हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट-2003 के तहत ही ली जा रही है फीस
शरारती तत्वों के बहकावे में ना आए अभिभावक: एचपीएससी
शहर के प्राईवेट शैक्षणिक संस्थानों में पढऩे वाले विद्यार्थियों ने मचा रखी है दुनियाभर में अपने अविष्कारों की धूम
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 14 जुलाई (नवीन गुप्ता): शिक्षा के क्षेत्र में फरीदाबाद जिला, आज न केवल हरियाणा बल्कि पूरी दुनिया में एजुकेशन हब के नाम से जाना जाता है। यहां के मानव रचना जैसे शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों ने पूरी दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर फरीदाबाद का नाम रोशन किया है। इसका श्रेय केवल और केवल यहां के उन प्राईवट स्कूलों/कॉलेजों को जाता है जोकि एक अध्यापक के रूप में कुम्हार बनकर मासूम बच्चों को एक नया रूप देते है। इसी बलबूते पर ही वो अपने शहर और देश का नाम का दुनिया भर का डंका बजाता है। आज जब दिन-प्रतिदिन शहर के प्राईवेट स्कूल सरकारी स्कूलों की अपेक्षा शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं, वहीं शहर के कुछ शरारती तत्वों को ये बात हजम नहीं हो पा रही है और वो अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए इन स्कूलों के खिलाफ फीस बढ़ोतरी मामले को लेकर शहर में एक नकारात्मक माहौल पैदा कर रहे हैं, जैसा कि आए दिन देखने में भी आ रहा है। वहीं सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा भी इस मामले में अभिभावकों, प्राईवेट स्कूल तथा संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट संदेश न देना भी इसका एक मुख्य कारण है। आए दिन होने वाले धरने-प्रदर्शनों से कुछ हो ना हो लेकिन इतना जरूर है कि इनसे कुछ छात्रों का भविष्य जरूर अधर में लटक सकता है।
गौरतलब रहे कि मंगलवार को नहर पार स्थित माडर्न डीपीएस स्कूल में कुछ अभिभावकों ने स्कूल के प्रिंसीपल और प्रबंधक के खिलाफ खेड़ी पुल पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बच्चों को विद्यालय द्वारा प्रताडि़त किया जा रहा है। इस संदर्भ में पुलिस चौकी में पहुंचे स्कूल संचालकों के खिलाफ जिस तरीके से अभिभावकों ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए नारेबाजी की वह वास्तव में ही निंदनीय कार्य था, जोकि पढ़े-लिखे लोगों को तो कतई शोभा नहीं देता।
इस मामले को लेकर जब माडर्न डीपीएस के प्रिंसीपल यू.एस. वर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि चंद अभिभावकों द्वारा स्कूल प्रबंधन पर बच्चों को प्रताडि़त करने के जो आरोप लगाए गए है वो सब तथ्य से परे तथा आधारहीन है, असल बात तो कुछ ओर ही है। और जहां तक बात है फीस बढ़ोतरी की तो स्कूल को सीबीएसई तथा हरियाणा एजुकेशन एक्ट के तहत चलाया जा रहा है। बकौल वर्मा उनके स्कूल में पढऩे वाले लगभग 3850 बच्चों में से मात्र 15-20 को छोड़कर सभी बच्चों के अभिभावकों ने फीस जमा करवा दी है। और जिन 15-20 अभिभावकों ने फीस जमा नहीं करवाई है उनके साथ स्कूल प्रंबधन ने फोन, एसएमएस, ई-मेल आदि द्वारा कई बार फीस जमा करवाने के लिए पत्राचार किया लेकिन उन्होंने फीस तो जमा नहीं करवाई बल्कि कुछ शरारती तत्वों के बहकावे में आकर पुलिस में उनसे दुव्र्यवहार करने की झुठी शिकायत कर दी।
श्री वर्मा ने बताया कि हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट-2003 के सेक्शन 24 (2), 15, 16 और 17 के तहत प्रत्येक विद्यार्थी को बिना जुर्माने के एक से 10 तारीख तक बिना जुर्माने के तथा 11 से 20 तारीख तक जुर्माने के साथ फीस जमा करवानी होती है। एजुकेशन एक्ट के मुताबिक यदि छात्र की फीस 20 तारीख तक जमा नहीं होती है तो 21वें दिन के बाद नियमानुसार छात्र का नाम स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल से काटा जा सकता है। बकौल वर्मा फीस जमा ना करने वाले इन छात्रों के नाम नियमानुसार तो अब तक स्कूल से कट जाने चाहिए थे, लेकिन छात्रों के भविष्य को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने उनके नाम नहीं काटे जबकि इन्होंने अप्रैल महीने से अब तक विद्यालय में कोई भी फीस जमा नहीं करवाई है। बावजूद इसके ऐसे अभिभावकों द्वारा ही उनकी झूठी शिकायत की जा रही है। श्री वर्मा का कहना था कि यदि किसी छात्र के अभिभावक को कोई परेशानी है या उन्हें उनसे कोई बात करनी है तो वे उनसे स्कूल समय में कभी भी मिल सकते है। श्री वर्मा ने अभिभावकों से स्कूल का डेकोरम बनाए रखने की अपील भी की है।
फीस ना देने पर काटा जा सकता है छात्र का नाम: रमेश चन्द्र
निजी स्कूलों द्वारा फीस में बढ़ोतरी करने और फीस ना देने पर छात्र का नाम स्कूल से काटे जाने को लेकर जब उप-जिला शिक्षा अधिकारी रमेश चन्द्र शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि फीस जमा ना कराने पर 20 तारीख के बाद स्कूल प्रबंधन को छात्र का नाम काटने का अधिकार तो है लेकिन जुर्माना भरने के बाद उसका रि-एडमीशन किए जाने का भी हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट-2003 में प्रावधान है। जहां तक फीस बढ़ोतरी का सवाल है तो उसके लिए स्कूल प्रबंधन को फार्म-6 भरना पड़ता है जिसमें स्कूल को फीस बढ़ाने के कारण भी बताने होते हैं।
कोई भी स्कूल नियम से ज्यादा फीस नहीं बढ़ाता: गोंसाईं
अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों के बीच चल रही फीस बढ़ोतरी की जंग को लेकर जब हरियाणा प्रोग्रेसेसिव स्कूल्ज कांफ्रेस (एचपीएससी) के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई से बात की गई तो उनका कहना था कि कोई भी स्कूल नियम से ज्यादा फीस नहीं बढ़ाता और बिना फीस मेंबढ़ोतरी किये हुए किसी भी स्कूल को नहीं चलाया जा सकता। सभी प्राईवेट स्कूल शिक्षा विभाग में जमा कराए गए फार्म-6 के तहत ही फीस ले रहे हैं। साथ ही उनका कहना था कि यदि सीबीएसई से संबंधित कोई स्कूल फार्म-6 में भरी गई फीस से ज्यादा फीस वसूल रहा है तो वो गलत है। इसकी सूचना अभिभावक उन्हें दे सकते हैं जिस पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
अभिभावकों की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा: सुरेश चंद्र
एचपीएससी के जिला अध्यक्ष सुरेश चंद्र का भी इस मामले में कहना है कि सभी विद्यालय सीबीएसई और हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट-2003 के तहत ही चल रहे है। उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे फीस बढ़ोतरी मामले में किसी बाहरी तत्व के बहकावे में आकर उनका मोहरा न बनें। अगर किसी अभिभावक को कोई आर्थिक समस्या है या फिर उन्हें हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट-2003 से संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो वो संबंधित स्कूल के प्रिंसीपल से या उनसे मिलकर अपनी भ्रांति दूर कर सकता है। एचपीएससी के स्तर पर भी अभिभावकों की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
क्या कहते है शिक्षाविद्:-
इस मामले में शिक्षाविद् नरेंद्र्र परमार का कहना है कि शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है, बल्कि एक सेवा है। लेकिन आज प्राईवेट स्कूलों को अपने यहां सभी व्यवस्थाएं स्वयं के संसाधनों से पूरी करनी पड़ती हैं। अभिभावक भी स्कूल में बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं को देखकर ही अपने बच्चे का दाखिला करवाता है इसलिए अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन की गलती नहीं निकालनी चाहिए।
वहीं एक अन्य शिक्षाविद् टीएस दलाल का कहना है कि फरीदाबाद में विभिन्न आर्थिक स्थिति के अभिभावक है तो उसी तरह से स्कूल भी है। स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं के मुताबिक ही उनकी फीस आदि निर्धारित की जाती है। यदि किसी अभिभावक को स्कूल की फीस ज्यादा लगती है तो वो अपने बजट के मुताबिक के स्कूलों में भी अपने बच्चों का एडमिशन करा सकता है। ऐसे में ना तो किसी अभिभावक को कोई समस्या आएगी और ना ही किसी स्कूल संचालक को।
कुल मिलाकर जो भी हो, अभिभावक एकता मंच के नाम पर अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच में फीस बढ़ोतरी को लेकर जो कुछ भी लड़ाई चल रही है उसका खामियाजा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों को स्कूलों मेंं से अपना नाम कटवाकर भुगतना पड़ रहा है। यह सब कुछ छात्रों के भविष्य के लिए ठीक नहीं हैं।

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