मैट्रो प्लस के लिए प्रत्यूष पांडे की रिपोर्ट
लखनऊ, 23 जून:
लखनऊ विश्वविद्यालय में परीक्षा और फीस लेने के विरोध में छात्रों के स्वर एकाएक आक्रमक होते जा रहे हैं। इस मामले में जहां कल समाजवादी छात्र सभा के बैनर तले छात्रों ने प्रदर्शन किया था वहीं आज एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
एनएसयूआई के छात्र नेताओं का प्रदर्शन तेज होता इससे पहले ही शुरूआत में पुलिस ने लखनऊ विश्वविद्यालय के इस धरने-प्रदर्शन में शामिल सभी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया। छात्रों की मांग थी कि सभी छात्रों को प्रमोट किया जाए और उनसे इस सेमेस्टर की फीस ना ली जाए। सभी छात्रों का मानना यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जबरदस्ती की तानाशाही कर रहा है जिसको छात्र बर्दाश्त नहीं करेंगे।
एनएसयूआई के छात्र नेता अंशुल भारती का कहना है कि वे छात्रहित के लिए अपने कर्तव्य निभाते रहेंगे, वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता आदित्य द्विवेदी का कहना है कि पुलिस की जो भी तानाशाही यह सरकार कर रही है वह छात्र हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा और सभी छात्रों के हित में निर्णय आने तक जो भी कार्रवाई करनी हो, वह की जाएगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के तमाम छात्रों का यह भी कहना है अगर धरने से भी उनकी बात नहीं मानी गई तो वह हाईकोर्ट का रास्ता चुनेंगे।
पुलिस प्रशासन की दो गाडिय़ों में आज छात्रों को गिरफ्तार करके ले जाया गया। मौके पर पुलिस प्रशासन के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे
ध्यान रहे कि लखनऊ विश्वविद्यालय की परीक्षा का विरोध में कल समाजवादी छात्र सभा के बैनर तले सोमवार को भारी संख्या में छात्रों ने हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना-प्रदर्शन किया। भारी संख्या में छात्रों को देखकर पुलिस ने उनसे धरना समाप्त करने के लिए कहा लेकिन छात्र भड़क गए और उनकी पुलिसकर्मियों से झड़प हो गई। आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने छात्रों को गिरफ्तार कर लिया और ईको गार्डेन लेकर चली गई थी।
गौरतलब रहे कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने 7 जुलाई से परीक्षा कराने के लिये पाठ्यक्रमों की परीक्षा की तारीख घोषित कर दी है, इसे लेकर शिक्षकों के साथ ही छात्रों में भी काफी रोष है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता आदित्य द्विवेदी का कहना है कि एक ऐसे वक्त में जब हर रोज करीब 13 हजार लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं तब अलग-अलग पाठ्यक्रमों की परीक्षा तिथि घोषित करना ठीक नहीं है क्योंकि परीक्षा देने के लिए अलग-अलग जिलों में रहने वाले छात्रों को भी विद्यालय आना पड़ेगा जिससे उनके स्वास्थ्य को भी खतरा है।

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