नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 30 जनवरी: दोस्तों आजकल फिर सें एक बार शादीयों मौसम शुरु हो गया। हां- हां आपके पास भी ईष्ठ मित्रो के यहां से शादी के निमंत्रण पत्र आये होगे। हम सभी सगे सम्बन्धियों और दोस्तो के यहा विवाह में सरीक होते हैं और नवदम्पत्ति को आशीर्वाद देकर उनके सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए मंगल कामना करते हैं । लेकिन आजकल शादियों में सब कुछ उल्टा-पल्टा होता है ना तो हमे परवाह है अपने रीति रिवाजों की ना सामाजिक मर्यादा की बस यदि है तो शादी में कितने प्रकार के खाने के आइटम है। पेय पदार्थ में शराब हैं या नही शादी का आयोजन किस होटल या बैकंट हाल किया गया है ,वहां साज सजावट कैसी है, यदि इसमें कोई कमी रह जाती है तो आपके सगे सम्बन्धी दोस्त कमी निकाल टिप्पणी करने में देरी नहीं करते हैं। इन आलोचना के डर से बचने के लिए एक मध्यम और निम्न वर्गीय माता-पिता जिसके पास पर्याप्त मात्रा मे धन नही है वे या तो किसी बैंक या किसी अमीर व्यक्ति से न केवल कर्ज लेकर बल्कि अपनी जमा पूंजी आयोजन में लगा देते है। समाज मे झुठी शान दिखाने के चक्कर में निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को अमीरो की नकल करने के साथ-साथ अपना शोषण करवाने को मजबूर कर दिया। आज शादी विवाहों में असली खुशियों का स्थान कृत्रिम साधनों ने ले लिया है।
पलवल डोनर्स क्लब के मुख्य संयोजक आर्यवीर लायन विकास मित्तल का कहना है कि शादी विवाहों में अनेक प्रकार के ठण्डे या गर्म पेय पदार्थ और असंख्य खाद्य पदार्थो को परोसनेे के लिए प्लास्टिक से बने हुए ग्लास एक प्लेट आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जिनसे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। शादी की चकाचौंध माहोल के लिए बड़ी-बड़ी सजावटी लाइटो का प्रयोग किया जाता है जिनको जलाने के लिए बड़े -बड़े जनरेटरों जोकि विभिन्न हानिकारक गैसे उत्सर्जित करके वातावरण को प्रदूषित करते है की आवश्यकता होती है। हम सबकी जिम्मेदारी है हम विवाह को सामाजिक समारोह के रूप में देखते हैं तो हम सब की जिम्मेदारी है कि इसके कारण किसी तरह की सामाजिक प्रदूषण या सामाजिक विकृति या असमानता न फैले। हम यदि हम एक बार प्रदूषण रहित सादगीभरी विवाह शादी की शुरुआत करें तो अन्य लोग भी उसका अनुसरण करेंगे ।
वैश्य अग्रवाल सभा पलवल की महिला प्रधान मती अल्पना मित्तल का कहना है कि यदि शादी विवाहों में खाने का सामान बचे तो उसे किसी बस्ती या अनाथालय या वृद्ध आश्रम में किसी एनजीओं या संस्था की मदद सें भिजवायें जिससे वो जरूरतमंद व्यक्तियों के काम आ सके । जहां तक संभव हो तो विवाह आदि अन्य मंगल कार्य दिन में सम्पन्न करके रात्रिकालिन की लाइट की साज सजावट और रात्रि भोजन के खर्चे से बचा जा सके। यदि हम ऐसा करेंगे तो निश्चित रूप से समाज के बाकि लोग भी प्रेरित होकर ऐसा करेगें।
कहने को तो हमारा देश स्वतन्त्र हो गया परंतु आज भी हम पुरानी रुढीवादी परम्पराओ से जकडे हुए है। लेकिन आज माहोल बदल चुका है। ढकोसलो और रुढि़वादिता बाहर निकल कर हमें अपनी सोच बदलनी होगी।
कुछ आवश्यक बातें :
1- हमे सभी शादी-विवाह सम्बन्धित कार्यक्रम दिन में आयोजित करने चाहिए।
2- हमे शादी-विवाह से सम्बन्धित सार्वजनिक कार्यक्रम दो से अघिक नही रखने चाहिए।
3- हमें शादी-विवाह समारोह में अनावश्यक तड़क-भड़क का दिखावा भी नहीं करना चाहिए। दुल्हे-दुल्हन की वेष-भुषा और गहनो आदि पर अत्यधिक खर्च करने सें बचें।
4- हमें शादी-विवाह से पूर्व सगाई एभात आदि समारोह में बहू-बेटी इत्यादि निकट के रिश्तेदारों को छोड़कर मिलाईध् मिलनी के नाम पर नकद राशि उपहार का वितरण पर भी रोक लगानी होगी ।
5- शादी-विवाह में पटाखों आदि के प्रयोग पर भी पूर्ण रूप से रोक लगानी होगी ।
6- ध्यान रहे कि विवाह समारोह के दौरान विवाह जुलूस में सड़क पर बारातियों के द्वारा डीजेध्बैंन्ड आदि पर नाचकर सड़क यातायात में कम व्यवधान हो।
7- शादी-विवाह समारोह में न केवल आमंत्रित मेहमानों की संख्याए बल्कि साथ-साथ उनको परोसे जाने वाली खानें की वस्तुओं की संख्या भी सीमित होनी चाहिए।
8- शादी-विवाह में शाकाहारी खाद्य वस्तु ही परोसी जाए। शराब आदि नशीले पेय पदार्थों पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिए।
9- शादी-विवाह में आये हुए अतिथियों को भोजन एवं पानी आदि का भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए उतना भोजन ही लें थाली में कि व्यर्थ न जाए नाली में।
10- यदि सम्भव हो सके तो सीमित परिजनों के साथ विवाह-शादी आदि संस्कार करने के उपरान्त दोनों पक्ष
मिलकर सामुहिक भोज करके;खर्चे को आधा.आधा करद्धएबचे हुए धनको
वर-वधू के नाम जमा कर न केवल उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं बल्कि समाज में एक अनूठी पहल
भी करें।
आप सभी लोगों से अपील है कि उपरोक्त में सें जितने ज्यादा से ज्यादा सुझावों को अपनाने की कोशिश करे। इसकी शुरुआत अपने परिवार से ही करे। इस मुहिम में वैश्य समन्वय समिति फरीदाबाद के संयोजक जेपी गुप्ता और वैश्य जागृति मंच फरीदाबाद के चेयरमैन जेबी गुप्ता और उनकी संस्थाए समाज को जागरुक करने का कार्य कर रही है।

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