पंचकूला के पुलिस कमिश्नर को ही क्यों प्रदान की गई है ऐसी शक्ति?
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद/गुरूग्राम, 15 फरवरी:
हरियाणा के सभी 22 सामान्य (राजस्व) जिलों और एक विशेष पुलिस जिले हांसी में मौजूदा तैनात पुलिस कप्तानों/अक्षीक्षकों में से तीन जिलों फरीदाबाद, गुरुग्राम और पंचकूला में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था हैं, इसलिए यहां पर जिला एसपी की बजाए न्यूनतम आईजी रैंक (इंस्पेक्टर जनरल/पुलिस उप-महानिरीक्षक) के वरिष्ठ IPS अधिकारी बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात किये जाते हैं। वो बात अलग है कि यहां पर कई बार ADGP रैंक के अधिकारी भी पुलिस कमिश्रर होते रहे हैं।
बता दें कि दो दिन पहले तक गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर आईजी रैंक के 1996 बैच के IPS अधिकारी के.के. राव थे। हालांकि गत् वर्ष 2021 से उनका ADGP (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) रैंक में प्रमोशन लंबित है। हाल-फिलहाल अब गुरूग्राम का पुलिस कमिश्रर 1994 बैच की वरिष्ठतम महिला IPS अधिकारी कला रामचंद्रन को लगाया गया है। जबकि फरीदाबाद में 1998 बैच के IPS अधिकारी विकास अरोड़ा पुलिस कमिश्नर हैं और उन्हीं के बैच के आईपीएस एवं आईजी सुरक्षा पद पर तैनात सौरभ सिंह के पास पंचकूला पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार है।
बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 144 में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम-जिलाधीश), सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम-उपमंडलाधीश) या राज्य सरकार द्वारा विशेष तौर पर प्राधिकृत एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी) मजिस्ट्रेट अपने अपने सम्बंधित जिले/क्षेत्र में उपरोक्त आदेश जारी कर सकता है।
हालांकि जहां तक प्रदेश के तीन जिलों जिसमें से प्रदेश के दो महानगर- गुरुग्राम और फरीदाबाद भी शामिल हैं एवं पंचकूला का विषय है तो इन तीनों में गुरुग्राम (पहले गुडगांव) में जून, 2007 में, फरीदाबाद में अगस्त, 2009 में जबकि पंचकूला में अक्टूबर, 2016 में पुलिस कमिश्नरेट बनाया गया था।
हेमंत कुमार ने बताया कि उक्त तीनों जिलों में पुलिस कमिश्नरेट स्थापित करने की गजट नोटिफिकेशन जो प्रदेश के गृह विभाग द्वारा जारी की गयी, में से केवल पंचकूला जिले के पुलिस कमिश्नर को ही सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता), 1973 की धारा 20 (1) में बतौर एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी) मजिस्ट्रेट को धारा 133 और 144 धारा लागू करने की शक्तियां प्रदान की गयी हैं जबकि उनके अधीन तैनात डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) एवं एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त) को केवल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गयी है। इस प्रकार पंचकूला जिले में धारा 144 में निषेधाज्ञा आदि के आदेश न केवल वहां तैनात पुलिस कमिश्नर के द्वारा बल्कि उसके अधीन आने वाले डीसीपी/एसीपी द्वारा भी अपने क्षेत्र में जारी किये जा सकते है।
अब प्रश्न यह उठता होता है कि जब पंचकूला के पुलिस कमिश्नर को धारा 144 लागू करने की शक्तियां व उनके अधीन डीसीपी/एसीपी को धारा 144 सीआरपीसी में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की जा सकती है तो दोनों महानगरों गुरुग्राम और फरीदाबाद, जहां पिछले 14-15 वर्षो से पुलिस कमिश्नरेट स्थापित हैं एवं जहां इनके अधीन कई पुलिस जिले भी हैं, वहां के पुलिस कमिश्नर को ऐसी शक्ति क्यों नहीं प्रदान की गयी है। आज तक गुरुग्राम और फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर को धारा 144 लागू करने की शक्तियां तो दूर, कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्ति तक प्रदान नहीं की गयी हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
वर्तमान में हरियाणा के सभी 22 जिलों में पंचकूला को छोड़कर शेष 21 जिलों में धारा 144 में आदेश सम्बंधित जिले के जिलाधीश/उपायुक्त द्वारा जिलाधीश के तौर पर या जिले के उपमंडलों में एसडीएम द्वारा जारी किये जा सकते हैं जिनमें गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले (पुलिस कमिश्नरेट) भी शामिल है। अब चूंकि हरियाणा पुलिस कानून, 2007 में स्थापित हर पुलिस कमिशनेरेट पुलिस रेंज भी है एवं पुलिस कमिश्नर का स्तर न्यूनतम आईजी रैंक का होता है।
इसलिए एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि या तो पंचकूला की तर्ज पर गुरुग्राम और फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर्स को भी धारा 144 में जिलाधीश की शक्तियां मिलनी चाहिए अथवा पंचकूला पुलिस कमिश्नर से भी धारा 144 में जिलाधीश की शक्तियां वापिस लेकर जिले के जिलाधीश/उपायुक्त को वापिस दी जानी चाहिए।

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