Metro Plus से Jassi Kaur की रिपोर्ट
Faridabad News, 3 सितंबर:
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बलजीत कौशिक ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार काउंसिल चंडीगढ़ एनरोलमेंट कमेटी के चेयरमैन रहे ओपी शर्मा की पत्नी के दाह संस्कार के अवसर पर उनको पैरोल न दिए जाने के मामले में भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश की 36 बिरादरी का यह मौलिक अधिकार है कि अपने परिजनों की मृत्यु पर उनको जेल से दाह संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल दी जाए। मगर फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी ओपी शर्मा के मामले में जिस प्रकार जिला उपायुक्त एवं जेल प्रशासन ने व्यवहार किया, वह कतई बर्दाश्त के बाहर है। ओपी शर्मा एक केस में नीमका जेल में सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी का निधन 1 सितम्बर को हो गया। जिनका दाह संस्कार मंगलवार को किया जाना था। ओपी शर्मा ने अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए जेल प्रशासन को लैटर लिखा, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद उनके परिजनों ने जिला उपायुक्त से गुहार लगाई कि श्री शर्मा को उनकी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने की परमिशन दी जाए। जिस पर जिला उपायुक्त ने बोला था कि 2.30 बजे परमिशन आपको मिल जाएगी मगर 4.30 बजे उन्होंने परमिशन न देकर जेल सुप्रीडेंट को वापिस लैटर भेज दिया। जबकि वहां से परमिशन पहले ही रिजेक्ट कर दी गई थी।
इस प्रकार जेल प्रशासनने पूरे मामले को जानबूझकर घुमाया और ओपी शर्मा स्वयं अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल न हो पाए। जबकि ओपी शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग व व्हॉटसप वीडियों कॉल के जरिए भी अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन की इच्छा जाहिर की, जिसे राजनीतिक दबाव की वजह से नकार दिया गया।
कांग्रेसी नेता बलजीत कौशिक ने इस पूरे प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे पूरी तरह से राजनीतिक बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का दबाव है और वो चाहते हैं कि ओपी शर्मा बाहर न निकलें। मगर यह पूरी तरह आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन है। एक पीडि़त परिवार, जिस पर पहले से ही दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो और ज्यादा मानसिक प्रताडऩा नहीं देनी चाहिए। अक्सर देखने में आता है बड़े-बड़े क्रिमिनल को भी अपने परिजनों के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल मिल जाती है, मगर एक बुद्धिजीविए वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ इस तरह का दोगला व्यवहार अमानवीयता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार घिनौनी राजनीति कर रही है और नैतिकता की सभी हदें पार कर दी हैं। जेल सुप्रीटेंडेंट के इस रूख की दीपक कुमार एडवोकेट, ऋषिपाल एडवोकेट, बृजमोहन शर्मा एडवोकेट, बीडी कौशिक एडवोकेट ने भी कड़ी निंदा की और अपना आक्रोश व्यक्त किया।

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