मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 07 नवम्बर:
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव गढख़ेड़ा में रविवार देर रात नई पहल की शुरूआत हुई। ग्रामीणों ने एकजुट होकर वाल्मीकी समाज की बेटी कुमारी मीनाक्षी को निर्विरोध सरपंच का उम्मीदवार घोषित किया। रविवार देर रात हुए फैसले को लेकर ग्रामीण खूब उत्साहित हैं। बेटी पर सहमति बनाने के लिए बाकी इच्छुक उम्मीदवारों से समझाया जा रहा है।
बता दें कि आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत में सामूहिक रूप से 75 फुट ऊंचा तिरंगे लगाने वाले गांव गढख़ेड़ा भी निर्विरोध पंचायत गठन की कवायद में जुटा हुआ है। करीब डेढ़ महीने से ग्रामीण निर्विरोध पंचायत बनाने को लेकर लगातार बैठकें कर रहे हैं। गांव में सर्वसम्मति बनाने के लिए तीन बड़ी समन्वय बैठक व दर्जनों नुक्कड बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें अधिकांश भावी सरपंच पद के उम्मीदवारों ने गांव-बस्ती के फैसले का पुरजोर स्वागत किया। ग्रामीणों का कहना है कि वोट बैंक की राजनीति गांव के भाईचारे को नुकसान पहुंचा रही है। यह गांव के विकास में भी अक्सर अड़चन पैदा करती रही है इसलिए ग्रामीण इस बार निर्विरोध पंचायत बनाना चाहते हैं। गांव में निर्विरोध पंचायत मुहिम का व्यापक असर भी दिखाई दे रहा है। अधिकांश वार्ड में निर्विरोध पंचों का चुनाव किया जा रहा है।
एक बार फिर रविवार को निर्विरोध पंचायत को लेकर गांव में सुबह-शाम दो बार बैठकों का आयोजन किया गया। बैठकों की अध्यक्षता कंवल लाल व श्रीचंद ने की। दोनों बैठकों में सरपंच पद के उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया और अपने विचार प्रकट किए। रात करीब 8 बजे हिन्दी(साहित्य) से एमए करने वाली छात्रा कुमारी मीनाक्षी को निर्विरोध सरपंच का उम्मीदवार घोषित किया गया।
इस मौके पर मीनाक्षी ने कहा कि वर्ष 2010 में पिता की मृत्यु हो जाने से एक खालीपन था, आज गांव के बुजुर्गों ने उस कमी को पूरा कर दिया। यदि मुझे मौका मिला तो वह गांव में सामूहिक विचार-विमर्श के बाद विकास कार्यों को करेंगी। अब ग्रामीण बाकी इच्छुक उम्मीदवार को मानने का प्रयास कर रहे है ताकि गांव में इस बार निर्विरोध सरपंच चुना जा सके।
बैठक में विवेक सैनी, विजयपाल थानेदार, राजपाल तोमर, नेत्रपाल छौक्कर, प्रेमचंद मास्टर, पंडित शिवराम, वीरेंद्र फौजी, कृष्णा देवी, सुखदेव लोर, प्रताप सांगवान, मास्टर चंद्रपाल, सुनील सैनी, चौधरी डालचंद, माया देवी, बाबूराम कश्यप, खडक सिंह सैनी, राजवीर, लिखीराम, नवल सिंह, हरिदत्त वशिष्ठ और शब्बू सहित सैंकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

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