हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा संचालित 8वीं कक्षा की परीक्षाओं में सीबीएसई स्कूल्स नहीं करेंगे रजिस्ट्रेशन: परमार
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 18 फरवरी:
फरीदाबाद प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एफपीएससी) के प्रेसिडेंट नरेंद्र परमार ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस नोटिफिकेशन को लेकर विरोध जताया है जिसमें शिक्षा विभाग ने एससीआरटी गुडग़ांव को स्वयं या किसी अन्य एजेंसी से 5वीं और 8वीं कक्षाओं की नियमित परीक्षाएं लेने के लिए अधिकृत कर दिया। और एससीईआरटी गुडग़ांव ने भी तुरंत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी को उपरोक्त कक्षाओं की परीक्षा संचालन हेतु अधिकृत कर दिया।
प्रेसिडेंट नरेंद्र परमार ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार नियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा संशोधित नियम जिसमें कक्षा 5वीं और 8वीं की नियमित परीक्षाएं करवाने एवं उपरोक्त कक्षाओं में होने वाली परीक्षाओं में यदि कोई विद्यार्थी किसी विषय में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उसको पास या फेल करने का निर्णय राज्य सरकार पर छोड़ा गया था। इसके चलते हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने हरियाणा प्रदेश में सभी विद्यालयों को एकतरफा 8वीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड द्वारा करवाने का आदेश जारी कर दिया था। उपरोक्त एकतरफा आदेशों के खिलाफ जब सीबीएसई से संबंधित स्कूलों की एसोसिएशंस ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट/याचिका दायर की तो शिक्षा विभाग का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल ने माननीय उच्च न्यायालय को लिखित जवाब में कहा कि उपरोक्त परीक्षाएं करवाने संबंधित सभी आदेश शिक्षा विभाग द्वारा वापिस ले लिए गए हैं और अब इन परीक्षाओं का संचालन हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा नहीं करवाया जाएगा। बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एससीआरटी गुडग़ांव को स्वयं या किसी अन्य एजेंसी से 5वीं और 8वीं कक्षाओं की नियमित परीक्षाएं लेने के लिए अधिकृत कर दिया। और एससीईआरटी गुडग़ांव ने भी तुरंत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी को उपरोक्त कक्षाओं की परीक्षा संचालन हेतु अधिकृत कर दिया।
एफपीएससी के महासचिव राजदीप सिंह का उपरोक्त मामले में कहना है कि सीबीएसई से संबंधित स्कूलों की परीक्षा का निर्णय, सिलेबस, ब्लूप्रिंट सब सीबीएसई नई दिल्ली के द्वारा निर्देशित होता है। वहीं शिक्षा के अधिकार नियम में हुए संशोधित नियम के अनुसार भी 5वीं और 8वीं की नियमित परीक्षा करवाने को कहा गया है न कि बोर्ड परीक्षा के लिए।
संस्था के वाइस प्रेसिडेंट टी.एस. दलाल ने कहा कि अभी तो कोरोना महामारी से पिछले दो सालों से ऑनलाइन क्लासेस ही चल रही थी। अभी भी विद्यालय खुलने के बावजूद भी ऑनलाइन एवं ऑफलाईन से पढ़ाई के दोनों विकल्प बच्चों के पास हैं। ऐसी क्या मजबूरी है कि नीट, दिल्ली यूनिवर्सिटी, सीएए एवं अन्य सभी कॉलेज स्तर की भी परीक्षाएं ऑनलाइन ही हुई है तो इन 12-13 वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं बोर्ड द्वारा करवाने का एक तरफा फैसला लेकर अबोध बालक बालिकाओं को मानसिक तनाव दिया जा रहा है।
एफपीसीसी के वरिष्ठ सदस्य बी.डी. शर्मा ने कहा कि हमारे देश में पठन पाठन केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार दोनों के द्वारा संचालित होता है और अभिभावकों और स्कूल संचालकों को दोनों में से किसी एक को चुनने का संविधान ने हक दिया हुआ है। जो विद्यालय और उनमें पढऩे वाले बच्चें जब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग हरियाणा से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त कर किसी भी अन्य शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त कर चुके हैं तो हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी कैसे उन विद्यालयों में परीक्षा का संचालन कर सकता है। यह केवल और केवल स्कूलों और अभिभावकों से परीक्षा के नाम पर फीस के नाम पर रूपए ऐंठने का तरीका भर है।
एफपीएससी के ट्रेजरर/कोषाध्यक्ष भारत भूषण शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से जब हमारी एसोसिएशन ने उपरोक्त आदेशों के खिलाफ अक्टूबर महीने में मिलकर विरोध जताया तो शिक्षा मंत्री ने भी प्रेस में उपरोक्त परीक्षाएं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी से नहीं करवाने बारे बयान भी दिया था। तो ऐसा क्या कारण है कि प्रदेश सरकार की छवि को इस तरह के तुगलकी फरमान जारी कर खराब किया जा रहा है।
एफपीएससी के प्रधान नरेंद्र परमार ने माननीय मुख्यमंत्री से अपील कर उपरोक्त 8वीं कक्षा की परीक्षा बोर्ड द्वारा करवाने के निर्णय को रद्द करने की मांग करने की अपील कर अन्य बोर्डों में पढ़ रहे निजी स्कूलों के बच्चों को परीक्षा से होने वाले मानसिक तनाव से राहत देने की गुजारिश की है।

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