नवीन गुप्ता
चंडीगढ, 27 फरवरी: हरियाणा के 17 जुलाई 1990 से 22 मार्च 1991 तक 12वें मुख्यमन्त्री रहे मास्टर हुकम सिंह फौगाट का कल लम्बी बीमारी के बाद गुडगांव के मेदान्ता अस्पताल में देहान्त हो गया। उनके देहान्त की खबर से पूरे राजनीतिक हलकों विशेषकर चरखी दादरी में शोक की लहर दौड़ गई। वे पुलिस में सेवा करने के उपरान्त दादरी के लाधान पाना में फव्वारा चौक के निकट अपने पैतृक आवास पर रहने लगे थे। उनके घर के पास एक ओर बगीची थी और दूसरी ओर तालाब तथा राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लगता था। दादरी कोर्ट व पुराने बस अड्डïे, अनाज मण्डी व काठ मण्डी में आने-जाने वाले लोग मास्टर हुकम सिंह के यहां हुक्का गुडग़ुड़ाने अवश्य रूकते थे और यही कारण था कि हुकम सिंह लोगों में लोकप्रिय हो गए। हुक्के पर चर्चा के दौरान लोगों को वे हर बात पर सलाह-मशवरा देते थे और लोग उसकी सराहना करते थे।
कुछ समय तक अध्यापन कार्य करने के कारण उनका नाम मास्टर जी पड़ गया। हालांकि वे अध्यापन कार्य से थोड़े समय जुड़े रहे, फिर भी लोग उन्हें मास्टर जी के नाम से जानते थे। देश में एमरजेंसी के दौरान चौ० देवीलाल जैसे नेता जब अपने संघर्ष के लिए हर जगह जमीन से जुड़े नेताओं को तलाश रहे थे तो उन्हें मास्टर हुकम सिंह के बारे जानकारी मिली और चौ० देवीलाल ने दादरी में मुलाकात की और देखा कि उनके पास हमेशा लोगों का जमावड़ा रहता है। उस समय मास्टर हुकम सिंह, ईश्वर सिंह सांगवान, गांव डोहकी पटवार हलका पैंतावास खुर्द, शेर सिंह मानकावास व अपने कुछ अन्य साथियों के साथ चौ० देवीलाल के साथ एमरजेंसी में 13 दिन तिहाड़ जेल गए थे। इसी के चलते मास्टर हुकम सिंह को जब 1977 में जनता पार्टी का उदय हुआ तो चौ० देवीलाल ने दादरी विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी का उम्मीदवार बनाया। इससे पूर्व 1967 से 1972 तक दादरी विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हुआ करता था। 1977 में पहली बार इसे सामान्य क्षेत्र घोषित किया गया था और पहली बार मास्टर हुकम सिंह जनता पार्टी की टिकट पर 35.13 प्रतिशत मत हासिल कर विजयी हुए थे। उस समय उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी दो बार विधायक रहे कांग्रेस के गणपत राय को 5100 मतों से पराजित कर पहली बार हरियाणा विधानसभा के लिए विजय हासिल कर एक जमीन से जुड़े नेता के रूप में लोगों में अपनी पहचान कायम की थी। उस समय विधायक रहते हुए उन्होंने दादरी विधानसभा क्षेत्र के डोहकी, अख्तयारपुरा, मानकावास व रासीवास गांवों में पहली बार पैंतावास खुर्द वॉटर वक्र्स से पेयजल की आपूर्ति करवाकर अपनी कार्य प्रणाली की झलक दिखा दी थी और वे क्षेत्र में और अधिक लोकप्रिय नेता बन गए।
उसके बाद 1982 के चुनावों में मास्टर हुकम सिंह ने लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़कर 20,943 मत हासिल किए तथा विजयी रहे। वर्ष 1987 के चुनावों में लोकदल की टिकट पर 25,677 मतों के साथ विजयी हासिल कर उन्होंने लगातार तीसरी बार दादरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने का रिकॉर्ड कायम किया। उनकी उपलब्धियों को देखकर चौ० देवीलाल ने मास्टर हुकम सिंह को अपने मंत्रिमंडल में ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के मन्त्री की अहम् जिम्मेवारी सौंपी।
वर्ष 1990 में चौ० देवीलाल के उप-प्रधानमन्त्री बनने के बाद मास्टर हुकम सिंह को उन्होंने 17 जुलाई 1990 से 22 मार्च 1991 तक राज्य के मुख्यमन्त्री पद की भी जिम्मेवारी सौंप कर उन पर अपना विश्वास व्यक्त किया था। भले ही कुछ कारणों के चलते उन्हें मुख्यमन्त्री पद छोडऩा पड़ा था। इस प्रकार मास्टर हुकम सिंह पूरे राज्य में एक ईमानदार व जमीन से जुड़े नेता की छवि बनाने में कामयाब रहे। आज भी लोग उनके हुक्का गुडग़ुड़ाने की चर्चा करते हैं। पूर्व मुख्यमन्त्री के नाते चंडीगढ के सैक्टर 7 में आवंटित सरकारी कोठी में भी हरियाणा के विभिन्न भागों से चंड़ीगढ आने वाले लोग हुक्का के लिए वहां जाना नहीं भूलते थे और हमेशा वहां भीड़ रहती थी।
हालांकि राजनीतिक संघर्ष के चलते मास्टर हुकम सिंह बाद में समाजवादी पार्टी की टिकट पर भी दादरी से चुनाव लड़े परन्तु उन्हें कामयाबी नहीं मिली। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की ओर रूख किया, वहां भी उनका मन नहीं लगा और अपने अन्तिम दिनों में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
हालांकि दादरी हलके में लोकदल को एक जमीनी पार्टी बनाने में मास्टर हुकम सिंह की भी अहम् भूमिका रही। केवल हुकम सिंह व वर्ष 2005 में मेजर नृपेन्द्र सांगवान को छोड़़कर दादरी विधानसभा क्षेत्र के लिए यह अपवाद ही रहा है कि यहां से हमेशा विरोधी पार्टी का उम्मीदवार ही विधायक बना है। यह दूसरी बात है कि 2009 में हजकां बीएल की टिकट पर चुनाव जीतकर सतपाल सांगवान भूपेन्द्र सिंह हुड्डïा सरकार में मन्त्री बन गए थे। उस समय वे इनेलो के राजदीप फौगाट से मात्र 145 मतों से विजयी हुए थे। अब 2014 के चुनावों में भी दादरी के लोगों ने विपक्षी पार्टी इनेलो के राजदीप फौगाट को 44,600 मत देकर विजयी बनाया है जबकि प्रदेश में भाजपा पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है। दादरी विधानसभा क्षेत्र में शहरों वोटरों के अलावा सांगवान व फौगाट खाप दोनों का विशेष प्रभाव है और वे हार-जीत तय करते है। अब तक यहां से गणपत राय अनुसूचित जाति को छोडकर तीन बार मास्टर हुकम सिंह फौगाट, धर्मपाल सांगवान, सतपाल सांगवान दो बार, जगजीत सिंह सांगवान व मेजर नृपेन्द्र सांगवान विधायक रहे है। अब यहां से राजदीप फौगाट विधायक है।
मास्टर हुकम सिंह सदैव संघर्षशील नेता रहे है। हालांकि वर्ष 2011 में उनके पोते के तालाब में डूब जाने के कारण हुई मौत ने उनको तोड़ दिया था, परन्तु यह कुदरत का करिश्मा ही रहा कि उन्हें पुन: पौत्र प्राप्ति हुई और उसके बाद वे फिर से राजनीति में सक्रिय हुए। परन्तु लम्बी उम्र के बाद वे उतना समय सक्रिय राजनीति को नहीं दे पाए, जितनी आवश्यकता थी। फिर भी आज दादरी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ सत्तारूढ़ व अन्य विपक्ष पार्टियों विशेषकर सांसद दूष्यंत चौटाला, विधायक राजदीप फौगाट, सुखविन्द्र श्योराण व अन्य पार्टियों के राजनेताओं ने उनकी अंत्येष्टि में शामिल होकर उनकी जमीनी हकीकत से जुड़े होने के नेता के रूप में एक नई पहचान दी है, जिसे लम्बे समय तक याद रखा जाएगा।

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