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मेले में मेला झूलों का मेला खूब भा रहा युवाओं को

झूला परिसर में रोजाना हजारों बच्चे युवक-युवतियां ले रहे झूलों का मजा
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 13 फरवरी: मेले में मेला जी हां, अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला परिसर में एक और मेला लगा है। यह मेला झूला परिसर में लग गया है, जहां रोजाना हजारों युवक-युवतियां, बच्चे और जवान दो दर्जन से अधिक झूलों का मजा ले रहे हैं। सूरजकुंड मेले में पहली बार रेंजर तथा रोवर झूलों को शामिल किया गया है, जोकि युवाओं की पहली पसंद बन गये हैं। यहां मात्र 50 से 100 रुपये की टिकट में शानदार झूलों का आनंद लिया जा सकता है।
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में सागू ड्रिमलैंड प्रा० लि० के तत्वावधान में झूला परिसर सजाया गया है। ड्रिमलैंड के महाप्रबंधक विजय शुक्ला बताते हैं कि वे यहां 25 झूले लेकर आये हैं, जिनमें रेंजर तथा रोलर झूले पहली बार लाये गये हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में ड्रिमलैंड द्वारा बड़े-बड़े 500 से अधिक मेलों में झूला परिसर स्थापित किया जा चुका है। सूरजकुंड में वे पहले भी सेवाएं दे चुके हैं। झूला परिसर युवाओं में खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शिल्पकला के अनूठेपन से रूबरू होने के साथ-साथ युवा झूलों का आनंद लेने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
शारीरिक सौष्ठव निखारने में सहायक जमीनी खेलों से आजकल के बच्चे दूर होते जा रहे हैं। आउटडोर खेलों में बहुत कम संख्या में बच्चे हिस्सा लेते हैं, जिससे उनका दिमागी विकास भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। बच्चों और युवाओं को विडियो गेम, टीवी तथा मोबाईल की दुनिया से निकालने के लिए मेला प्राधिकरण ने सूरजकुंड में झूला परिसर भी लगाया है। यह कहना है झूला परिसर की सुरक्षा को जांचने के लिए महाप्रबंधक हरियाणा रोडवेज राजेश कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी के मैम्बर सेक्रेटरी एवं हरियाणा टूरिज्म मैकेनिकल एसडीओ जगदीश चंद्र का। वे कहते हैं कि बच्चों को घरों से बाहर निकलकर मिट्टी में खेलना बहुत जरूरी है। यदि ऐसा नहीं होता तो टीवी की दुनिया बच्चों को तनाव की दुनिया में धकेल सकती है।
जांच कमेटी में शामिल राजबीर सिंह कहते हैं कि झूला परिसर में सभी झूले सुरक्षा मानकों की कसौटी पर खरे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन निगम के एमडी विकास यादव के निर्देशन में इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रतिदिन वे झूला परिसर का दौरा करते हैं और नियुक्त अधिकारियों-कर्मचारियों से जांच-पड़ताल करते रहते हैं। श्री सिंह ने कहा कि वे स्वयं प्रतिदिन हर झूले का बारीकी से निरीक्षण करते हैं।
झूला परिसर में 3 से 50 वर्ष की आयुवर्ग तक के लोगों के लिए झूले स्थापित किये गये हैं। झूला परिसर के संचालक 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को झूला झूलने की अनुमति नहीं देते। लेकिन जिनको यह अनुमति प्राप्त है वे झूलों का खूब लुत्फ उठा रहे हैं। टोरा-टोरा, डायनाकोस्टर सरीखे झूलों का आनंद उठाने के लिए मजबूत दिल की जरूरत पड़ती है। झूला झूलने आये राहुल, किरण, वीना, अंजलि, भावना, सुनील व दीपक का कहना था कि बाहर से देखने पर झृूले सहज लगते हैं, किंतु झूला झूलना सरल कार्य नहीं है। कई झूलों में तो पसीने छूट जाते हैं लेकिन डर के आगे जीत है।
ड्रिमलैंड के महाप्रबंधक विजय शुक्ला कहते हैं कि झूला परिसर संपूर्ण पारीवारिक मनोरंजन का उत्तम विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि टीवी तथा सिनेमाघरों में पूरा परिवार एक साथ कोई फिल्म नहीं देख सकता। जबकि झूला परिसर स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में परिवार का एक स्थान पर एकत्रित होना भी मुश्किल हो जाता है, ऐसे में मेले में आने वाले परिवारों के लिए झूला परिसर अच्छा स्थान है। जहां मनोरंजन के साथ एकजुटता का अहसास होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि झूला परिसर में हलके-फुलके खान-पान का भी प्रबंध किया गया है। छोटे बच्चों के लिए झूलों के अलावा खिलौनों की भी कई स्टाल हैं।

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