अंचल नर्सिंग होम प्रकरण: शामलात भूमि पर अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ का कड़ा रुख!
हाईकोर्ट खंडपीठ ने उपायुक्त को चार सप्ताह में जांच कर निर्माण अवैध पाए जाने पर सीलिंग व भवन ध्वस्त करने के आदेश दिए।
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
चंडीगढ़/भिवानी, 4 जुलाई:
भिवानी के दिनोद गेट क्षेत्र स्थित अंचल मेटरनिटी नर्सिंग होम में शामलात भूमि पर अवैध निर्माण के मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार द्वारा डाली गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा व न्यायाधीश अरूण पल्ली की खंडपीठ ने इस प्रकरण में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉ विनोद अंचल द्वारा हरियाणा म्यूनिसिपल पक्ट 1973ए, हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017, हरियाणा फॉयर सर्विसेज एक्ट 1973 एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा निर्देश-2016 के प्रावधानों का उल्लंघन कर शामलात भूमि पर किए जा रहे अवैध निर्माण की चार सप्ताह में जांच कर उपायुक्त द्वारा कार्रवाई के आदेश दिए हैं। खंडपीठ ने हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट 1993 की धारा 208 व 208ए के अंतर्गल निर्माण कार्य नियमों के विरुद्ध पाए जाने पर सीलिंग व भवन को ध्वस्त कराए जाने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह भी सामने आया है कि भिवानी नगर परिषद के अधिकारी भी इस गैर-कानूनी काम में संलिप्त हैं और प्रतीत होता है कि जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
गौरतलब होगा कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने 2017 से ही अंचल नर्सिंग होम प्रकरण में शामलात भूमि पर अवैध निर्माण की नगर परिषद अधिकारियों के समक्ष शिकातय दी थी और आरटीआई के जरिए काफी अहम तथ्य जुटाए थे। लेकिन नगर परिषद अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अवैध निर्माण पिछले तीन सालों से निरंतर जारी रहा।
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि दिनोद गेट पर डॉ. विनोद अंचल व डॉ. अनीता अंचल द्वारा अंचल नर्सिंग होम के भवन का निर्माण किया जा रहा है। जबकि इस भवन निर्माण में अधिकांश भूमि राजस्व विभाग के रिकार्ड में धर्मशाला के नाम से दर्ज है। डॉ. विनोद अंचल ने 2017 में भवन का नक्शा पास कराने की अर्जी नगर परिषद में दाखिल की थी। उसके साथ भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज व इंतकाल की कोई दस्तावेज नहीं लगाए, जो नियमानुसार आवश्यक हैं। इसी के चलते नगर परिषद द्वारा डॉ. अंचल की भवन नक्शा की अर्जी भी रद्द कर दी थी। इसके बाद बिना भवन का नक्शा पास कराए ही डॉ. विनोद अंचल द्वारा भवन निर्माण का काम आरंभ कर दिया। नगर परिषद के अधिकारी यह सब मूकदर्शन बनकर देखते रहे। इसी मामले में शिकायतें नगर परिषद के ईओ व जिला उपायुक्त को दी गई थी। जिसमें अंचल नर्सिंग होम भवन निर्माण में कालेकान खानदान की धर्मशाला की भूमि पर अवैध निर्माण किए जाने के आरोप लगाते हुए तथ्य उपलब्ध कराए थे। जिसके बाद ईओ ने नगर परिषद सचिव, कार्यकारी अभियंता व जेई की एक कमेटी बनाई थी और निर्माण कार्य की जांच के आदेश दिए थे। मगर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी और कमेटी सदस्यों ने भी मिलीभगत कर ली। इसी तरह उपायुक्त को दी शिकायत में भिवानी एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। एसडीएम ने मामले की जांच शुरू की और दोनों पक्षों को तलब किया, लेकिन जांच में डॉ० विनोद अंचल ने कोई तथ्य नहीं दिए। बृजपाल सिंह परमार ने डा.ॅ अंचल नर्सिंग होम में नगर परिषद और जिला प्रशासन के अधिकारियों की ढूलमूल रवैये को देखते हुए स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली। जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ा संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किए।

ये है अंचल नर्सिंग होम अवैध भवन निर्माण का पूरा प्रकरण:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 11 सितंबर, 2017 को डॉ. अंचल ने नगर परिषद में भवन निर्माण नक्शा पास की अर्जी लगाई थी। जिस पर 9 नवंबर को नप ने मलकियत के सबूत मांगे। दिसंबर में बिना नक्शा पास कराए ही डॉ. अंचल ने अस्पताल भवन का निर्माण शुरू कर दिया। 28 मार्च, 2018 को नगर परिषद ने अस्पताल भवन निर्माण की भूमि की दो यूनिट नंबर वाईए 65बी/6 व वाईए 65 बी/9 को रद्द कर दिया। चार अक्तूबर, 2017 को बृजपाल सिंह परमार ने शहर के 12 नर्सिंग होम की आरटीआई में जानकारी मांगी थी। सात अप्रैल, 2018 को अंचल नर्सिंग होम भवन की आरटीआई मांगी गई। सूचना नहीं देने पर प्रथम अपील अधिकारी सीटीएम ने 21 दिसंबर को एक सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए। राज्य सूचना आयोग ने भी 23 जनवरी, 2020 को इस मामले में नप सचिव को दो सप्ताह के अंदर सूचना देने के आदेश देते हुए 25 हजार जुर्माने का नोटिस जारी किया। 23 मई, 2020 को आरटीआई के जरिए फॉयर विभाग से डॉ. अंचल अस्पताल की एनओसी की जानकारी मांगी। इसका जवाब आया कि अंचल नर्सिंग होम नाम से कोई एनओसी नहीं है। इसी मामले में नप ईओ 20 फरवरी, 2020 को अस्पताल भवन से जुड़े दस्तावेज तलब किए थे। 5 मार्च, 2020 को दस्तावेज नहीं दिए तो ईओ ने अंचल को नोटिस जारी कर दिया। 20 मार्च, 2020 को उपायुक्त को भी अंचल नर्सिंग होम में शामलात भूमि पर कब्जा की शिकायत दी गई। डीसी ने भिवानी एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त किया। एसडीएम ने 28 मई को सभी पक्षों को जांच के लिए तलब किया। दो जून को शिकायतकर्ता तो एसडीएम के समक्ष पेश हुआ, मगर डा.ॅ अंचल जांच में नहीं आए। इसी दिन नप ईओ ने भी पत्र जारी कर तीन अधिकारियों की भवन निर्माण की जांच के लिए कमेटी बनाई और काम रुकवाकर भवन सील करने के आदेश दिए। 12 जून को फिर एसडीएम ने डॉ. अंचल को जांच में शामिल होने आदेश दिए थे। इसी दिन डॉक्टर पेश हुए, मगर भवन से संबंधित दस्तावेज जमा नहीं कराए। 15 जून को एसडीएम ने जांच में सहयोग नहीं करने पर 2 जुलाई को फिर मामले में पेश होने के आदेश दिए। इस दिन जांच अधिकारी ही कार्यालय में नहीं आए। 16 जून को नप ईओ ने अपनी ही जांच कमेटी पर आरोप लगाते हुए जानबूझकर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए और जांच में शामिल कर्मचारियों की उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजने की चेतावनी दी।

अंचल नर्सिंग होम अवैध भवन निर्माण प्रकरण में बड़े मगरमच्छ भी फंसेंगे!:
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि लगातार शिकायतों के बावजूद तीन साल से अंचल नर्सिंग होम भवन निर्माण अवैध रूप से शामलात भूमि व भवन निर्माण कानूनों को ताक पर रखकर चलता रहा। इस प्रकरण में नगर परिषद के आला अधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत रही। यही वजह रही कि अधिकारियों ने प्रकरण की जांच तो शुरू की, मगर जांच के बावजूद सभी दस्तावेज और सबूत उपलब्ध कराए जाने पर भी कोई कार्रवाई किसी भी सक्षम अधिकारी ने नहीं है।
अब मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के जरिए पहुंचा है। इस प्रकरण में बड़े मगरमच्छ भी फंसेंगे। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 22 जनवरी, 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की बैठक बतौर चेयरमैन संबोधित करते हुए अस्पताल भवनों में मरीजों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी। इस गाइड़लाइन की अनुपालना सभी निजी नर्सिग होम भवन निर्माण में जरूरी की गई हैं।

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