नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 24 मार्च: भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में आगामी 10 अप्रैल को भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अम्बावता के नेतृत्व में जंतर-मंतर दिल्ली पर एक महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें किसानों के हितों की रक्षा के लिए रूपरेखा तैयार कर सरकार को आगाह किया जायेगा। भूमि अधिग्रहण बिल पर देश के किसानों से सीधी बातचीत करके देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानोंं को बहकाने का प्रयास कर रहे है जो कि पूरी तरह से गलत है यह उद्गार भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अम्बावता ने प्रेस को जारी ब्यान में कहे। उन्होने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल पास होने से सबसे ज्यादा नुकसान देश के उन किसानों को होगा जिनके द्वारा उगाये गये अन्न से देश चलता है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल के पास होने से जहां यह किसान बेरोजगार हो जायेंगे वही इनकी रोजी रोटी का साधन भी छिन जायेगा जिससे यह भूखमरी के कगार पर पहुंच जायेंगे।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार किसानो को लुभावने का प्रयास कर रही है जिसे हम सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सीधी बात में यह कहते हुए सुनाई दे रहे है कि किसानों को रोजगार मुहैया कराया जायेगा परंतु आज तक देश का किसान ही सबसे ज्यादा बेरोजगारी की मार झेल रहा है। क्योकि किसान के पास केवल खेतीबाड़ी के अलावा कुछ काम नहीं होता और वह शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पाता जिसके कारण अगर उसकी खेती-बाड़ी छीन ली जायेगी तो वह बेरोजगार हो जायेगा । उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार किसानों के हित की बात कर रही है तो सरकार को हम पांच सुझाव दे रहे हैं उन सुझावों को जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में एक समान रूप से वृद्धावस्था पेंशन 5000 रूपये प्रति महीने के हिसाब सरकार किसानों को दे। किसानों के लिए कृषि बीमा योजना, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी और डीजल 15 रूपये प्रति लीटर दे। सन् 2000 से अब तक खुदकशी कर चुके किसानों को पांच लाख रूपये का मुआवजा दिया जाये साथ ही किसानों को बिजली, पानी फ्री और पांच लाख रूपये तक का कर्जा माफ किया जाए।
श्री अम्बावता ने कहा कि 60 साल तक के किसानों का इलाज मुफ्त किया जाए और नौजवानों के लिए रोजगार की गारंटी सरकार दे नहीं तो बेरोजगार भत्ता देने का सरकार वादा करे। आरक्षण पर बोलते हुए कहा कि जाति के आधार पर आरक्षण समाप्त कर आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण लागू किया जाये । अगर सरकार ने उपरोक्त मांगों को नहीं माना तो भारतीय किसान यूनियन (अ) आगामी 10 अप्रैल को एक महापंचायत कर रही है महापंचायत में 10 से 15 प्रांतो के किसान नेता भाग लेगे । जिसमें आगे की रूपरेखा तय की जायेगी ।

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