दिल की बीमारी होने का कारण खान-पान में लापरवाही और अधिक मानसिक तनाव
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 7 अप्रैल: विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सेक्टर-16ए स्थित मैट्रो हृदय संस्थान एवं मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में नि:शुल्क हृदय रोग जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर डा. एसएस बंसल, डा. नीरज जैन, डा. कमल गुप्ता, डा. चेतन स्वरूप, डा. अजय बेलिया एवं डा. नीति चढ्डा द्वारा सैकड़ों रोगियों के स्वास्थ्य की जांच की गई। कैम्प के दौरान हृदय रोगियों को सही खान-पान की जानकारी भी डाईटीशियन डिर्पाटमेंट द्वारा नि:शुल्क दी गई।
इस अवसर पर मैट्रो हृदय संस्थान के मैनेजिंग निदेशक एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एसएस बंसल ने बताया के हमारा दिल एक पंप की तरह काम करता है जो बिना रूके, बिना थके लगातार दिन-रात चलता रहता है। पूरे विश्व में हर साल एक करोड़ 70 लाख लोगों की मृत्यु दिल की बीमारी के कारण होती है और हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा दिल की बीमारी की चपेट में आ चुका है। जिसमें से हर साल करीब 25 लाख लोगों की मृत्यु भारत में दिल की बीमारी के कारण होती है। आज के वर्तमान समय में खान-पान में लापरवाही एवं अधिक मानसिक तनाव होने के कारण युवा पीढ़ी में दिल की बीमारी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अधिकतर लोगों में दिल की बीमारी के कारण होने वाले लक्षणों की जानकारी नहीं होती है जिसकी वजह से या तो वे खुद ही अपना इलाज करना चाहते है या गलत दवा आदि का सेवन करने लगते है। दिल की बीमारी में छाती के दाईं तरफ या पेट के ऊपर भी दर्द हो सकता है जिसको ज्यादातर लोग बदहजमी या गैस आदि की बीमारी समझकर नींबू पानी या ईनो पीते है, परन्तु इस प्रकार के लक्षणों में लापरवाही नहीं करनी चाहिए ऐसी स्थिति में तुरन्त ईसीजी करवाकर नजदीक के हार्ट सेन्टर में जाकर अपनी जांच करवानी चाहिए।
डा. बंसल ने बताया कि आज की तनावपूर्ण जिन्दगी में अधिकतर लोग चलना-फिरना और शारीरिक मेहनत बहुत ही कम कर पाते है जो कि दिल की बीमारी से बचने का सबसे सस्ता और असरदार तरीका है क्योंकि पैदल चलना भी एक व्यायाम है इसलिए यह जानना आवश्यक है कि आप ठीक से कर रहे है या नहीं। यदि आप चलते समय दो शब्द भी नहीं बोल पा रहे है तो आप जरूरत से ज्यादा तेज चल रहे है। यदि आप आराम से बाते कर पा रहे है तो आप बहुत धीरे चल रहे है। सही गति वह है जब आप बिना सांस फूले पूरा वाक्य बोल लेते है। इसके अलावा सामान्य तापमान वाली सुबह में यदि आपको हल्का पसीना भी आ रहा है तो मतलब आपकी चलने की गति ठीक है। आमतौर पर हमारे दिल की धड़कन 90 से 95 बार हो जाए और पसीना आने तक व्यायाम या सैर करनी चाहिए। शुगर और दिल की बीमारी का आपस में गहरा संबंध है। शुगर के मरीजों में दिल की बीमारी धीरे-धीरे अपना घर बना लेती है और एक गंभीर रूप धारण कर लेती है। जिससे कि दिल की बीमारियों के जो आम लक्षण हैं वो शुगर के मरीजों में नहीं दिखते। शुगर की वजह से नसें कमजोर हो जाती है। जिसके कारण दिल की बीमारी शुगर के मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है इसलिए समय-समय पर जांच करवाना आवश्यक है।
डा. बंसल बताते हैं कि तीन चीजों को बदलकर आप हृदय रोग से बचाव कर सकते है जैसे कि तम्बाकू त्याग कर, नियमित व्यायाम करके, अच्छा भोजन करके। अपने शरीर में पांच चीजों-शुगर, बीपी, कैलेस्ट्रोल, संतुलित वजन और एक्सरसाइज को नियमित कंट्रोल करके भी आप हृदय रोगों से बच सकते है।
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हर साल करीब 25 लाख लोगों की मृत्यु भारत में दिल की बीमारी के कारण होती है: डा. एसएस बंसल
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