, पार्किंग, रोड़ जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा पड़ रहा है। यहीं नहीं, इसके अलावा निर्माणाधीन NH-5L/12, NH-5L/54, NH-5H/39 आदि में तो अवैध रूप से फ्लैट/फ्लोर बनाने का निर्माण कार्य अभी भी बदस्तुर चल रहा है।
ऐसा नहीं हैं कि नगर निगम के संबंधित विभाग के अधिकारियों को इनके बारे में जानकारी नहीं हैं, अपितु बताते हैं कि उनके संरक्षण में ही ये सारे अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं।
इधर पिछड़ी कॉलोनियों को छोड़कर खासतौर पर देखा जाए तो एनआईटी-5 के कुछ ब्लॉकों में सीवरेज-पानी की समस्या से लोग ज्यादा परेशान हैं। यही कारण रहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या की NH-5L ब्लॉक के लोगों को सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या के चलते 5 नंबर मार्किट में रोड़ तक जाम करना पड़ा। नौबत यहां तक आ पहुंची की मजबूरी में मौके पर पहुंचे स्थानीय पार्षद जसवंत सिंह को यहां तक कहना पड़ गया कि यदि सोमवार, 16 अगस्त की दोपहर तक उनकी समस्या हल नहीं हुई तो वे इस्तीफा दे देंगे।
वो तो शुक्र है निगमायुक्त का कि उन्होंने उक्त सारे घटनाक्रम की लाइव कवरेज मैट्रो प्लस में देखने के बाद सोमवार को सुबह ही मौके पर सीवरेज समस्या दूर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को सुपर शॉकर मशीन के साथ भेजकर काम शुरू करवा दिया, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। बता दें कि शायद ही कोई ऐसा दिन होता होगा जब लोगों को सीवरेज और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझना ना पडऩा पड़ता हो।
कुल मिलाकर निचोड़ यह निकलता दिखाई देता है कि अवैध रूप से फ्लैट/फ्लोर बनाकर मलाई तो संबंधित विभाग के अधिकारी/कर्मचारी खा जाते हैं और प्रदर्शन और रोड़ जाम के नाम पर गालियां खाकर भुगतना पड़ता है नगर निगम के टेक्निकल विभाग को। इसलिए निगमायुक्त को चाहिए कि वो अवैध रूप से बन रहे फ्लैटों/फ्लोरों पर रोकथाम लगाते हुए स्टिल पार्किंग के स्थान पर बनाई गई दुकानों और ऑफिसों पर सीलिंग की कार्यवाही करें ताकि जनता को मूलभूत सुविधाएं सुचारू रूप से मिल सके।
अब देखना यह है कि स्वच्छ छवि के निगमायुक्त इस मामले में किस तरह की कार्यवाही अमल में लाते हैं। –क्रमश

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