Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 5 अगस्त:
बीते रोज जर्मनी को मिले पेनल्टी कॉर्नर को ज्यों ही गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने रोका, भारतीय खिलाडिय़ों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई। आखिर इंतजार 41 साल का था और अतीत की मायूसियों के साये से निकलकर भारतीय हॉकी टीम ने पिछडऩे के बाद वापसी करते हुए तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया। विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल तिगांव में इस जीत का जश्न मना कर सभी को मिठाइयां बांटी गई।
इस अवसर पर स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कहा कि भारतीय टीम 1980 मॉस्को ओलिंपिक में अपने आठ गोल्ड मेडल में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलिंपिक पदक जीती है। मॉस्को से तोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलिंपिक-2008 के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं। लेकिन इस बार आठ बार की ओलिंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया जोकि हमारे लिए काफी खुशी और गर्व का विषय है।
इस मौके पर स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कहा कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है इसलिए यह जीत और भी मायने रखती है। इस जीत से युवा खिलाडिय़ों का मनोबल बढ़ेगा और क्रिकेट की तरह ही हॉकी में और बेहतरीन युवा खिलाड़ी आएंगे। गौरतलब है कि भारत ने हॉकी में ओलंपिक इतिहास में सबसे अधिक 12 मेडल जीतने का वल्र्ड रिकॉर्ड भी बना लिया है। जर्मनी की टीम 11 मेडल के साथ दूसरे नंबर पर है। अन्य कोई टीम दहाई मेडल तक नहीं पहुंच सकी है। भारत ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 में गोल्ड मेडल जीता। 1960 में सिल्वर जबकि 1968, 1972 और 2021 में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया।

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