अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए आदेश जारी किए हैं जिला शिक्षा अधिकारी ने
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 30 मार्च: जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने अधिकारों से बाहर जाते हुए निजी स्कूलों की छवि बिगाडऩे के उद्वेश्य से एक पत्र के तहत फीस बढ़ोतरी से संबंधित उन्हें जो आदेश दिए गया है, वह गैर-जिम्मेदाराना है और तर्कसंगत नहीं है। यह पत्र निजी स्कूलों की प्रगति में बाधक साबित होगा। इसलिए नियमों के विरूद्व निजी स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किए गए इस पत्र का विरोध करते हुए इसे माननीय हाईकोर्ट में चैलेंज किया जाएगा। इस आशय का फैसला प्रदेशभर के सीबीएसई तथा आईसीएसई से संबंद्व प्राईवट स्कूलों की रजिस्ट्रर्ड संस्था हरियाणा प्रोग्रेस्सिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एचपीएससी) द्वारा आयोजित एक आपात बैठक में लिया गया। सैक्टर-16ए स्थित ग्रेंड कोलम्बस स्कूल में आयोजित इस बैठक में एचपीएससी के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई, जिला अध्यक्ष सुरेश चंद्र, जिला सचिव डा० सुमित वर्मा, एसके जैन, मनोरमा, एचएस मलिक तथा डा० सुभाष श्योराण आदि स्कूल संचालक विशेष तौर पर मौजूद थे।
बैठक में कांफ्रेंस के पदाधिकारियों ने अपने-अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र सरकारी खर्च अधिक होने के बावजूद भी छात्रों का मोह उनसे भंग हो रहा है। इन प्राईवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि निजी क्षेत्र के उनके विद्यालय छात्रों को बेहतरीन शिक्षा उत्तम साधनों के साथ उत्तम वातावरण में गुणवत्ता के साथ दे रहे थे। लेकिन जिस तरह से जिला शिक्षा अधिकारी ने दबाव में आकर जो पत्र जारी किया है उससे आने वाले समय में सामाजिक वातावरण तो दूषित होगा ही साथ ही उनके स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी सरकारी स्कूलों की तरह गिर सकता है। इनका कहना है कि निजी स्कूल जिस प्रकार से एक उचित माहौल में बच्चों को सभी सुविधाओं के साथ शिक्षा प्रदान कर रहे है उनमें सरकार बाधक न बने।
उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने टीएमए पाई बनाम कर्नाटक सरकार में 11 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने निर्देशित किया हुआ है कि गैर-सहायता प्राप्त निजी क्षेत्र के विद्यालयों को अपनी फीस निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी। यहीं नहीं उनका यह भी कहना है कि एक बार कुछ याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा सरकार पर दबाव बनाकर शिक्षा निदेशक से एक आदेश जारी करवा दिया था कि निजी स्कूल किसी भी सूरत में 20 प्रतिशत से अधिक फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। शिक्षा निदेशक केइस आदेश के खिलाफ निजी क्षेत्र के विद्यालयोंं ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका डालकर इसका विरोध किया था जिस पर माननीय हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशक के उक्त आदेश को निरस्त कर दिया था। और अब जिस प्रकार से जिला शिक्षा अधिकारी ने एक पत्र जारी कर यह कहा है कि प्राईवेट स्कूल फीस न बढ़ाते हुए पिछले साल की ही फीस लेंगे, यह उनकी समझ से परे है।
एचपीएससी के जिला अध्यक्ष सुरेशचन्द्र का कहना है कि पत्र में कहा गया है कि हरियाणा शिक्षा अधिनियम तथा नियमावली के अनुसार प्राईवेट स्कूल शिक्षा सत्र से पूर्व दिसंबर माह में अगले वर्ष की तय फीस से शिक्षा निदेशक को अवगत कराएंगे तथा फार्म-6 के तहत सत्र में वहीं फीस लेंगे। स्कूल संचालक सत्र के बीच में कोई फीस नहीं बढ़ा सकेंगे और यदि अवश्यक हुआ तो शिक्षा निदेशक की अनुमति लेनी होगी। सुरेशचन्द्र ने जिला शिक्षा अधिकारी के उस आदेश को भी हास्यपद्र बताया है जिसमें कहा गया है कि प्राईवेट स्कूल एडमिशन फीस केवल पहली, छठी, नौंवीं तथा 11वीं में ही ले सकते है। उनका कहना है कि प्राईवेट स्कूल तो एक ही बार पहले एडमिशन पर ही एडमिशन फीस लेते है जो कि 12वीं तक चलती हैं। यहीं नहीं पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकारी अनुमोदित मदों के अतिरिक्त प्राईवेट स्कूल किसी अन्य मद में फीस न ले, इस पर प्राईवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार ने तो सभी मदों में नि:शुल्क प्रावधान रखा हुआ है ऐसे में निजी स्कूल संचालक स्कूलों में होने वाली विभिन्न गतिविधियों तथा कार्यकलापों को कैसे आयोजित कर पाएंगे, यह एक गंभीर मामला हैं। रही बात 134ए के तहत एडमिशन सुनिश्चित करने की तो यहां यह बताना जरूरी है कि प्राईवेट स्कूलों ने इस अधिनियम को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था जिसको हाईकोर्ट ने अपनेे अंतरिम आदेशों में 134ए के अधिनियम को निरस्त किया हुआ है।
एचपीएससी की इस अहम् बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राईवेट स्कूलों को लिखे गए पत्र के सभी बिन्दुओं पर गहनता से विचार विमर्श करते हुए ये फैसला लिया गया कि उक्त पत्र में दिए गए आदेशों की पालना संभव नहीं हैं। इसलिए इस पत्र को हाईकोर्ट में चैलेंज किया जाए।

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