Metro Plus से Jaspreet Kaur की रिपोर्ट
Faridabad News, 19 अक्टूबर:
जीवन में कोई भी उतार-चढ़ाव आए हमें हर अवस्था में सहजता रखनी है। भौतिक सभी वस्तुएं क्षृण भंगुर है, इनमें परिवर्तन स्वाभाविक है। इन पदार्थो के परिवर्तन की स्थिति से अपनी स्थिरता को नहीं हिलाना। यह तभी संभव है, जब हम निरंकार प्रभु का अहसास रखते हैं। परमात्मा से जुडऩे के बाद कोई भी स्थिति हमें हिला नहीं सकती। जीवन में स्थिरता और सहजता आती है, ये उदगार गत् रात्रि दशहरा मैदान में विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए निरंकारी सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने व्यक्त किए। इस विशाल निरंकारी सत्संग समारोह में फरीदाबाद, बल्लबगढ़, पलवल, होडल, गुडगांव और दिल्ली से हजारों की संख्या में श्रृद्धालु भक्तों ने भाग लिया। सत्संग का प्रारंभ सांय 6 बजे से हुआ जो रात्रि 9 बजे तक चला।
72वें वार्षिक निरंकारी संत समागम जोकि 16-18 नवम्बर को निरंकारी अत्यात्यिक स्थल, समालखा जी.टी. रोड़ में होने जा रहा है, उससे पहले सदगुरू माता सुदीक्षा महाराज ने फरीदाबाद की संगतो को आर्शीवाद दिया।
सदगुरू माता ने बताया कि हमें परमात्मा की बनाई मूर्तियां अर्थात इंसानों से प्रेम और करूणा का भाव रखना है। सभी से एक समान व्यवहार करना है। प्रभु परमात्मा ने किसी कार्य के लिए हमें चुना है तो उस कार्य की मिली प्रशंसा के लिए भी प्रभु को कर्ता मानना है, अभिमान के भाव को मन में नहीं लाना। माता ने समझाया कि यदि हर पल प्रभु का शुकराना मानते हुए सम्पूर्ण भाव से जीवन बिताते हैं तो सच्चे आनन्द की व्यवस्था प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि सब कुछ तेरा तुझ को अर्पण वाला भाव रख कर हर कार्य में परमात्मा की कृपा को मानना है।
अन्त में सदगुरू माता जी ने फरमाया कि जब एक प्रभु परमात्मा को जानकर उस एक के रंग में रंग जाते हैं तो हर स्थिति में आनन्द का ही एहसास होता है। उन्होंने समझाया कि बहुत खुशी में भी अधिक उत्साहित ना हो कर प्रभु का शुकराना करना है और कभी कोई समस्या भी हो तो उसमें भी प्रभु की रजा मान कर उस में ही अपना भला मानते हुए शुकराने का भाव रखना है।
इस सत्संग में सदगुरू माता जी का आर्शीवाद लेने हेतु शहर के कई गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया जिसमें की राजनैतिक हस्तीयां भी शामिल थी ।

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